
PM-CM हटाने बिल पर विपक्ष में दरार: AAP ने JPC से किनारा, कांग्रेस पर बढ़ा दबाव
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Chhavi
- August 24, 2025
PM-CM हटाने वाला बिल: विपक्ष में नई खींचतान
भारत की राजनीति इस वक्त PM-CM हटाने वाला बिल को लेकर गर्माई हुई है। संसद में पेश किए गए इस बिल का मकसद यह है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री 30 दिन से ज्यादा हिरासत में रहते हैं तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा। इस प्रावधान की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति यानी JPC बनाई गई है। लेकिन इस समिति को लेकर विपक्षी राजनीति में गहरा विवाद सामने आ गया है। समाजवादी पार्टी (सपा), तृणमूल कांग्रेस (TMC) और अब आम आदमी पार्टी (AAP) ने JPC का हिस्सा बनने से साफ इनकार कर दिया है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि यह कानून संघीय ढांचे के खिलाफ है और किसी भी नेता को झूठे मामलों में फंसाकर पद से हटाने का हथियार बन सकता है। उन्होंने अपने कई नेताओं का उदाहरण देते हुए कहा कि लंबे समय तक जेल में रखे जाने के बावजूद ऐसे मामले अक्सर राजनीतिक होते हैं। वहीं, TMC सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने इस JPC को पूरी तरह "नौटंकी" बताते हुए कहा कि यह सिर्फ ध्यान भटकाने की कोशिश है। यही वजह है कि PM-CM हटाने वाला बिल विपक्ष के भीतर एक बड़े टकराव का कारण बन गया है।
JPC विवाद 2025: विपक्षी एकजुटता पर सवाल
JPC विवाद 2025 सिर्फ एक समिति की बहस नहीं है, बल्कि विपक्षी एकता की असली परीक्षा बन चुका है। पहले तृणमूल कांग्रेस और सपा ने इसका बहिष्कार किया, फिर अब AAP भी इससे पीछे हट गई है। इन तीन बड़ी पार्टियों के कदम से विपक्षी खेमे में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। ऐसे में कांग्रेस मुश्किल स्थिति में फंस गई है क्योंकि पार्टी अब तक JPC का हिस्सा बनने के पक्ष में दिखाई दे रही थी।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि संसदीय समितियों की कार्यवाही अदालतों में भी महत्व रखती है और विवादित विधेयकों पर जनमत को प्रभावित करती है। इसी सोच के चलते कांग्रेस JPC को गंभीरता से देख रही थी। लेकिन लगातार बढ़ता JPC विवाद 2025 अब कांग्रेस के सामने यह सवाल खड़ा कर रहा है कि क्या उसे विपक्षी एकता को प्राथमिकता देनी चाहिए या अपनी पुरानी लाइन पर टिके रहना चाहिए।
कांग्रेस पर विपक्षी एकता का दबाव
सपा, TMC और AAP के कदम ने अब कांग्रेस की परेशानी और बढ़ा दी है। विपक्ष की साझा ताकत तभी असरदार हो सकती है जब सभी दल एक ही आवाज में बोलें। लेकिन इस मामले में स्थिति उलटी हो गई है। कांग्रेस JPC में शामिल होने के पक्ष में थी, जबकि बाकी दलों ने इससे किनारा कर लिया है। अब कांग्रेस पर विपक्षी एकता का दबाव है कि वह अपना रुख बदलकर विपक्ष के साथ खड़ी हो।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस मानती है कि समिति का हिस्सा बनकर वह जनता के बीच अपना पक्ष ज्यादा मजबूती से रख सकती है। लेकिन विपक्षी दलों का बहिष्कार इसकी रणनीति को कमजोर कर रहा है। ऐसे में कांग्रेस के सामने दो रास्ते हैं—या तो वह विपक्ष की लाइन पर चले, या फिर अकेले JPC में डटी रहे। दोनों ही स्थितियों में कांग्रेस पर विपक्षी एकता का दबाव लगातार बढ़ रहा है।
संसद में JPC विवाद और आगे की राह
इस समय संसद में JPC विवाद सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है। तृणमूल और सपा ने इसे जनता को गुमराह करने वाला कदम बताया है, जबकि AAP ने भी इसी तर्क पर समिति से दूरी बनाई है। कांग्रेस का असमंजस इस विवाद को और पेचीदा बना रहा है। अगर वह JPC में जाती है तो विपक्षी एकता कमजोर होगी, और अगर नहीं जाती तो संसद में उसकी रणनीति अधूरी रह सकती है।
संसद में JPC विवाद अब इस सवाल पर टिक गया है कि विपक्ष एकजुट रह पाएगा या नहीं। सरकार ने जो समिति बनाई है, उसमें लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सांसद शामिल हैं। शीतकालीन सत्र में रिपोर्ट पेश करनी है, लेकिन उससे पहले ही यह समिति विपक्षी राजनीति की सबसे बड़ी परीक्षा बन चुकी है। साफ है कि PM-CM हटाने वाला बिल, JPC विवाद 2025, और कांग्रेस पर विपक्षी एकता का दबाव अब संसद की राजनीति को नई दिशा देने वाले हैं।
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Frequently Asked Questions
Q1. PM-CM हटाने वाला बिल क्या है?
Ans. यह प्रस्तावित कानून कहता है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री 30 दिन से ज्यादा हिरासत में रहते हैं, तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।
Q2. JPC क्यों बनाई गई है?
Ans. इस बिल की संवैधानिक समीक्षा और जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) गठित की गई है।
Q3. कौन-कौन से विपक्षी दल JPC का बहिष्कार कर चुके हैं?
Ans. सपा, TMC और AAP ने JPC का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है।
Q4. कांग्रेस का रुख क्या है JPC को लेकर?
Ans.कांग्रेस फिलहाल JPC में शामिल होने के पक्ष में है, लेकिन विपक्षी एकता के दबाव में असमंजस में है।
Q5. JPC विवाद का संसद पर क्या असर पड़ा है?
Ans. यह विवाद संसद में विपक्षी एकता की परीक्षा बन गया है और राजनीतिक रणनीति को नई दिशा दे रहा है।
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