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भारत में फिर से स्वदेशी फाइटर इंजन पर शुरू हो सकता है काम, इन 3 कंपनियों से साझेदारी पर चल रही बात

भारत में फिर से स्वदेशी फाइटर इंजन पर शुरू हो सकता है काम, इन 3 कंपनियों से साझेदारी पर चल रही बात

Indian Fighter Jet Engine : जब कभी भी किन्हीं देशों के बीच में युद्ध होता है, तो उसमें फाइटर जेट विमान दुश्मन पर हमला कर परास्त करने में काफी अहम भूमिका निभाते हैं। हालांकि दुनिया के कुछ ही देश इन फाइटर जेट का उत्पादन करने में सक्षम हैं क्योंकि फाइटर जेट बनाना बहुत मुश्किल का काम है। इसके लिए मैकेनिकल, मेटलर्जिकल और इलेक्ट्रिकल जैसी इंजीनियरिंग फील्ड में काम करने की एक्सपर्टीज होना जरूरी है।

 

कावेरी नदी के नाम पर रखा गया था फाइटर जेट इंजन का नाम

भारत ने भी साल 1989 में कावेरी नाम के एक जेट इंजन बनाने की कोशिश की थी। लेकिन उसमें भारत को उम्मीद के मुताबिक सफलता हासिल नहीं हो पाई थी। इस फाइटर इंजन का नाम दक्षिण भारत में बहने वाली कावेरी नदी के नाम पर रखा गया था।

 

भारतीय सेना में स्वदेशीकरण को बढ़ावा दे रही मोदी सरकार

वहीं अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार का पूरा फोकस भारतीय सेना में खास तौर पर स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने पर है, ताकि भारत की युद्ध सामग्री के मामले में विदेशों पर निर्भरता को कम किया जा सके। सैन्य जेट विमान के इंजन बनाना इस दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण कदम साबित होने जा रहा है।

 

दुनिया में सिर्फ 5 ही देश बना रहे हैं फाइटर जेट का इंजन

बता दें दुनिया में सिर्फ 5 ही देश ऐसे हैं जो वर्तमान में सैन्य विमानों के लिए फाइटर इंजन बनाते हैं। इस प्रकार का एडवांस इंजन बनाने की क्षमता रखने वाले देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन के नाम शामिल हैं। ये सभी राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो पावर भी रखते हैं। वहीं हाल ही में चीन ने भी एक स्वदेशी इंजन के साथ लड़ाकू विमान का परीक्षण किया है, लेकिन इससे पहले तक वह इसके लिए रूस के उपकरणों पर निर्भर रहा है।

 

कावेरी इंजन बनाने का अनुभव आएगा काम

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने कावेरी इंजन का निर्माण करने की कोशिश जरूर की थी, लेकिन यह प्रयास पूरी तरह सफल नहीं रहा। ऐसे में अब चर्चाएं हैं कि भारत अब इस इंजन कावेरी का इस्तेमाल भविष्य के मानव रहित हवाई विमानों में कर सकता है। साथ ही यह भी बताना जरूरी है कि भारत का स्वदेशी फाइटर इंजन बनाने की कोशिशें अभी भी जारी हैं। क्योंकि कावेरी इंजन को विकसित करने में भारतीय वैज्ञानिकों और एयरोनॉटिकल इंजीनियर्स को जो अनुभव हासिल हुए, उनसे सबक लेते हुए मेक इन इंडिया फाइटर इंजन बनाने पर काम किया जा रहा है।

 

3 प्रमुख कंपनियां भारत के साथ साझेदारी की होड़ में शामिल

जानकारों की मानें तो इसके लिए 3 प्रमुख कंपनियां भारत के साथ साझेदारी की दौड़ में शामिल बताई जा रही हैं। इनमें अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक, ब्रिटेन की रोल्स रोयस और फ्रांस की सफ्रान शामिल हैं। ऐसे में अगर यह करार होता है, तो रक्षा क्षेत्र के साथ ही इन देशों से भारत की नागरिक उद्योग की दिशा में भी साझेदारी बढ़ने की संभावनाएं हैं।

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