
नवरात्रि के तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा से पाएं साहस और सकारात्मक ऊर्जा
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Anjali
- September 24, 2025
नवरात्रि का तीसरा दिन – माँ चंद्रघंटा
नवरात्रि 2025 का तीसरा दिन माँ दुर्गा के चंद्रघंटा रूप को समर्पित है। इनके मस्तक पर अर्धचंद्र के आकार की घंटी (घंटा) सुशोभित है, जिस कारण इन्हें “चंद्रघंटा” कहा जाता है। माँ का स्वरूप अत्यंत दिव्य और वीरता से भरपूर है।
- इनके दस हाथ हैं जिनमें त्रिशूल, गदा, तलवार, धनुष-बाण और कमल आदि शस्त्र हैं।
- इनका वाहन सिंह है जो साहस और शक्ति का प्रतीक है।
- माँ चंद्रघंटा का रूप भक्तों को भय, संकट और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति दिलाने वाला है।
माँ चंद्रघंटा की विशेषताएँ और महत्व
- शांति और पराक्रम का संगम – माँ का स्वरूप शांति का प्रतीक है लेकिन असुरों का नाश करने के लिए वे युद्ध का भी स्वरूप धारण करती हैं।
- आभामंडल और शक्ति – माँ का तेज सूर्य के समान है और उनकी आराधना से जीवन में साहस, वीरता और आत्मविश्वास का संचार होता है।
- धार्मिक महत्व – तीसरे दिन की पूजा करने से भय और बाधाएँ दूर होती हैं तथा घर में सुख-शांति का वास होता है।
नवरात्रि में पूजा क्यों की जाती है?
माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से:
- जीवन के सभी भय और संकट दूर होते हैं।
- साहस, आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- घर और परिवार में शांति, सुख और समृद्धि आती है।
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि
सामग्री:
- माँ चंद्रघंटा की तस्वीर या मूर्ति
- लाल फूल और लाल चुनरी
- दीपक और घी
- चावल, रोली और सिंदूर
- फल, दूध और मिठाई
प्रक्रिया:
- सूर्योदय से पूर्व स्नान कर स्वच्छ लाल या पीले वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल को स्वच्छ कर माँ की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- दीपक और अगरबत्ती जलाएँ।
- लाल फूल और चुनरी अर्पित करें।
- फल, दूध और मिठाई चढ़ाएँ।
- मंत्र का जाप करें: “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” (11 बार)।
- ध्यान और भक्ति भाव से माता की आरती करें।
माँ चंद्रघंटा की कथा
दानव महिषासुर के आतंक को रोकने के लिए देवी दुर्गा ने तीसरे दिन चंद्रघंटा रूप धारण किया। महिषासुर ने स्वर्ग पर कब्जा करने की कोशिश की, लेकिन माँ चंद्रघंटा ने अपने सभी अस्त्र और शक्ति का उपयोग करके उसका संहार किया। उनके मस्तक पर अर्धचंद्र और घंटी की ध्वनि से राक्षस भयभीत हो जाते थे।
माँ चंद्रघंटा का शुभ रंग और भोग
- माँ चंद्रघंटा का शुभ रंग: लाल, सुनहरा और पीला – ये साहस, समृद्धि और उन्नति का प्रतीक हैं।
- माँ चंद्रघंटा का भोग: केसर और दूध से बनी मिठाई, खीर, पंचामृत और दूध के व्यंजन।
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