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Guru Nanak Jayanti : कौन थे गुरु नानक देव जी? कार्तिक पूर्णिमा पर ही क्यों मनाई जाती है जयंती?

Guru Nanak Jayanti : कौन थे गुरु नानक देव जी? कार्तिक पूर्णिमा पर ही क्यों मनाई जाती है जयंती?

Guru Nanak Jayanti :  गुरु नानक जयंती हर वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस दिन को गुरु नानक प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता है। गुरु नानक जयंती को प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है। गुरु नानक जी को सिख धर्म का पहला गुरु माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर मनाई जाने वाली गुरु नानक जयंती पर लोग गुरुद्वारे जाते हैं और नगर कीर्तन का आयोजन भी करते हैं। वहीं, रात के समय असंख्य दीयों से संसार प्रकाशमय हो जाता है। गुरु नानक जयंती के अवसर पर पूरे दिन भजन और कीर्तन का आयोजन होता है। आइए, जानते हैं कि गुरु नानक जयंती कब मनाई जाएगी और इसका महत्व क्या है।

 

गुरु नानक जयंती को कहते हैं प्रकाश पर्व और गुरु पर्व
गुरु नानक जयंती, जिसे प्रकाश पर्व और गुरु पर्व भी कहा जाता है, सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है। यह दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो 1469 में पंजाब के तलवंडी (अब पाकिस्तान में स्थित) में पैदा हुए थे। गुरु नानक की शिक्षाएँ सत्य, समानता, और सेवा पर आधारित थीं, और उन्होंने दुनिया को धार्मिकता और मानवता के उच्चतम आदर्शों को अपनाने का संदेश दिया। गुरु नानक जयंती कार्तिक माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर के बीच आता है। इस दिन सिख समाज गुरुद्वारों में विशेष पूजा, कीर्तन, और भजन करते हैं, तथा गुरु जी के जीवन और शिक्षाओं का स्मरण करते हुए संगत और सेवा की भावना को बढ़ावा देते हैं। प्रकाश पर्व के रूप में यह उत्सव गुरु नानक के जीवन के "प्रकाश" को समाज में फैलाने का प्रतीक है, और यह सिख समुदाय के लिए एक दिन है जब वे गुरु जी के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। इस दिन विशेष रूप से दीए जलाए जाते हैं। वहीं, कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली भी होती है। इस कारण भी देव दिवाली की खुशी में रात के समय दीए जलाकर प्रकाश किया जाता है।

 

गुरु नानक जयंती प्रभात बेला पर क्या करें
गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व पर आपको क्या करना चाहिए? सबसे पहले सुबह स्नान करके 'नित नेम' करें जिसमें पांच वाणी का पाठ होता है। फिर साफ कपड़े पहनकर गुरुद्वारा जाएं, मत्था टेकें और सात संगत के दर्शन करें। गुरुवाणी और कीर्तन सुनें और गुरुओं के इतिहास के बारे में जानें। दिल से अरदास सुनें, संगत और गुरुद्वारे में सेवा करें। गुरु के लंगर में जाकर सेवा करें और अपनी कमाई का दसवां हिस्सा धार्मिक कार्यों और गरीबों की मदद के लिए दान करें।

 

गुरु नानक जयंती पर नगर कीर्तन का महत्व
गुरु नानक देव जी की जयंती पर प्रभात फेरी का भी बहुत महत्व है। गुरु नानक जयंती से कुछ दिन पहले ही सुबह-सुबह प्रभात फेरियां निकालनी शुरू हो जाती है लेकिन गुरु नानक जयंती पर एक विशाल नगर कीर्तन भी निकाला जाता है जिसकी अगुवाई पंज प्यारे करते हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब को फूलों से सजी पालकी में रखकर पूरे नगर में घुमाया जाता है और अंत में गुरुद्वारे वापस लाया जाता है। इन प्रभात फेरियों में श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए गुरु नानक देव जी के उपदेशों का प्रचार करते हैं। रास्ते में जगह-जगह श्रद्धालुओं का स्वागत किया जाता है। प्रभात फेरियों के साथ-साथ घर-घर जाकर भी कीर्तन किया जाता है। लोगों के घरों में कीर्तन करने वालों का स्वागत फूलों और आतिशबाजी से किया जाता है।

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