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Banke Bihariji 20 February Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि

Banke Bihariji 20 February Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि

Banke Bihariji 20 February Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन। हिन्दू पंचांग के अनुसार आज गुरुवार 20 फरवरी को फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। इस शुभ अवसर पर कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी और शबरी जयंती मनाई जा रही है। मासिक कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जा रही है। साथ ही उनके निमित्त कालाष्टमी का व्रत रखा जा रहा है। काल भैरव देव की पूजा करने से जीवन में व्याप्त समस्त प्रकार के दुख, भय और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होता है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर ध्रुव योग का संयोग बन रहा है। इस योग में महादेव की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही काल भैरव देव की कृपा बरसेगी।

 

आज का पंचांग- 20 फरवरी 2025

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 55 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 15 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 14 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 28 मिनट से 03 बजकर 14 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 12 मिनट से 06 बजकर 38 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 10 बजे तक
राहुकाल - दोपहर 02 बजे से 03 बजकर 25 मिनट तक
गुलिक काल - सुबह 09 बजकर 45 मिनट से 11 बजकर 10 मिनट तक
दिशा शूल - दक्षिण

 

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ताराबल

भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती

 

चन्द्रबल

वृषभ, मिथुन, कन्या, वृश्चिक, मकर, कुम्भ

 

काल भैरव के मंत्र
1. ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।

2. ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्रीं।

3. ॐ ह्रीं बटुक! शापम विमोचय विमोचय ह्रीं कलीं।

4. र्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम् ।

द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये ।।

5. ॐ नमो भैरवाय स्वाहा।

 

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योग

ज्योतिषियों की मानें तो फाल्गुन माह की कालाष्टमी पर ध्रुव, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, शिववास का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही बव, बालव एवं कौलव करण के संयोग हैं। वहीं, विशाखा और अनुराधा नक्षत्र में कालाष्टमी मनाई जाएगी। इन योग योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलेगा।

 

निधिवन में प्रकट हुए बांके बिहारी जी

संत हरिदास जी निधिवन में अपनी बांसुरी और स्वर माधुर्य से राधा-कृष्ण की लीलाओं का गान करते थे। कहा जाता है कि एक दिन जब वे भक्ति और प्रेम में डूबकर भजन गा रहे थे, तो राधा-कृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं उनके सामने प्रकट हुए। संत हरिदास जी ने जब भगवान का यह दिव्य रूप देखा, तो उनसे प्रार्थना की कि वे एक रूप में प्रकट होकर हमेशा भक्तों के बीच रहें। उनकी प्रार्थना पर भगवान राधा-कृष्ण ने एक दिव्य मूर्ति का रूप धारण किया। यह मूर्ति बांके बिहारी जी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

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