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पेट्रोल में एथेनॉल के बाद डीजल में Isobutanol: सरकार की नई ईंधन नीति से होगा बड़ा ऑटोमोबाइल फ्यूल चेंज

पेट्रोल में एथेनॉल के बाद डीजल में Isobutanol: सरकार की नई ईंधन नीति से होगा बड़ा ऑटोमोबाइल फ्यूल चेंज

भारत में ऊर्जा सुरक्षा और प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में सरकार लगातार नए कदम उठा रही है। हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संकेत दिया है कि पेट्रोल में एथेनॉल के बाद अब सरकार डीजल में Isobutanol मिलाने की तैयारी कर रही है। यह पहल न केवल आयात पर निर्भरता घटाएगी, बल्कि देश में ऑटोमोबाइल फ्यूल चेंज को भी तेज़ी से आगे बढ़ाएगी।

 

एथेनॉल के बाद अब इसोब्यूटेनॉल की बारी

बीते कुछ महीनों से पेट्रोल में एथेनॉल (E20 Petrol) चर्चा का विषय रहा है। सरकार ने पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिलाना शुरू किया, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत और प्रदूषण में कमी का लक्ष्य रखा गया। हालांकि, वाहन मालिकों ने माइलेज और परफॉर्मेंस पर सवाल उठाए। अब सरकार ने डीजल पर फोकस करते हुए डीजल में Isobutanol के प्रयोग की शुरुआत की है।

 

नितिन गडकरी ने पुणे में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि एथेनॉल केवल शुरुआत थी, अंत नहीं। प्राज इंडस्ट्रीज और ARAI मिलकर डीजल में 10% इसोब्यूटेनॉल मिलाकर प्रयोग कर रहे हैं। साथ ही, किर्लोस्कर के सहयोग से 100% इसोब्यूटेनॉल पर चलने वाला इंजन भी विकसित किया गया है।

 

क्या है इसोब्यूटेनॉल?

इसोब्यूटेनॉल (Isobutanol) मूल रूप से एक कलरलेस, फ्लेमेबल ऑर्गेनिक लिक्विड है। इसका केमिकल फार्मूला C₄H₁₀O है। इसे प्रोपिलीन कार्बोनिलीकरण या बायोमास से बनाया जा सकता है। सामान्यतः यह पेंट, कोटिंग्स और सॉलवेंट के रूप में प्रयोग होता है, लेकिन इसकी हाई एनर्जी डेंसिटी और ऑक्टेन रेटिंग इसे बेहतरीन वैकल्पिक ईंधन बनाती है।यही कारण है कि सरकार इसे अपनी नई ईंधन नीति में शामिल करने की ओर बढ़ रही है।

 

डीजल में इसोब्यूटेनॉल मिलाने के फायदे

फ्यूल ब्लेंडिंग – डीजल में Isobutanol मिलाने से उत्सर्जन घटता है और ईंधन दक्षता बढ़ती है।

क्लीन बर्निंग फ्यूल – इसमें सल्फर और हानिकारक तत्व कम होते हैं, जिससे इंजन में स्वच्छ दहन होता है।

ग्रीनहाउस गैसों में कमी – CO₂ और पार्टिकुलेट मैटर जैसे प्रदूषक घटते हैं।

इंजन कम्पैटिबिलिटी – शोध से पता चलता है कि इसे डीजल इंजनों में बिना बड़े बदलाव के उपयोग किया जा सकता है।

बेहतर परफॉर्मेंस – इंजन की कार्यक्षमता बनी रहती है और ईंधन की खपत भी थोड़ी कम होती है।

यानी यह विकल्प भारत की सरकार की नई ईंधन नीति के अनुरूप प्रदूषण कम करने और ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने का एक अहम कदम साबित हो सकता है।

 

शोध और ट्रायल क्या कहते हैं?

सोसायटी ऑफ ऑटोमोटिव इंजीनियर्स (SAE) की रिसर्च बताती है कि डीजल इंजन में 5% और 10% इसोब्यूटेनॉल मिश्रण से ब्रेक थर्मल एफिशिएंसी (BTE) में सुधार देखा गया। ब्रेक स्पेसिफिक फ्यूल कंजम्प्शन (BSFC) कम हुआ, यानी ईंधन की खपत प्रति यूनिट ऊर्जा घटी।

 

इसके अलावा धुएँ की तीव्रता और कार्बन उत्सर्जन में उल्लेखनीय कमी आई। हालांकि NOₓ उत्सर्जन में मामूली कमी देखने को मिली। इसका मतलब है कि भविष्य में ऑटोमोबाइल फ्यूल चेंज की दिशा में यह मिश्रण प्रभावी साबित हो सकता है।

 

भारत में डीजल की खपत और नई चुनौती

पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के अनुसार भारत की कुल कच्चे तेल की खपत में लगभग 40% हिस्सा डीजल का है। 2024-25 में डीजल की खपत 91.4 मिलियन टन रही और अगले वित्त वर्ष में इसके 94.1 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है।इतनी बड़ी खपत के चलते अगर डीजल में Isobutanol का उपयोग सफल होता है, तो यह आयात बिल घटाने, प्रदूषण कम करने और बायोफ्यूल्स इंडिया को बढ़ावा देने का काम करेगा।

 

भविष्य की दिशा – ऑटोमोबाइल फ्यूल चेंज

नितिन गडकरी ने स्पष्ट किया कि आने वाले समय में फ्लेक्स-फ्यूल इंजन तकनीक पर काम होगा, जो पूरी तरह से इसोब्यूटेनॉल या अन्य बायोफ्यूल्स पर चलने में सक्षम होंगे। यह सरकार की नई ईंधन नीति के तहत ऑटो सेक्टर को नए आयाम देगा।अगर यह प्रयोग सफल होता है, तो भारत में पेट्रोल में एथेनॉल, डीजल में Isobutanol और अन्य बायोफ्यूल्स इंडिया का उपयोग एक स्थायी बदलाव लाएगा।

भारत ऊर्जा आयात पर निर्भरता कम करने और प्रदूषण घटाने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। पेट्रोल में एथेनॉल के बाद अब डीजल में Isobutanol जोड़ना एक बड़ा कदम है, जो देश को बायोफ्यूल्स इंडिया के लक्ष्य की ओर ले जाएगा। यह बदलाव केवल ईंधन में ही नहीं बल्कि ऑटोमोबाइल फ्यूल चेंज और औद्योगिक विकास में भी नई क्रांति लाएगा।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करे: The India Moves

 

 Frequently Asked Questions 

 

Q1. पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने का उद्देश्य क्या है?
Ans. आयात पर निर्भरता कम करना, प्रदूषण घटाना और ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देना।

 

Q2. डीजल में Isobutanol मिलाने से क्या फायदा होगा?
Ans. प्रदूषण घटेगा, ईंधन दक्षता बढ़ेगी और इंजन परफॉर्मेंस बेहतर रहेगी।

 

Q3. Isobutanol क्या है?
Ans. यह एक ऑर्गेनिक लिक्विड अल्कोहल है, जो फ्यूल ऐडिटिव और वैकल्पिक ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

 

Q4. क्या मौजूदा डीजल इंजन Isobutanol पर चल सकते हैं?
Ans. हाँ, 10% मिश्रण के साथ डीजल इंजन बिना बड़े बदलाव के इस्तेमाल हो सकते हैं।

 

Q5. सरकार की नई ईंधन नीति से ऑटोमोबाइल सेक्टर पर क्या असर होगा?
Ans. यह ऑटोमोबाइल फ्यूल चेंज को बढ़ावा देगा और बायोफ्यूल्स इंडिया की दिशा में बड़ा कदम होगा।

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