
Republic Day Celebration : गणतंत्र दिवस पर क्यों दी जाती है 21 तोपों की सलामी, कहां से आई परेड की परंपरा, जानिए सबकुछ
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Neha
- January 26, 2025
Republic Day Celebration : आज 26 जनवरी है, यानि गणतंत्र दिवस। ये तो हम सभी बचपन से ही सुनते आए हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ये दिन हर भारतीय के लिए इतना खास क्यों है। आपके मन में ये सवाल इसलिए भी उठ सकता है क्योंकि भारत 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है, यानि इस दिन हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली। ऐसे में आप भी सोचते होंगे कि जब हमें आजादी मिल ही गई थी और हम अपनी मर्जी के मालिक बन गए थे, तो फिर ये गणतंत्र दिवस मनाने की जरूरत क्यों पड़ी। तो आपको बता दें कि भले ही भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया, लेकिन किसी भी देश को चलाने के लिए कुछ नियम कायदे भी जरूरी होते हैं। 26 अगस्त वही दिन है, जिस दिन हमारे देश में उन नियम-कायदों को लागू किया गया, जिन्हें आज हम सभी भारत के संविधान के रूप में जानते हैं।
भारत को गणतंत्र घोषित करने के लिए इसलिए चुना 26 जनवरी का दिन
ये बात तो सभी जानते हैं कि भारत का संविधान बनने में 2 साल 11 महीने और 18 दिन का समय लगा और ये 26 नवंबर 1949 को तैयार हुआ। लेकिन यहां एक बार आपके मन में सवाल उठ सकता है कि फिर इसे लागू करने के लिए 2 महीने का इंतजार क्यों किया गया ? इस सवाल का जवाब भी इतिहास में ही छिपा हुआ है। दरअसल 26 जनवरी ही वह दिन है जब देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पहली बार प्रमुखता से पूर्ण स्वराज की मांग उठाते हुए राष्ट्रीय ध्वज को फहराया। ऐसे में इस दिन की सार्थकता को बनाए रखने के लिए 26 जनवरी 1950 का दिन चुना गया। लेकिन क्योंकि 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान बनकर पूरी तरह तैयार हो गया था, ऐसे में संविधान के 16 प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू कर दिए गए, जबकि बाकी प्रावधान 26 जनवरी 1950 से लागू हुए।
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पहले इरविन स्टेडियम में होती थी गणतंत्र दिवस की परेड, 1955 में राजपथ पर आई
गणतंत्र दिवस को जो चीज सबसे खास बनाती है वो है, राजपथ, जो अब कर्त्तव्य पथ के नाम से जाना जाता है, पर होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड। बता दें भारत में पहली गणतंत्र दिवस परेड 26 जनवरी 1950 को आयोजित की गई थी। यह परेड इरविन स्टेडियम में हुई थी, जो अब मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम के नाम से जाना जाता है। उस समय भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के जवानों ने अपनी ताकत और प्रदर्शन का शानदार उदाहरण पेश किया था। लेकिन इसके बाद 1955 में गणतंत्र दिवस परेड को राजपथ पर शिफ्ट किया गया। तभी से ये परेड हर साल गणतंत्र दिवस पर यहां आयोजित होती है।
पहली बार इंडोनेशिया के राष्ट्रपति बतौर मुख्य अतिथि किए गए थे आमंत्रित
वहीं गणतंत्र दिवस पर एक और अनूठी परंपरा है किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने की। 1950 में ही इस परंपरा की शुरुआत की गई। तब इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बने थे। वहीं यह भी एक सुखद संयोग है कि जब भारत अपने संविधान के 75 साल पूरे कर रहा है, तब भी आयोजित होने जा रहे 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के मौजूदा राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे।
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तिरंगे और राष्ट्रपति को दी जाती है 21 तोपों की सलामी
गणतंत्र दिवस पर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी भी दी जाती है। भारत सरकार की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक 1950 में तिरंगे को 31 तोपों की सलामी दी गई थी, जबकि 1971 में व्यवस्था में बदलाव हुआ और 21 तोपों की सलामी दी जाने लगी। खास बात यह है कि तोपों से ये 21 गोले महज 52 सेकंड की अवधि में दागे जाते हैं क्योंकि इतनी ही देर में राष्ट्रगान पूरा हो जाता है। इसमें भी 21 तोपों की सलामी देने के लिए केवल सात तोपों का इस्तेमाल किया जाता है। एक और तोप होती है, जो रिजर्व में रहती है। यानी सलामी के वक्त कुल आठ तोपें मौजूद रहती हैं। इनमें से सात का इस्तेमाल सलामी देने के लिए किया जाता है।
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