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सिर्फ ₹3 सालाना कमाई, सतना के किसान का सर्टिफिकेट हुआ वायरल

सिर्फ ₹3 सालाना कमाई, सतना के किसान का सर्टिफिकेट हुआ वायरल

सतना से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश को हैरत में डाल दिया है। यहां सतना का किसान रामस्वरूप को तहसील कार्यालय से ऐसा आय प्रमाण पत्र जारी किया गया, जिसमें उसकी सालाना आय मात्र ₹3 सालाना कमाई बताई गई। इस अजीबोगरीब दस्तावेज ने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया है और किसान का सर्टिफिकेट वायरल हो गया है।

 

सिर्फ 3 रुपये की सालाना आय!

आप सोच भी नहीं सकते कि किसी इंसान की सालाना कमाई सिर्फ 3 रुपये हो सकती है। अगर इसका मासिक हिसाब लगाया जाए तो मात्र 25 पैसे प्रति माह! और ऐसा हुआ भी है, वो भी एक सरकारी दस्तावेज के जरिए। भारत का सबसे गरीब व्यक्ति माने जाने की इस असंभव स्थिति को प्रशासन की भारी चूक माना जा रहा है। यह घटना सतना जिले की कोठी तहसील के नायगांव गांव की है, जहाँ के किसान रामस्वरूप ने यह प्रमाण पत्र बनवाया था।

 

आय प्रमाण पत्र ने उड़ाए होश

सतना का किसान रामस्वरूप जब अपना आय प्रमाण पत्र लेने कोठी तहसील पहुँचा, तो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उस दस्तावेज़ में उसकी सालाना आमदनी मात्र 3 रुपये दर्ज थी। यही नहीं, इस सर्टिफिकेट पर तहसीलदार सौरभ द्विवेदी के हस्ताक्षर भी मौजूद थे। कुछ ही देर में किसान का सर्टिफिकेट वायरल हो गया और लोग इसे देख कर सवाल उठाने लगे कि क्या अब सरकारी सर्टिफिकेट्स की विश्वसनीयता भी मज़ाक बन चुकी है?

 

तहसील कार्यालय की कार्यप्रणाली पर सवाल

प्रमाण पत्र में साफ लिखा गया था कि यह जानकारी आवेदक द्वारा प्रस्तुत घोषणा-पत्र पर आधारित है। लेकिन सवाल यह उठता है कि बिना किसी सत्यापन के इस तरह की हास्यास्पद जानकारी कैसे प्रमाणित की जा सकती है? यह घटना सिर्फ एक MP किसान इनकम रिपोर्ट नहीं बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की भी गवाही दे रही है।

 

सोशल मीडिया पर मचा बवाल, दोबारा जारी हुआ प्रमाण पत्र

जब यह मामला सोशल मीडिया पर जोर पकड़ने लगा और किसान का सर्टिफिकेट वायरल हो गया, तब रामस्वरूप ने फिर से तहसील में शिकायत दर्ज कराई। तहसील कार्यालय ने 25 जुलाई को एक नया आय प्रमाण पत्र जारी किया, जिसमें उसकी वार्षिक आय ₹30,000 दर्शाई गई है यानी लगभग ₹2,500 प्रति माह। अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या प्रशासन की ऐसी गलती किसी गरीब की योजनाओं के लाभ को भी छीन सकती है?

 

प्रशासन ने मानी गलती

इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कोठी तहसीलदार सौरभ द्विवेदी ने सफाई दी कि यह "एक लिपिकीय त्रुटि" थी, जिसे सुधार लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि गलती से ₹3 सालाना कमाई दर्ज हो गई थी, जिसे अब सही कर दिया गया है। हालांकि, लोगों में अब भी इस बात को लेकर नाराज़गी है कि एक मामूली MP किसान इनकम रिपोर्ट को तैयार करने में इतनी बड़ी चूक कैसे हो सकती है।

 

इस पूरी घटना ने यह साबित कर दिया है कि भारत में प्रशासनिक लापरवाही किस हद तक एक गरीब को भारत का सबसे गरीब व्यक्ति बना सकती है। सतना का किसान रामस्वरूप शायद इस गलती पर मुस्करा रहा होगा, लेकिन देश की प्रशासनिक व्यवस्था पर यह एक बड़ा प्रश्नचिह्न बन चुका है। भविष्य में ऐसी त्रुटियों से बचना न केवल जरूरी है बल्कि यह भी तय करना होगा कि असली जरूरतमंदों तक सरकारी योजनाओं का लाभ समय पर और सही तरीके से पहुंचे।

 

 

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