
Earthquake : नेपाल में 4.8 तीव्रता के भूकंप के झटके, आखिर क्यों आता है भूकंप?
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Renuka
- December 21, 2024
Jumla : नेपाल में शनिवार सुबह 4.8 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया। भारतीय समयानुसार यह भूकंप 3:59 बजे आया, और इसका केंद्र जुम्ला जिले में 10 किलोमीटर की गहराई पर था। इस भूकंप के बाद अभी तक किसी भी प्रकार के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं मिली है।
NCS ने की पुष्टि
नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी (NCS) ने पुष्टि की है कि भूकंप का केंद्र नेपाल के जुम्ला जिले में था और इसके झटके आसपास के क्षेत्रों में भी महसूस किए गए। USGS के मुताबिक, इस भूकंप का असर जुम्ला, दिपायल, दैलेख, बीरेंद्रनगर और डडेलधुरा जैसे इलाकों में देखा गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि भूकंप के झटके कुछ सेकंड्स तक महसूस किए गए, लेकिन अब तक किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं आई है। इससे पहले नेपाल में 17 और 19 दिसंबर को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे।
नेपाल में लगातार भूकंप के झटके
नेपाल जो एक पहाड़ी देश है, में भूकंप आना सामान्य है। 17 और 19 दिसंबर को भी यहां भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। 19 दिसंबर को नेपाल के पार्शे से 16 किलोमीटर दूर 4.2 तीव्रता का भूकंप आया, जबकि 17 दिसंबर को मेलबिसौनी से 23 किलोमीटर दूर 4.4 तीव्रता के झटके महसूस हुए थे।
नेपाल में खौफनाक भूकंप
नेपाल ने पिछले कुछ वर्षों में गंभीर भूकंपों का सामना किया है। नवंबर 2023 में 6.4 तीव्रता के भूकंप ने नेपाल में भारी तबाही मचाई, जिसमें 150 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा बैठे। इस भूकंप का केंद्र पश्चिमी नेपाल के जारकोट और रुकुम जिलों में था, जहां बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ। कई लोग घायल हुए, दर्जनों घरों में दरारें आ गईं, और कई घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे।
किन क्षेत्रों में भूकंप का ज्यादा खतरा
भारत को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा पांच भूकंप जोनों में विभाजित किया गया है, जिसमें देश का लगभग 59 प्रतिशत क्षेत्र भूकंप जोखिम वाले जोनों में आता है। इन जोनों को भूकंप के खतरे के अनुसार क्रमबद्ध किया गया है, और सबसे खतरनाक जोन को पांचवां जोन माना गया है। इस पांचवें जोन में भारत के कुल क्षेत्रफल का 11 प्रतिशत हिस्सा शामिल है।
क्यों आता है भूकंप?
धरती 7 मुख्य प्लेटों से मिलकर बनी है, जो निरंतर गतिशील रहती हैं। इस प्रक्रिया को प्लेट टेक्टोनिक्स या प्लेट विवर्तनिकी कहा जाता है। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, तो इसके परिणामस्वरूप फॉल्ट लाइन्स और जोन बनते हैं। इन प्लेटों के टकराने के कारण कोने मुड़ने लगते हैं और जब दबाव बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो प्लेटों के टूटने का खतरा भी उत्पन्न होता है। इस तरह की स्थिति में अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो धरती की सतह से बाहर निकलने की कोशिश करती है। यही कारण है कि कभी-कभी धरती अचानक कांपने लगती है और भूकंप के झटके महसूस होते हैं।
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