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Delhi : दिल्ली में मिला पहला जापानी इंसेफेलाइटिस का मरीज, जानें किस प्रकार फैलती है जापानी इंसेफ्लाइटिस बीमारी

Delhi : दिल्ली में मिला पहला जापानी इंसेफेलाइटिस का मरीज, जानें किस प्रकार फैलती है जापानी इंसेफ्लाइटिस बीमारी

Japanese Encephalitis Patient :  दिल्ली में जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) का पहला मामला सामने आया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार- इस बीमारी से पीड़ित मरीज को इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। मरीज को 3 नवंबर को सीने में दर्द की शिकायत के बाद एम्स में भर्ती कराया गया था।


जापानी इंसेफेलाइटिस का पहला केस
वेस्ट दिल्ली के बिंदापुर क्षेत्र में रहने वाले 72 वर्षीय एक व्यक्ति को जापानी इंसेफ्लाइटिस (JE) होने की पुष्टि हुई है। बताया जा रहा है कि- उन्हें 3 नवंबर को सीने में दर्द की शिकायत के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था। नगर स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को 13 साल के बाद दिल्ली में जापानी इंसेफेलाइटिस का पहला केस दर्ज होने की पुष्टि की है।


MCD ने स्वास्थ्य अधिकारियों को दिए निर्देश
वहीं, दिल्ली नगर निगम (MCD) के स्वास्थ्य विभाग ने तत्परता दिखाते हुए सभी जिला स्वास्थ्य अधिकारियों और महामारी विशेषज्ञों को लार्वा नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) के प्रसार को रोकने के लिए व्यापक जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई गई है। मच्छरों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाने की योजना बनाई गई है, ताकि इस रोग के फैलाव को समय रहते नियंत्रित किया जा सके।


क्या है जापानी इंसेफ्लाइटिस?
जापानी इंसेफ्लाइटिस (JE) एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो क्यूलेक्स मच्छरों के काटने से फैलता है। यह वायरस मस्तिष्क को प्रभावित करता है और इसके कारण बुखार, सिरदर्द, उल्टी, भ्रम, मिर्गी, और कभी-कभी लकवे जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। यह संक्रमण खासतौर पर एशिया के ग्रामीण इलाकों में पाया जाता है, जहां मानसून के मौसम में मच्छरों का प्रजनन बढ़ जाता है, जिससे इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।


IDSP के अनुसार 2024 के आंकड़े
बता दें कि 2024 में, इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम (IDSP) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में जापानी इंसेफ्लाइटिस के कुल 1,548 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से सबसे अधिक, यानी 925 मामले असम राज्य से सामने आए। यह आंकड़े इस वायरस की बढ़ती चिंता को दर्शाते हैं और यह इस बात का संकेत भी हैं कि इस संक्रमण के खतरे को गंभीरता से लेने की जरूरत है।


इस बीमारी के लक्षण
जापानी इंसेफ्लाइटिस के लक्षण पहले तो हल्के हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ इनकी गंभीरता बढ़ सकती है। शुरुआत में तेज बुखार, सिरदर्द और उल्टी जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। इसके अलावा, दिमागी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे कि मस्तिष्क में सूजन के कारण बेहोशी, दौरे या बोलने और समझने में कठिनाई। ये लक्षण आम तौर पर मामूली लग सकते हैं, लेकिन जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, ये लक्षण गंभीर हो सकते हैं और मरीज की जान को खतरा हो सकता है।


क्या है इसके बचाव का उपाय
जापानी इंसेफ्लाइटिस (JE) से बचाव के लिए सबसे प्रभावी उपाय इसका टीकाकरण है। 2013 से, भारतीय सरकार ने इस वायरस के खिलाफ दो डोज़ वाली वैक्सीनेशन को अपने यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (UIP) का हिस्सा बनाया है, जिससे बच्चों को इस खतरनाक संक्रमण से बचाया जा सके। इसके अलावा, जो राज्य विशेष रूप से इस बीमारी से प्रभावित हैं, वहां वयस्कों के लिए भी टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया गया है।
वहीं विशेषज्ञों के अनुसार- जापानी इंसेफ्लाइटिस का कोई विशेष इलाज नहीं है, और यह बीमारी मानव-से-मानव संपर्क से नहीं फैलती। हालांकि, बीमारी की जल्दी पहचान और सहायक उपचार (जैसे कि बुखार और अन्य लक्षणों को नियंत्रित करना) से मरीज की हालत में सुधार किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि संक्रमण का खतरा कम से कम हो, टीकाकरण और मच्छरों से बचाव के उपायों का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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