Indian economy : भारत की अर्थव्यवस्था में बढ़ोत्तरी की संभावना, जानें विदेशों पर क्या पड़ेगा प्रभाव
- Renuka
- November 16, 2024
Indian economy: भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) तमाम मुश्किलों (difficulties) के बाद भी तेज गति से आगे बढ़ रही है। और इसकी आर्थिक प्रगति (economic progress) को दुनिया की प्रमुख कंपनियों, वैश्विक एजेंसियों (global agencies) और वर्ल्ड बैंक (World Bank) द्वारा सराहा जा चुका है। अब रेटिंग एजेंसी (rating agency) क्रिसिल ने अपनी ताजातरीन रिपोर्ट में भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर महत्वपूर्ण बातें उजागर की हैं। वहीं भारत की सालाना जीडीपी (GDP) में बढ़ोतरी का रुझान मुख्य रूप से पूंजीगत खर्च और उत्पादकता में सुधार के कारण देखने को भी मिलेगा।
भारत की अर्थव्यवस्था में बढ़ोत्तरी
बता दें कि एक रिपोर्ट के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index) आधारित महंगाई दर 2024-25 में औसतन 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जो पिछले साल के 5.4 प्रतिशत के औसत से कम है। सैथ ही रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि- मौसम की अनिश्चितताएँ और भू-राजनीतिक अस्थिरता (geopolitical instability) विकास और महंगाई के लिए प्रमुख जोखिमों के रूप में देखी जा रही हैं। इस वर्ष खरीफ की बुआई में वृद्धि हुई है, लेकिन बेमौसम बारिश के प्रभाव का आकलन अभी बाकी है। बताया गया कि- चालू वित्त वर्ष के शेष समय में प्रतिकूल मौसम (weather) की स्थिति खाद्य महंगाई और कृषि आय के लिए लगातार चुनौती बनी रह सकती है।
महंगाई में कमी की संभावना
ईटी-क्रिसिल इंडिया प्रोग्रेस रिपोर्ट (India Progress Report) में यह कहा गया है कि- केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे को कम करने के प्रयासों का विकास पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई देना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित महंगाई दर 2024-25 में औसतन 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के औसत 5.4 प्रतिशत से कम है। साथ ही ग्लोबल स्थितियों और जियो-पॉलिटिकल टेंशन में किसी भी तरह की बढ़ोतरी से सप्लाई चेन में बाधा पैदा हो सकती है।
डॉलर की इकोनॉमी
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Rating agency Crisil) ने अपनी एक रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि 2031 तक भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian economy) का आकार 7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा। इस दौरान, देश की जीडीपी की औसत वार्षिक वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वित्त वर्ष 2025 से 2031 तक की वार्षिक विकास दर, महामारी से पहले के दशक (2011-2020) की औसत वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत के समान होगी। इस वृद्धि का मुख्य कारण पूंजीगत खर्च और उत्पादकता में सुधार को बताया गया है।
बढ़ोत्तरी के चलते विदेशों पर क्या प्रभाव
जानकारी के मुताबिक यह अनुमान लगाया जा रहा है कि देशों के बीच कारोबार-व्यापार में रुकावट हो सकता है और कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। साथ ही वैश्विक परेशानी से देश की महंगाई दर पर असर पड़ सकता है और इनपुट लागत बढ़ने की संभावना है।
क्या होगी GDP
रिपोर्ट के अनुसार अनुमान जताया गया है कि 2023-24 के लिए भारत की जीडीपी विकास दर 6.8 प्रतिशत रह सकती है। इसका मुख्य कारण उच्च ब्याज दरें और सख्त लेंडिंग नियम हैं, जिनकी वजह से शहरी मांग पर दबाव पड़ा है। ईटी-क्रिसिल इंडिया प्रोग्रेस रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि केंद्र सरकार के राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए उठाए गए कदमों का असर भी आर्थिक विकास पर दिखाई दे सकता है।
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