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गोमूत्र से होता है लाइलाज बीमारियों का इलाज

गोमूत्र से होता है लाइलाज बीमारियों का इलाज

घर में गोमूत्र छिड़कने के फायदे को हिन्दू धर्म में बहुत अधिक प्रयोग में लिया जाता है। घर में कोई पवित्र कार्य करना हो सबसे पहले गोमूत्र का प्रयोग किया जाता है। गोमूत्र के बारे में शास्त्रों में ही नहीं आधुनिक चिकित्सा पद्धति में भी बताया गया है

गोमूत्र का प्रयोग नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सकता है। घर में शांति समृद्धि के लिए भी प्रयोग में लिया जाता है लेकिन आज हम गोमूत्र से चिकित्सा में क्या क्या फायदा मिलता है

 

गोमूत्र औषधि

गोमूत्र का आयुर्वेद और अन्य शास्त्रों में चिकित्सकीय महत्व बताया गया है। गोमूत्र दर्दनिवारक होने के साथ ही गुल्म, पेट के रोग, आनाह, विरेचन कर्म, आस्थापन, वस्ति आदि बीमारियों का नाश करता है। आयुर्वेद में गोमूत्र से कुष्ठï तथा अन्य चर्म रोगों का उपचार किया जाता है। श्वास रोग,आंत्रशोथ, पीलिया भी गोमूत्र से नष्टï होते हैं। मुख रोग, नेत्र रोग, अतिसार, मूत्राघात, कृमिरोग का भी गोमूत्र से उपचार होता है। कान में दर्द होने पर गोमूत्र की दो-चार बूंदें डलने से कान का दर्द नष्टï होता है।

 

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खतरनाक रोगों में प्रभावकारी

आधुनिक चिकित्सा विज्ञानी गोमूत्र को हृदय रोग, कैंसर, टीबी, पीलिया, मिर्गी, हिस्टिरिया जैसे खतरनाक रोगों में प्रभावकारी मानते हैं। गोमूत्र का कृषि कीटनाशक के रूप में भी अब बहुत उपयोग होने लगा है। गोमूत्र चिकित्सा की प्राचीन विधियों में उसके बाह्य और आंतरिक दोनों प्रकार की बीमारियों के उपयोग की विधियां बताई गई हैं। आधुनिक चिकित्साशास्त्री गोमूत्र की तैयार दवाइयां भी बना रहे हैं

 

कीटनाशक है गोमूत्र

भारत के गांवों में घरों में गोबर से फर्श को लिपने और गो-मूत्र छिड़कने की परंपरा है। गोमूत्र को पवित्र माना जाता है क्योंकि उसमें कीटनाशक के गुण होते हैं। यही कारण है कि पूजा-पाठ से पहले गोबर से लेपन और गोमूत्र का छिड़काव किया जाता है। पूजा-पद्धतियों में पंचगव्य में गोमूत्र को भी शामिल किया गया है। गो-मूत्र में एसिड होता है जो बीमारियों के बैक्टिरियाज को मार देता है। इस कारण घर में गोबर से लिपने और गो-मूत्र छिड़कने की परंपरा थी। प्राचीन गोमूत्र चिकित्सक शास्त्रों में गोमूत्र से चिकित्सा करने वाले ऋषियों आदि का उल्लेख है। उनमें महर्षि पालकाव्य, ऋतुपर्ण, नल और नकुल प्रमुख हैं। इन ऋषियों ने विभिन्न ग्रंथों में गो-मूत्र पर बहुत लिखा है

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