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सीरिया से लौटे भारतीयों ने सुनाई आपबीती, विदेश मंत्रालय का किया शुक्रिया

सीरिया से लौटे भारतीयों ने सुनाई आपबीती, विदेश मंत्रालय का किया शुक्रिया

संकटग्रस्त सीरिया से निकाले जाने के बाद स्वदेश लौटे भारतीय नागरिकों के एक समूह ने वहां की भयावह स्थिति के बारे में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने सीरिया के हालात पर अपनी आपबीती सुनाई और भारतीय दूतावास की मदद और लगातार संपर्क की भी सराहना की।

 

चंडीगढ़ के एक व्यक्ति ने सुनाई आपबीती

चंडीगढ़ के एक मैकेनिकल इंजीनियर ने सीरिया से लौटे लोगों से कहा कि कुछ असामाजिक तत्व सड़कों पर सामान लूट रहे थे। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही खराब स्थिति थी और गोलीबारी और बमबारी की आवाजें स्थिति को और भी भयावह बना रही थीं। उन्होंने कहा कि हालांकि, भारतीय दूतावास लगातार संपर्क में था और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने हमें शांत रहने और दरवाजे न खोलने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि वे एक होटल में थे और स्थिति और खराब हो गई। सड़कों पर लोग बेकाबू हो गए और लूटपाट भी शुरू हो गई। इसके साथ ही कपूर ने भारतीय दूतावास की मदद की सराहना की और कहा कि इसकी वजह से हमें आसानी से लेबनान भेजा गया और किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा।

 

गुड़गांव निवासी की कहानी

गुड़गांव निवासी ने बताया कि वह पिछले दस सालों से सीरिया में कांच की बोतल बनाने वाली कंपनी में काम कर रहा था। उन्होंने कहा कि वे तीन दिन तक दमिश्क में रहे और लेबनान तथा सीरियाई दूतावासों ने उनकी वापसी की यात्रा में मदद की।

 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का बयान

सीरिया से स्वदेश लौटे लोगों के बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा कि हमने सीरिया में मौजूद उन सभी भारतीय नागरिकों को निकाल लिया है जो हाल की घटनाओं के बाद स्वदेश लौटना चाहते थे। अब तक 77 भारतीय नागरिकों को निकाला जा चुका है। उन्होंने बताया कि दमिश्क स्थित भारतीय दूतावास के कर्मचारी उन्हें सीमा तक ले गए, फिर लेबनान स्थित भारतीय मिशन ने उनका स्वागत किया और उनकी आव्रजन प्रक्रिया को सरल बनाया।

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