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8 अप्रैल से वक्फ कानून लागू, पच्छिम बंगाल में विरोध प्रदर्शन तेज

8 अप्रैल से वक्फ कानून लागू, पच्छिम बंगाल में विरोध प्रदर्शन तेज

बंगाल के मुर्शिदाबाद और देशभर में वक्फ कानून पर विरोध प्रदर्शन और हिंसा 

 

 

8 अप्रैल 2025 से वक्फ संशोधन कानून लागू हो गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President of India) द्वारा मंजूरी मिलने पर केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। विरोधी पार्टियों की तरफ से वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में करीब 15 से अधिक याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर कर अपना पक्ष रखने की मांग की है। वक्फ संशोधन कानून को वापस लेने के लिए पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में विरोध में प्रदर्शन हिंसा का रूप ले लिया है।

 

किस पर है विवाद?

 

वक्फ संशोधित कानून में वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को अनिवार्य रूप से शामिल करना विवाद का कारण बना है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 7 अप्रैल 2025 को जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को याचिकाओं को सूचीबद्ध करने को कहा है। लोकसभा और राज्यसभा के दोनों सदनों में तमाम लंबी बहस के बाद केंद्र सरकार के पक्ष में अधिक वोट पड़ने के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया गया। 5 अप्रैल को वक्फ (संशोधन) विधेयक को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिली।

 

सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

 

सुप्रीम कोर्ट में 15 अप्रैल 2025 को वक्फ संशोधन कानून की सुनवाई होगी। भारतीय जनता पार्टी (BJP)ने आश्वासन दिया है कि वक्फ संशोधन कानून को वरिष्ठ वर्ग से विचार-विमर्श करने के बाद तैयार किया गया है, इसमें बच्चों और मुस्लिम महिलाओं को भी वक्फ इस्लामिक संपत्ति से फायदा मिलेगा। केंद्र सरकार ने कहा है कि यह कानून संपत्ति और उसके प्रबंधन के बारे में है, गैर समुदाय के धर्म को लेकर नहीं है।

 

बंगाल के मुर्शिदाबाद में विरोध प्रदर्शन

 

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद (Murshidabad) में नए वक्फ कानून के विरोध में प्रदर्शन हिंसा का रूप ले लिया है। मुर्शिदाबाद की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से वक्फ कानून पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए जगह बताई थी, पर प्रदर्शनकारियों ने दूसरी जगह को विरोध करने के लिए चुना। पुलिस के रुकने पर प्रदर्शनकारियों ने हाथापाई शुरू कर दी और सड़क को जाम कर दिया। यहां तक कि पुलिस की गाड़ियों में भी आग लगा दी।  पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि संसद द्वारा कानून को मानना होगा किसी भी प्रकार की हिंसा बर्दाश्त नहीं होगी।  

 

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8 अप्रैल से वक्फ कानून लागू, पच्छिम बंगाल में विरोध प्रदर्शन तेज

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हाथापाई

 

8 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नए वक्फ कानून पर हंगामा हुआ। नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के विधायकों ने सदन में बिल पर चर्चा की मांग करते हुए विरोध जताया और नारेबाजी की। इसी बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस और भाजपा विधायकों के बीच हाथापाई शुरू हो गई। 7 अप्रैल को नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक ने सदन में वक्फ कानून की कॉपी फाड़ दी। बाद में स्पीकर ने सदन की कार्रवाई पूरे दिन के लिए रोक दी। नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत अन्य पार्टियों ने वक्फ कानून के खिलाफ रेजोल्यूशन लाने की बात कही थी।

 

मणिपुर के थोउबल जिले में रविवार को भीड़ ने नए वक्फ कानून का समर्थन करने पर भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष असगर अली मकाकमयुम के घर में तोड़फोड़ की और घर को आग के हवाले कर दिया।

 

जमात-ए-इस्लामी हिंद ने बताया संविधान के खिलाफ

 

आईएएनएस के मुताबिक जमात-ए-इस्लामी हिंद के वाइस प्रेसिडेंट मलिक मोतिम खान ने कहा, वक्फ एक्ट में जो संशोधन पर राजनीतिक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वक्फ कानून देश के संविधान के खिलाफ है। मैं मानता हूं कि संसद को कानून बनाने का हक है, लेकिन कोई भी कानून संविधान के दायरे में रहकर बनाना चाहिए। वक्फ कानून को गैर कानूनी बताते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात कही।

 

वक्फ बोर्ड संपत्ति विवाद से बंगाल, मणिपुर और देश के अलग-अलग जगहों पर चल रहे विरोध प्रदर्शन से केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। बंगाल के मुर्शिदाबाद में 14 को लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। केंद्र सरकार द्वारा लाया गया 370 आर्टिकल हो या तीन तलाक या फिर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर भी देश में प्रदर्शन हो चुका है।

 

पर सवाल ये उठता है कि इस तरह के विरोध प्रदर्शनों से देश कैसे आगे बढ़ेगा? कानूनी बदलाव को लेकर जगह-जगह हिंसा और तोड़फोड़ करने से देश का ही नुकसान है। वक्फ कानूनी बदलाव को लेकर विरोध देश भर में जोरदार प्रदर्शन चल रहा है।

 

हमें इटली से कुछ सीखना चाहिए, जहां की जनता सरकार के खिलाफ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रही है। वजह है इटली की सरकार जो पैसा हथियार खरीदने में खर्च कर रही है, उसके बजाय इटली में अस्पताल और स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने की मांग की जा रही है। करीब दस हजार से ज्यादा लोग इटली की सरकार से डिमांड कर रहे हैं कि उन्हें और अच्छी सरकारी मेडिकल सुविधाएँ चाहिए।

 

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