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Haryana Politics : 15 से 17 अक्टूबर क्यों कर दी हरियाणा में शपथ ग्रहण की तारीख, पीएम मोदी की व्यस्तता या कुछ और है वजह ?

Haryana Politics : 15 से 17 अक्टूबर क्यों कर दी हरियाणा में शपथ ग्रहण की तारीख, पीएम मोदी की व्यस्तता या कुछ और है वजह ?

Haryana Politics : हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे (Haryana Election Results) घोषित हुए और भाजपा (BJP) लगातार तीसरी बार प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाब रही। इसके साथ ही नई सरकार के गठन को लेकर चर्चाएं शुरू हो गईं। पहले कहा गया कि हरियाणा के नए मुख्यमंत्री 15 अक्टूबर को शपथ लेंगे। इसके बाद दोबारा सूचना आई कि 15 अक्टूबर का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। इसकी बजाय अब यह कार्यक्रम 17 अक्टूबर को होगा। कार्यक्रम स्थगित क्यों किया गया, इसे लेकर अलग-अलग तरह के कयास लगाए जाने लगे। कहीं कहा गया कि 15 अक्टूबर को पीएम मोदी की व्यस्तताओं के चलते कार्यक्रम की तारीख बदली गई है। इसी तरह और भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे। वहीं अब जो वजह सामने आ रही है उसमें भाजपा की दूरदर्शिता की स्पष्ट झलक दिखाई देती है।

 

महर्षि वाल्मीकि के जरिए दलितों और राम भक्तों को साधने की कोशिश

दरअसल माना जा रहा है कि हरियाणा में नई भाजपा सरकार के शपथ ग्रहण (Swearing in Ceremony of New Government in Haryana) के लिए 17 अक्टूबर की तारीख काफी सोची-समझी रणनीति के तहत तय की गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके जरिए पार्टी की कोशिश एक बड़ा सियासी संदेश (Political Massage) देने की है। दरअसल 17 अक्टूबर को महाकाव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की जयंती (Maharshi Valmiki Jayanti) है। वाल्मीकि समाज के लोग वाल्मीकि जयंती (Birth Anniversary of Maharshi Valmiki) को उनके परगट दिवस के तौर पर मनाते हैं। ऐसे में देश के दलित वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी ने हरियाणा सरकार के शपथ ग्रहण का कार्यक्रम वाल्मीकि जयंती के दिन रखा है। वहीं क्योंकि महर्षि वाल्मीकि ने महाकाव्य रामायण (Ramayan) की रचना की थी, इसलिए इसके जरिए भाजपा एक बार फिर भगवान राम (Lord Ram) और रामायण के मुद्दे के जरिए वोटर्स को साधना चाहती है। बता दें हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने पहले से ही वाल्मीकि जयंती पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया हुआ है।

 

हरियाणा सरकार ने दलितों को साधने के लिए उठाए कई बड़े कदम

वहीं हरियाणा चुनाव (Haryana Election) से आगे की बात की जाए, तो आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में भी भाजपा दलित वोटर्स को साधने के लिए उपचुनाव (Uttar Pradesh By Election) की 10 में से 3 सीटों पर दलित चेहरों को टिकट देने पर विचार कर रही है। बता दें यह पहली बार नहीं है जब बीजेपी ने महर्षि वाल्मीकि को ध्यान में रखते हुए कोई फैसला किया हो। इससे पहले इसी साल जनवरी में अयोध्या (Ayodhya) में बनाए गए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम भी महर्षि वाल्मीकि के नाम पर रखा गया था। वहीं हरियाणा की सत्ता में आने के साथ ही महर्षि वाल्मीकि के योगदान का सम्मान करने के लिए भाजपा सरकार ने राज्य स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करना शुरू कर दिया था। इस दौरान हरियाणा की तत्कालीन मनोहर लाल खट्टर (Manohar Lal Khattar) की सरकार ने जून 2021 में कैथल यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कर दिया था। इसी तरह बीजेपी सरकार ने पानीपत में रेलवे रोड चौराहे का नाम महर्षि वाल्मीकि चौक रखने का ऐलान किया था। इसके अलावा हरियाणा में बीजेपी ने अन्य संतों के योगदान को भी मान्यता दी है। जून 2022 में सीएम मनोहर लाल खट्टर ने चंडीगढ़ स्थित मुख्यमंत्री आवास (Haryana CM House) को ‘संत कबीर कुटीर’ के नाम से पहचाने जाने की घोषणा की थी।

 

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