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आखिर क्या है कांगो फीवर, जोधपुर में मिला पहला मामला

आखिर क्या है कांगो फीवर, जोधपुर में मिला पहला मामला

Edited by Renuka

देशभर में कांगो फीवर लगातार फैल रहा है। वहीं इस फीवर के कारण जोधपुर की महिला की मौत हो गई। एक मौत की पुष्टि होने के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने देशभर में इस बीमारी की रोकथाम और बचाव के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अहमदाबाद केएनएचएल म्युनिसिपल मेडिकल कॉलेज में उपचाराधीन कांगो फीवर से पीड़ित जोधपुर निवासी 51 वर्षीय महिला की बुधवार को मौत हो गई। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे में हुई जांच में महिला का सैंपल पॉजिटिव पाया गया।

जनस्वास्थ्य निदेशक डॉ. रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि- जोधपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को प्रभावित क्षेत्र में रेपिड रेस्पॉन्स टीम भेजकर संक्रमण की रोकथाम के लिए निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, क्षेत्र में संदिग्ध एवं सिम्पटोमेटिक रोगियों की ट्रेसिंग कर उन्हें आइसोलेशन में रखने को कहा गया है।

डॉक्टर्स का कहना है कि-फीवर एक जूनोटिक वायरल डिजीज है, जो टिक (पिस्सू) के काटने से होती है। इसे देखते हुए पशुपालन विभाग को इस बीमारी से बचाव एवं रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि प्रदेशभर में इस बीमारी की रोकथाम एवं बचाव के लिए सभी सुरक्षात्मक कदम उठाने तथा आमजन को जागरूक करने के भी निर्देश दिए गए हैं, ताकि संक्रमण का प्रसार नहीं हो। सभी निजी एवं राजकीय चिकित्सा संस्थानों को निर्देशित किया गया है कि किसी व्यक्ति में कॉन्गो फीवर के लक्षण नजर आएं, तो तत्काल प्रभाव से सैम्पल लेकर जांच के लिए भिजवाएं। साथ ही, चिकित्सा विभाग को इसकी सूचना दें।


क्या है? कांगो फीवर 
यह एक विषाणुजनित रोग है। यह वाइरस पूर्वी एवं पश्चिमी अफ्रीका में बहुत पाया जाता है। जे कि ह्यालोमा टिक से पैदा होता है। यह वायरस सबसे पहले 1944 में क्रीमिया नामक देश में पहचाना गया। फिर 1969 में कांगो में रोग दिखा। तभी इसका नाम सीसीएचएफ पड़ा। फिर 2001 में पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका एवं ईरान में भी इसका प्रकोप बढ़ा।
यह बीमारी पशुओं की चमड़ी से चिपके रहने वाला ‘हिमोरल’ नामक परजीवी रोग का वाहक है। इसलिए इसकी चपेट में आने का खतरा उन लोगों को ज्यादा है जो गाय, भैंस, बकरी, भेड़ एवं कुत्ता आदि के संपर्क में रहते हैं।


कांगो बीमारी के लक्षण
इस बीमारी के मरीज को आमतौर पर हल्के और फ्लू जैसे होते हैं। जैसे- बुखार, मांसपेशियों में दर्द, अकड़न और चक्कर आना। साथ ही कांगो की चपेट में आने वाले मरीजों में मतली, उल्टी, गले में खराश, पेट में दर्द और मूड में उतार-चढ़ाव हो सकता है। वहीं 2 से 4 दिनों के बाद थकान के लक्षण दिखाई देते हैं।


कांगो से बचने के उपाय
सबसे पहले जानवरों से दूरी बनाएं रखें। जानवरों के आस-पास की जगह को साफ सुथरा रखें। और कीड़ों को दूर करने के लिए छिड़काव करें, आसपास गंदगी को जमा न होने दें साथ ही हल्का बुखार आने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। और डॉक्टर की सलाह लें ।

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