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Delhi NCR Hazardous Life : गैस चैंबर बनता एनसीआर! दिल्ली में टूटा पिछले चार साल का रिकॉर्ड

Delhi NCR Hazardous Life : गैस चैंबर बनता एनसीआर! दिल्ली में टूटा पिछले चार साल का रिकॉर्ड


Delhi NCR Hazardous Life : सर्दियां अभी पूरी तरह आई नहीं हैं लेकिन प्रदूषण ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है। खासकर दिल्ली-NCR में प्रदूषण काफी खतरनाक स्तर पर है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2024 में भारत के 10 सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली-एनसीआर के थे। दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि GRAP लागू होने के बावजूद राजधानी में प्रदूषण कम नहीं हुआ।

 

दिल्ली के प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्य जिम्मेदार
रिपोर्ट में बताया गया है कि अक्टूबर 2024 में दिल्ली में PM2.5 का स्तर 111 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, जो पिछले चार सालों के अक्टूबर महीनों से भी है। CREA ने बताया कि दिल्ली के प्रदूषण में 60-70% हिस्सा पड़ोसी राज्यों से आने वाले धुएं का है, जबकि पराली जलाने से केवल 10% प्रदूषण होता है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अक्टूबर 2024 में भारत के 10 सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली-एनसीआर में थे। दिल्ली इस सूची में सबसे ऊपर था, जहां औसत PM2.5 का स्तर 111 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। इसके बाद गाजियाबाद (110) और मुज़फ्फरनगर (103) का नंबर आता है।

 

यूपी-हरियाणा में भी प्रदूषण बढ़ा
CREA (Centre for Research on Energy and Clean Air) ने हाल ही में 263 भारतीय शहरों के प्रदूषण के आंकड़ों का अध्ययन किया रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 अक्टूबर से ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू होने के बावजूद, दिल्ली-एनसीआर के शहरों में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा रहा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चेन्नई, मुंबई, कोलकाता और बेंगलुरु जैसे अन्य बड़े शहर अक्टूबर में PM2.5 के स्तर को राष्ट्रीय मानक से नीचे रखने में कामयाब रहे।

 

रिपोर्ट में यूपी के 6 शहर शामिल
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस साल पहली बार उत्तर प्रदेश के छह शहर टॉप 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हुए। इसके बाद हरियाणा के तीन शहरों का नंबर आता है। CREA के विश्लेषक मनोज कुमार ने कहा कि दिल्ली में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए बनी प्रणाली के अनुसार, अक्टूबर में दिल्ली में PM2.5 प्रदूषकों का 60-70% हिस्सा पड़ोसी राज्यों से आया था, जबकि 10% से भी कम प्रदूषण पराली जलाने से हुआ था।

 

हर दिन प्रदूषण स्तर में इजाफा
प्रदूषण की रोकथाम को लेकर तमाम दावे तो किये जा रहे हैं, लेकिन हर दिन प्रदूषण स्तर में हो रहा इजाफा सरकार और प्रशासन के दावों की पोल खोलता हुआ नजर आ रहा है। दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का मुख्य कारण पश्चिम उत्तर प्रदेश और पंजाब हरियाणा में जल रही पराली, वाहनों से निकलने वाला धुआं और हवा की स्वस्थ रफ्तार है। औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएं का भी प्रदूषण स्तर टार को बढ़ाने में अहम योगदान है। फिलहाल दिल्ली एनसीआर के हालात बदत्तर हो रहे हैं। आने वाले दिनों में दिल्ली एनसीआर के लोगों को प्रदूषण से राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।

 

सांस के मरीजों की बढ़ी संख्या 
दिल्ली एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स में हो रही रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी के चलते अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। गाजियाबाद के जिला एमएमजी अस्पताल और संयुक्त अस्पताल में सांस के मरीजों की संख्या सामान्य दिनों की तुलना में तीन गुना तक पहुंच गई है। जो लोग पहले से अस्थमा की बीमारी से ग्रसित हैं उनके लिए प्रदूषण बेहद खतरनाक साबित हो रहा है। प्रदूषण ने बीमार लोगों को घरों में कैद कर दिया है।

 

दिल्ली में टूटा पिछले चार साल का रिकॉर्ड
पिछले चार वर्षों के अक्टूबर महीनों की तुलना में इस साल अक्टूबर में दिल्ली में सबसे ज़्यादा प्रदूषण का स्तर दर्ज किया गया है। इस साल अक्टूबर में मासिक औसत PM2.5 स्तर 111 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था, जबकि 2023 में यह 104, 2022 में 105, 2021 में 75 और 2020 में 133 था। इसके अलावा, इस साल का अक्टूबर महीना औसत सितंबर महीने (43 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) की तुलना में 2.5 गुना ज़्यादा प्रदूषित था।
अक्टूबर 2024 में, 14 दिनों (121-250 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) तक हवा की गुणवत्ता 'बहुत ख़राब', चार दिन (91-120 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) 'ख़राब' और आठ दिन (61-90 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) 'मध्यम' श्रेणी में रही। राष्ट्रीय मानक (60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) केवल 5 दिनों के लिए ही पूरा हो पाया।

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