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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने पलटा राजस्थान हाई कोर्ट का फैसला, पूर्व सरपंच हत्या का मामले में जमानत रद्द

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने पलटा राजस्थान हाई कोर्ट का फैसला, पूर्व सरपंच हत्या का मामले में जमानत रद्द

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने पूर्व सरपंच के हत्यारों की जमानत रद्द कर दी है। तीनों आरोपियों सत्यप्रकाश, अभिमन्यु और जयवीर को राजस्थान हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर दी है। कोर्ट ने कहा कि यह मामला सुनियोजित और जघन्य हत्याकांड से जुड़ा है। मृतक के भाई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के जमानत आदेश को चुनौती देते हुए मृतक के भाई द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिकाओं की सुनवाई के दौरान यह फैसला आया। हत्या के लिए शार्प शूटर यशपाल और सचिन को आरोपी सत्यप्रकाश उर्फ सत्या, अभिमन्यु उर्फ मिंटू और जयवीर ने हायर किया था, जिन्होंने राजनीतिक और व्यक्तिगत दुश्मनी के चलते इस हत्याकांड की योजना बनाई थी। जांच में पता चला कि आरोपियों ने हत्या की साजिश रची और उन्होंने शूटरों को 23,000 रुपये दिए और उन्हें हत्या करने का आदेश दिया। उसने सह-आरोपी धर्मेंद्र उर्फ टिल्लू के माध्यम से शूटरों के लिए चोरी की मोटरसाइकिल का प्रबंध किया। जयवीर ने व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से शूटरों को लोकेशन की जानकारी दी।

अपराध के दिन, शूटरों ने दिनेश पर घात लगाकर हमला किया और उस पर कई गोलियां चलाईं, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई और वे चोरी की मोटरसाइकिल पर भाग गए। इस हत्या की योजना पहले से बनाई गई थी और गांव की राजनीति को लेकर लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी मुख्य कारण थी।

सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही

आरोपियों ने अपने वकील के माध्यम से तर्क दिया कि वे निर्दोष हैं और केवल घटनास्थल पर पाए गए थे। उनके खिलाफ कॉल रिकॉर्ड और व्हाट्सएप डेटा उन्हें अपराध से जोड़ने के लिए अपर्याप्त हैं।उनके पास से बरामद पिस्तौल की जांच के लिए एफएसएल रिपोर्ट अभी भी लंबित है। उनकी जमानत रद्द करने के बजाय, उन पर अतिरिक्त शर्तें लगाई जा सकती हैं।

 

सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय

सर्वोच्च न्यायालय ने आरोपियों की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने आरोप पत्र में प्रस्तुत साक्ष्यों की उचित जांच नहीं की और अपराध की गंभीरता को नजरअंदाज किया। पीठ ने कहा कि इस सुनियोजित साजिश और क्रूर अपराध में आरोपियों की सक्रिय भागीदारी जमानत रद्द करने के लिए पर्याप्त आधार है।

उच्च न्यायालय ने राज्य के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा और शिकायतकर्ता रूपेश कुमार की दलीलों को स्वीकार करते हुए जमानत रद्द कर दी। न्यायालय ने आदेश दिया कि तीनों आरोपी सत्यप्रकाश, अभिमन्यु और जयवीर को तुरंत जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करना चाहिए।

 

उच्च न्यायालय की मुख्य टिप्पणियां

उच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों, विशेषकर आरोप पत्र की पर्याप्त जांच नहीं की।

अपराध की प्रकृति, एक निर्मम, पूर्वनियोजित हत्या जिसमें भाड़े के शूटर शामिल थे, जमानत देने से पहले कड़ी जांच की मांग करती है।

यह निर्णय जघन्य अपराधों में न्याय सुनिश्चित करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की प्रतिबद्धता को पुष्ट करता है तथा गंभीर अपराधों में जमानत देने में न्यायिक सतर्कता की आवश्यकता पर एक कड़ा संदेश देता है।

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