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येलो बुक प्रोटोकॉल न मानने पर राहुल गांधी, क्या CRPF दर्ज कर सकती है केस?

येलो बुक प्रोटोकॉल न मानने पर राहुल गांधी, क्या CRPF दर्ज कर सकती है केस?

राहुल गांधी और येलोबुक प्रोटोकॉल विवाद

हाल ही में कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी येलोबुक प्रोटोकॉल उल्लंघन के मामले में सुर्खियों में हैं। विदेश दौरे के दौरान सुरक्षा नियमों का पालन न करने के आरोपों ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या CRPF कार्रवाई राहुल गांधी के खिलाफ कर सकती है। येलोबुक प्रोटोकॉल गृह मंत्रालय द्वारा वीवीआईपी सुरक्षा के लिए जारी की गई गाइडलाइन है, जिसमें हर वीवीआईपी के लिए अलग सुरक्षा स्तर और निर्देश दिए जाते हैं। राहुल गांधी को Z+ सुरक्षा (ASL) प्राप्त है, जिसके अनुसार विदेश यात्रा से कम से कम 15 दिन पहले सुरक्षा एजेंसी को जानकारी देना अनिवार्य होता है। आरोप है कि मलेशिया ट्रिप के दौरान उन्होंने बार-बार यह नियम नहीं माना, जिससे उनकी सुरक्षा में गंभीर खतरा पैदा हुआ। यह केवल येलोबुक प्रोटोकॉल उल्लंघन नहीं बल्कि सुरक्षा कानूनों के तहत अपराध की श्रेणी में भी आता है। यदि कोई वीवीआईपी या व्यक्ति सुरक्षा नियमों को न माने तो न सिर्फ उसकी खुद की सुरक्षा खतरे में पड़ती है, बल्कि सुरक्षा टीम और देश की सुरक्षा पर भी असर पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे उल्लंघन से सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी खामियां आ सकती हैं और वीवीआईपी सुरक्षा का पूरा तंत्र प्रभावित हो सकता है।

 

CRPF का अधिकार और कानूनी पहलू

कानूनन राहुल गांधी CRPF केस दर्ज करना सीधे CRPF का अधिकार नहीं है। यदि कोई वीवीआईपी या अधिकारी येलोबुक प्रोटोकॉल उल्लंघन करता है, तो CRPF सुरक्षा उल्लंघन की लिखित रिपोर्ट स्थानीय पुलिस या संबंधित एजेंसी को भेजती है। इसके बाद पुलिस एफआईआर दर्ज करती है और मामले की जांच करती है। सुरक्षा नियमों का उल्लंघन सरकारी आदेश की अवहेलना और लोक सेवक के काम में बाधा डालने के दायरे में आता है, और इसके तहत कानूनी कार्रवाई संभव है। हालांकि किसी वीवीआईपी मामले में सीधे एफआईआर दर्ज नहीं होती, लेकिन यदि उल्लंघन गंभीर पाया जाता है तो राहुल गांधी कानूनी मामला बन सकता है। यह विवाद यह भी स्पष्ट करता है कि वीवीआईपी और सुरक्षा एजेंसियों के बीच तालमेल कितना महत्वपूर्ण है और भविष्य में सभी यात्रा और दौरे में सुरक्षा नियमों का पालन सुनिश्चित करना जरूरी है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अगर येलोबुक प्रोटोकॉल उल्लंघन को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो यह न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए खतरा बनता है, बल्कि कानून और अनुशासन के नजरिए से भी गंभीर मामला बन सकता है। इस पूरे मामले ने जनता और मीडिया में चर्चा बढ़ा दी है और CRPF कार्रवाई राहुल गांधी की सीमा और जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह देखना बाकी है कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां किस तरह से वीवीआईपी सुरक्षा व्यवस्था में सुधार करती हैं और भविष्य में किसी तरह की चूक नहीं होने देतीं।

 

 

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