
डिलीवरी के बाद क्यों होते हैं मूड स्विंग्स, मूड स्विंग्स को कैसे करें कंट्रोल ?
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Neha
- March 1, 2025
किसी भी महिला के लिए मां बनना जितना सुखद अहसास होता है, उससे कहीं ज्यादा उतार-चढ़ाव से भरा सफ़र गर्भावस्था का रहता है। अक्सर लोग कहते हैं कि डिलीवरी होने के बाद महिला की परेशानी ख़त्म हो जाती है, पर असलियत इसके बिलकुल उलट होती है क्योंकि बच्चे की डिलीवरी के बाद ही असली परेशानी और बच्चे से जुड़ी जिम्मेदारी शुरू होती है और यही वो वक़्त है जब एक महिला को, जो कि हाल ही में मां बनी है, सबसे ज्यादा आराम और भावनात्मक सहारे की जरूरत होती है। इस दौरान महिलाओं को अपने नवजात शिशु का ध्यान भी रखना पड़ता है, वहीं अपनी सेहत का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। इन सबके साथ घर के कामों के अलावा और भी न जाने कितनी जिम्मेदारियां होती हैं। बदलते समय के साथ आज संयुक्त परिवार की प्रथा खत्म हो गई है। कल तक जहां समाज में संयुक्त परिवार की प्रथा थी, वहीं आज बदलते वक़्त के साथ एकल परिवार ने जगह ले ली है। ऐसे में अपना और अपने शिशु का ध्यान रखना आज की महिलाओं के लिए मुश्किल हो गया है। अब सवाल ये है कि महिलाएं मूड स्विंग्स से बचाव के लिए क्या उपाय करें ?
1] परिवार के सदस्यों और सहेलियों के साथ समय बिताना
पोस्ट प्रेग्नेंसी के बाद अगर आपके मूड स्विंग्स होते हैं, तो जरूरी है कि इसके बचाव के लिए आप कुछ समय अपनी सहेलियों के साथ बिताएं। बहुत बार देखा गया है कि बच्चा होने के बाद महिलाएं बहुत बिजी हो जाती हैं, इससे खुद के लिए उन्हें वक़्त ही नहीं मिलता और इस तरह से महिलाएं अपनी सोशल लाइफ से बिल्कुल दूर हो जाती हैं और इसी कारण महिलाओं में मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, गुस्सा आने लगता है और ये एक तरह से स्वाभाविक भी है। डिलीवरी के बाद महिलाओं के शरीर में हार्मोनल चेंजेज आते हैं, ऐसे में नींद की कमी, थकान, एंग्जाइटी, मॉर्निंग सिकनेस, शरीर में दर्द होना स्वाभाविक लक्षण हैं।
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2] मूड स्विंग्स से बचने के लिए क्या करें
मां बनने के बाद एक महिला का वक़्त बच्चे की देखरेख में ही निकल जाता है, शिशु को स्तनपान कराना, नहलाना, उसे सुलाना, डायपर चेंज करना। इससे एक महिला अपने स्वस्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाती। यहां ये ध्यान देने योग्य बात है कि अगर एक मां अपने बच्चे को स्तनपान कराती है, तो उसका खुद का आहार भी बैलेंस्ड होना चाहिए। एक महिला को अपने आहार में सभी पोषक तत्व शामिल करने चाहिए।

3] खाना समय पर खाएं
कोशिश करें कि खाना खाने के बाद शिशु को स्तनपान कराएं जिससे भोजन के सभी पोषक तत्व शिशु को भी मिल सकें। इसके अलावा समय निकालकर योग या मेडिटेशन करें, जिससे आपका शरीर स्वस्थ रहेगा और आपके मूड स्विंग्स को भी कम करेगा। इसके अलावा अगर आप पढ़ने की शौकीन हैं, तो आप अपनी मनपसंद कोई किताब पढ़ें। कोई भी मनपसंद म्यूजिक सुनें, लेकिन लैपटॉप और टीवी से थोड़ी दूरी बनाएं। कोशिश करें कि कुछ वक़्त गार्डन या हरियाली वाली जगह पर बिताएं, ताकि आपको सुकून और आराम मिल सके।
4] डिलीवरी के बाद अपनी डाइट पर भी दें ध्यान
पोस्ट डिलीवरी इस बात पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है कि आपके आहार में क्या शामिल होगा, क्या नहीं ? अगर आप अपने बच्चे को स्तनपान कराती हैं, तो जरूरी है कि ऐसा पोषक आहार ज्यादा लें, जिसमें ज़िंक, पोटेशियम, कैल्शियम की मात्रा भरपूर हो, जैसे- पालक, ब्रोकली, दूध, पनीर, सोयाबीन का उपयोग आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकता है। इसी के साथ आप ग्रीक योगर्ट भी ले सकती हैं या स्मूदीज भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है, पर ध्यान रखें कि आप बाजार की स्मूदीज की बजाय घर में ही बनी योगर्ट का उपयोग करें। इसके साथ आप किसी भी प्रकार का मौसमी फल भी अपने आहार में शामिल कर सकती हैं। नाश्ते में जामुन या केले की स्मूदीज या फ्रूट चाट का भी सेवन कर सकती हैं। दोपहर के भोजन में बीन्स, टोफू या सलाद भी अपने आहार में शामिल कर सकती हैं। बासी खाना खाने से परहेज करें।

4] भरपूर नींद लें
मां बनने के बाद महिलाओं की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं और इसी के साथ उनके काम और खाने का टाइम टेबल भी बदला जाता है। डिलीवरी के बाद महिलाएं अपने बच्चे के जागने और सोने के मुताबिक ही अपनी दिनचर्या तय करती हैं। हर बच्चे के सोने और जागने का अपना टाइम टेबल होता है। उस वक़्त हर महिला की यही कोशिश रहती है कि घर के जो बचे हुए काम हैं वो पूरे हो जाएं। अगर आप भी ऐसा ही करेंगी तो मुमकिन है कि आपको आराम का वक्त न मिले, पर कोशिश करें कि आप समय पर नींद लें और उस वक़्त अगर बच्चा जागता है, तो उसे घर में मौजूद कोई दूसरा सदस्य संभाले। अगर आपके पति घर पर हैं, तो उन्हें ये जिम्मेदारी दें क्योंकि एक नवजात शिशु का पालन-पोषण करना माता-पिता दोनों की जिम्मेदारी है।
5] इन बातों का भी रखें ध्यान
- बहुत लंबे समय तक एक ही पोजीशन में नहीं बैठें
- झटके से उठकर खड़ी न हों
- बायीं तरफ करवट लेकर सोएं
- अगर पैरों में सूजन आ रही है, तो पैरों के नीचे तकिया लगाएं
- कभी भी झुककर नहीं बैठें
बदलते समय के साथ कुछ महिलाएं शराब का सेवन भी करती हैं। तो अगर आपका बच्चा छोटा है, तो मदिरा पान से परहेज करें। इसके अलावा कच्चा अंडा, मछली या अधपका खाना खाने से भी परहेज़ करें। तो ये थे कुछ उपाय, जिनकी मदद से आप पोस्ट प्रेग्नेंसी प्रॉब्लम्स से काफी हद तक राहत पा सकती हैं।
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