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चीन के साथ भारत का रिश्ता जटिल क्यों है? S. Jaishankar ने एक लाइन में बताया कारण

चीन के साथ भारत का रिश्ता जटिल क्यों है? S. Jaishankar ने एक लाइन में बताया कारण

विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने हाल ही में भारत और चीन (Indo-China relations) के रिश्तों को लेकर एक अहम बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि चीन के साथ भारत का रिश्ता (Indo-China relations) इतना आसान क्यों नहीं रहा है। जयशंकर ने कहा कि इन संबंधों में कई जटिलताएँ हैं, जिनकी जड़ें ऐतिहासिक, भौगोलिक और राजनीतिक कारणों में हैं।

 

जयशंकर के अनुसार, चीन भारत का करीबी पड़ोसी है, लेकिन दोनों देशों की सीमाएं अभी भी पूरी तरह से निश्चित नहीं हैं। यह एक बड़ा कारण है, जो दोनों देशों के बीच तनाव का मुख्य आधार बनता है। उन्होंने कहा कि “चीन और भारत दो ऐसे देश हैं जिनकी आबादी एक अरब से अधिक है और दोनों की सभ्यताएं अलग-अलग तरीके से विकसित हुई हैं। चीन ने भारत से पहले आधुनिकीकरण (Modernization) की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, जबकि भारत को भी वह शुरुआत जल्द करनी चाहिए थी।”

 

विदेश मंत्री ने आगे कहा कि जब दो उभरती हुई शक्तियां पड़ोसी होती हैं, तो उनमें संतुलन बनाना बेहद मुश्किल हो जाता है। यही कारण है कि भारत-चीन के रिश्ते (Indo-China relations) जितने सतह पर दिखते हैं, असल में उससे कहीं ज्यादा जटिल हैं। इसमें आर्थिक, व्यापारिक और सीमा संबंधी पहलू शामिल हैं, जो इन संबंधों को और उलझा देते हैं।

 

पाकिस्तान के संदर्भ में बात करते हुए एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने कहा कि भारत किसी भी तरह के परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद के प्रति "जीरो टॉलरेंस" की नीति पर कायम है। जयशंकर ने ब्रुसेल्स में कहा, “यह केवल दो देशों के बीच संघर्ष नहीं है, बल्कि यह आतंकवाद के ख़िलाफ़ एक मजबूत जवाब है। इसे भारत-पाकिस्तान नहीं बल्कि भारत और ‘आतंकिस्तान’ के रूप में देखना चाहिए।”

 

इस तरह एस जयशंकर ने स्पष्ट कर दिया कि भारत न तो चीन की विस्तारवादी नीतियों के सामने झुकेगा और न ही पाकिस्तान की आतंकवादी चालों के आगे।

 

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