
Diwali Vastu Tips: मां लक्ष्मी और भगवान की चौकी किस दिशा में रखें? क्या है पूजा शुभ मुहूर्त?
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Anjali
- October 27, 2024
Diwali Vastu Tips: कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। सनातन धर्म में यह पर्व लगातार 5 दिनों तक चलता है, जिसमें प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व है। इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। इस बार दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर 2024 को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा से घर में खुशियों का आगमन होता है। मां लक्ष्मी धन, समृद्धि और सुख का प्रतीक मानी जाती हैं, जबकि भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं और सभी कार्यों में शुभता लाते हैं। साथ ही, परिवार को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। हालांकि, पूजा के दौरान शास्त्रों में वर्णित कुछ नियमों का पालन करना चाहिए। ऐसा ही नियम लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति को लेकर भी है।
कई लोग मां लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियों को किसी भी दिशा में रख देते हैं, जो कि गलत है। ऐसा करने से जातक पर गलत प्रभाव पड़ सकता है। अब सवाल है कि आखिर दिवाली पूजा के दौरान मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा को किस दिशा में विराजमान करें? किस दिशा में लगाएं लक्ष्मी-गणेश की चौकी? दिवाली पर पूजा का शुभ क्या है?
दिवाली पर इस दिशा में करें पूजा
ज्योतिर्विद एवं वास्तु विशेषज्ञ राकेश चतुर्वेदी के मुताबिक, दिवाली पूजा के दौरान दिशा का विशेष ध्यान रखें। ऐसा माना जाता है कि गलत दिशा का चयन करने से जातक शुभ फल की प्राप्ति से वंचित रहता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना उत्तर या पूर्व दिशा में करना सबसे उत्तम है। ऐसा करने वाले जातकों की सभी मुरादें पूरी होती है और मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। घर में धन-धान की कमी नहीं रहती है।
दिवाली की डेट और शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होगी और 01 नवंबर को शाम 05 बजकर 53 मिनट तक रहेगी। दिवाली के त्योहार में उदया तिथि नहीं, बल्कि प्रदोष काल का विचार किया जाता है। प्रदोष काल 31 अक्टूबर को ही मिल रहा है, 1 नवंबर को नहीं। इसलिए दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाना उत्तम रहेगा।
दिवाली पर ऐसे करें पूजा
मंदिर को पूर्ण रूप से व्यवस्थित और साफ करें। इसके बाद कलश को सजाएं उसमें जल, गंगाजल, सुपारी, आदि डालें. हाथ में फूल और अक्षत लेकर मां लक्ष्मी का ध्यान करें। देवी का ध्यान करते उन्हें दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं।
पूजा के लिए ऐसी मूर्ति का करें चयन
ज्योतिषाचार्य बताते है कि, पूजा के समय मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा को विराजमान करें, लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रखें कि मूर्ति कहीं से खंडित नहीं होनी चाहिए। मां लक्ष्मी की मूर्ति आशीर्वाद की मुद्रा में होनी चाहिए. वास्तु शास्त्र के अनुसार, भगवान गणेश की ऐसी प्रतिमा का चयन करें, जिसमे उनकी सूंड़ बाईं ओर घूमी हुई हो।
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