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RAW एजेंट बना पाक सेना में मेजर, राजस्थान के जासूस की हैरान कर देने वाली कहानी

RAW एजेंट बना पाक सेना में मेजर, राजस्थान के जासूस की हैरान कर देने वाली कहानी

 RAW एजेंट रविंदर कौशिक को 'ब्लैक टाइगर' का खिताब 

 

भारत में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वालों को देश के अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया जा रहा है। पैसे के लालच में आकर पाकिस्तान का साथ और भारत के साथ धोखा किया, जैसे ज्योति मल्होत्रा, देवेंद्र सिंह गजाला, यामीन मोहम्मद वगैरह।

 

ऑपरेशन सिन्दूर लॉन्च कर पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमला करने में रॉ (RAW) इंटेलिजेंस का महत्वपूर्ण रोल रहा है। भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) ने इस काम को बखूबी अंजाम दिया। उन्होंने 24 आतंकी ठिकानों का पता लगाया था। RAW एजेंट्स में एक ऐसा शख्स था जो सालों तक पाकिस्तान में रहा और वहाँ से भारत के लिए दुश्मन देश में जासूसी किया और खुफिया जानकारियाँ भेजता रहा। इसकी वजह से कई भारतीयों की जान बची। उस शख्स का नाम था रविंदर कौशिक। RAW एजेंट रविंदर कौशिक की जानकारियां RAW के लिए अनमोल थीं।

 

मंच का हीरो, देश का सिपाही


एक बार RAW एजेंट रविंदर कौशिक ने एक नाटक में भारतीय अधिकारी का किरदार निभाया, जो दुश्मनों के सामने हार मानने की बजाय मौत चुनता है। दर्शकों में RAW (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के कुछ अधिकारी भी थे, उन्हें रविंदर कौशिक में देशभक्ति और जोश दिखा। नाटक के बाद वे चुपके से कौशिक के पास गए और सीधा गुप्त मिशन का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कौशिक से कहा कि अपने देश की सेवा करो, लेकिन याद रखो तुम फिर कभी नहीं दिखोगे। तुम्हें अपनी पहचान छुपाकर कोई और बनकर जीना होगा। कौशिक ने बिना हिचक हाँ कह दिया।

 

 'ब्लैक टाइगर' की उपाधि 


RAW एजेंट रविंदर कौशिक लगातार पाकिस्तान की संवेदनशील व खुफिया जानकारियां भारत भेजते रहे। यही वजह थी कि तब तत्कालीन प्रधानमंत्री ने भारत की खुफिया सफलता के लिए रविंदर को 'ब्लैक टाइगर' का खिताब दिया था। खुफिया एजेंसियों में उन्हें ‘ब्लैक टाइगर’ के नाम से जाना जाता था। रविंदर कौशिक ने न सिर्फ पाकिस्तान में रहने का फैसला किया, बल्कि अपनी असली पहचान को पूरी तरह बदल लिया। दुश्मन के कई हाई रिस्क ऑपरेशन नाकाम किए।

 

रविंदर से नबी तक का सफर


RAW एजेंट रविंदर कौशिक का जन्म 11 अप्रैल 1952 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में हुआ था। वे ऐसे परिवार में बड़े हुए, जहाँ देशभक्ति सिर्फ बातें नहीं, बल्कि जिंदगी का हिस्सा थी। 1973 में वे दिल्ली गए, इसके बाद वे रॉ में शामिल हो गए। अगले दो साल तक उन्होंने सख्त ट्रेनिंग ली, उर्दू सीखी, पाकिस्तान की संस्कृति और भूगोल का अध्ययन किया। रविंदर कौशिक ने इस्लाम के रीति-रिवाज सीखे और यहाँ तक कि खतना भी करवाया। 1975 तक रविंदर कौशिक का नाम कागजों से भी गायब हो गया और वे नबी अहमद शाकिर बनकर पाकिस्तान के लिए रवाना हुए। कराची यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। उन्होंने एलएलबी की पढ़ाई शुरू की, ताकि लोगों का भरोसा जीत सकें। एक आम पाकिस्तानी छात्र की तरह रहने लगे, पढ़ाई पूरी करने के बाद कौशिक ने पाकिस्तानी फौज में जाने का फैसला किया।

 

दुश्मन की फौज में भारत का मेजर


राजस्थान के रहने वाले RAW एजेंट रविंदर कौशिक ने खुफिया जानकारी देने के लिए पाकिस्तानी सेना में मेजर रैंक पर रहें। इसी दौरान रविंदर उर्फ नबी अहमद को इस्लामाबाद में रहने वाले एक दूसरे पाकिस्तानी सैनिक की बेटी अमानत नाम की लड़की से प्यार हो गया। कुछ समय बाद दोनों ने निकाह कर लिया। रविंदर ने अमानत को भी अपने बारे में कुछ सच नहीं बताया था। रविंदर पाकिस्तानी सेना के जिस ऑफिस में पोस्टेड थे, वहाँ से निकलने वाली हर जानकारी वो RAW तक पहुंचा रहे थे। रविंदर कौशिक दुश्मन की फौज में मेजर के पद पर रह कर साल 1979 से 1983 तक भारत की जासूसी की । उनकी खुफिया जानकारी ने दुश्मन की घुसपैठ रोकी, उनके गुप्त प्लान नाकाम किए और हजारों लोगों की जान बचाई।

 

RAW एजेंट की आखिरी मुलाकात


रविंदर कौशिक ने RAW के अधिकारियों से कुछ दिनों के लिए इंडिया आने की परमिशन मांगी। RAW ने इसे मंजूर कर दिया और बेहद ही गोपनीय तरीके से रविंदर को भारत आने दिया गया। रविंदर ने परिवार में किसी को ये पता नहीं चलने दिया कि वो पाकिस्तान में रह रहे हैं। शादी का दबाव बढ़ने लगा तो रविंदर ने सब को बता दिया कि उसने दुबई में शादी कर ली है और उसकी पत्नी का नाम अमानत है। जल्दी ही उसे बच्चा भी होने वाला है। कुछ दिन बाद ही रविंदर वापस पाकिस्तान और घर वालों के लिए दुबई चले गए। परिवार ने इसके बाद दुबारा रविंदर को कभी नहीं देखा।

 

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