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पीएम मोदी की डिग्री केस में दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला, CIC के आदेश को किया खारिज

पीएम मोदी की डिग्री केस में दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला, CIC के आदेश को किया खारिज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Naredra Modi) की ग्रेजुएशन की डिग्री केस में सोमवार (26 अगस्त, 2025) को दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के आदेश को खारिज कर दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पीएम मोदी डिग्री केस का फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU), प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रेजुएशन की डिग्री का विवरण सार्वजनिक करने के लिए बाध्य नहीं है।


बता दें कि केंद्रीय सूचना आयोग CIC ने 2016 में दायर एक RTI याचिका के आधार पर दिल्ली यूनिवर्सिटी को पीएम मोदी की ग्रेजुएशन डिग्री से संबंधित जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया गया था। CIC ने कहा कि किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति खासकर प्रधानमंत्री की शैक्षिक योग्यताएं पारदर्शी होनी चाहिए। सीआईसी ने यह भी कहा कि इस जानकारी वाले रजिस्टर को एक सार्वजनिक दस्तावेज माना जाएगा।

 

पीएम मोदी डिग्री केस फैसले को अदालत ने 27 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि RTI कार्यकर्ता नीरज नामक के शख्स की ओर से दाखिल की गई RTI आवेदन मामला 2016 में शुरू हुआ था, जब नीरज कुमार ने DU से 1978 में BA पास करने वाले सभी छात्रों का नाम, रोल नंबर, अंक और पास-फेल का ब्योरा मांगा था। केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने 21 दिसंबर 2016 को 1978 में बीए परीक्षा पास करने वाले सभी छात्रों के अभिलेखों की जांच की अनुमति दी थी। इसी वर्ष प्रधानमंत्री मोदी ने भी यह परीक्षा पास की थी। मामला आने पर हाईकोर्ट ने 23 जनवरी 2017 को के आदेश केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) पर रोक लगा दी थी।

 

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पीएम नरेंद्र मोदी डिग्री के खुलासे को लेकर दिल्ली यूनिवर्सिटी(DU) ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां उसका प्रतिनिधित्व भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और उनकी कानूनी टीम ने किया। दिल्ली हाई कोर्ट मोदी डिग्री फैसले के सुनवाई के दौरान, दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी बहस में कहा कि, CIC के आदेश को रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि 'निजता का अधिकार' 'जानने के अधिकार' से ज़्यादा अहम है। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने सोमवार को DU की याचिका पर सुनवाई की।

 

दिल्ली विश्वविद्यालय ने हाई कोर्ट अदालत को बताया कि वह प्रधानमंत्री मोदी के डिग्री रिकॉर्ड कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने को तैयार है, और इसका आरटीआई में अधिनियम में प्रावधान भी है लेकिन आरटीआई अधिनियम के तहत 'अजनबियों द्वारा जांच' के लिए उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।

 

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Frequently Asked Questions

 

Q1.पीएम मोदी की डिग्री केस क्या है?
Ans. RTI कार्यकर्ता नीरज नामक के शख्स की ओर से दाखिल की गई RTI आवेदन मामला 2016 में शुरू हुआ था, जब नीरज कुमार ने DU से 1978 में BA पास करने वाले सभी छात्रों का नाम, रोल नंबर, अंक और पास-फेल का ब्योरा मांगा था। केंद्रीय सूचना आयोग ( CIC) ने 21 दिसंबर 2016 को 1978 में बीए परीक्षा पास करने वाले सभी छात्रों के अभिलेखों की जांच की अनुमति दी थी। इसी वर्ष प्रधानमंत्री मोदी ने भी यह परीक्षा पास की थी।

 

Q2. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में क्या फैसला सुनाया?
Ans. दिल्ली हाई कोर्ट ने पीएम मोदी डिग्री केस का फैसला सुनते हुए कहा कि दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ग्रेजुएशन की डिग्री का विवरण पब्लिक करने के लिए बाध्य नहीं है।

 

Q3. CIC ने पीएम मोदी की डिग्री को लेकर क्या आदेश दिया था?
Ans. केंद्रीय सूचना आयोग ( CIC) ने 21 दिसंबर 2016 को 1978 में बीए परीक्षा पास करने वाले सभी छात्रों के अभिलेखों की जांच की अनुमति दी थी। मामला आने पर हाईकोर्ट ने 23 जनवरी 2017 को के आदेश केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) पर रोक लगा दी थी।

 

Q4. हाई कोर्ट ने CIC के आदेश को क्यों खारिज किया?
Ans. हाई कोर्ट ने CIC के आदेश को रद्द कर दिया जाना चाहिए क्योंकि 'निजता का अधिकार' 'जानने के अधिकार' से ज़्यादा अहम है। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता ने सोमवार को DU की याचिका पर सुनवाई की।

 

Q5. पीएम मोदी की डिग्री विवाद कब शुरू हुआ था?
Ans. RTI कार्यकर्ता नीरज नामक के शख्स की ओर से दाखिल की गई RTI आवेदन मामला 2016 में शुरू हुआ था, जब नीरज कुमार ने DU से 1978 में BA पास करने वाले सभी छात्रों का नाम, रोल नंबर, अंक और पास-फेल का ब्योरा मांगा था। इसी वर्ष प्रधानमंत्री मोदी ने भी यह परीक्षा पास की थी।

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