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तुलसी की पत्तियां है सेहत के लिए वरदान, अथर्ववेद में भी है ज़िक्र, पढ़ें इस पौधे से जुड़ी खास बातें

तुलसी की पत्तियां है सेहत के लिए वरदान, अथर्ववेद में भी है ज़िक्र, पढ़ें इस पौधे से जुड़ी खास बातें

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बेहद पवित्र माना जाता है और इसे देवी का दर्जा हासिल है यह ऐसा पौधा भी है जिसका धार्मिक व आयुर्वेदिक ग्रंथों में गुणों व उपयोगिता का भरपूर वर्णन मिलता है। हिंदू धर्म में इसे देवी का रूप मानते हैं। आयुर्वेद में इसे महाऔषधि कहा जाता है। विज्ञान भी यह मानता है कि तुलसी अपनी न्यूट्रिशनल वैल्यू और विशेष औषधीय गुणों के कारण महत्वपूर्ण पौधा है। घरेलू उपचार के अलावा तुलसी का अनेक दवाओं में प्रयोग किया जाता है। इसके पत्तों में जबर्दस्त प्रतिरोधक क्षमता होती है। विशेष बात यह है कि तुलसी औषधि भी है और मसाला भी। भारतीय समाज और संस्कृति में तुलसी का महत्व इसी बात से पता चल जाता है हर परिवार इसे अपने आंगन या दरवाजे पर लगाना चाहता है। शाम के समय तुलसी के पौधे के नीचे दीया जलाने का प्रचलन हजारों सालों से चला आ रहा है। मान्यता है कि ऐसा करने से शाम के समय तुलसी से निकली गंध दीपक से निकली उष्मा से मिलकर वायु को शोधित करती है। ऐसा भी कहा जाता है कि इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख शांति का वास भी होता है।

 

पुदीने की फैमिली का पौधा है तुलसी
तुलसी की पत्तियों में खास फ्लेवर और महक होती है। यह एक ग्रीन हर्ब है, जो मिंट फैमिली का हिस्सा है। इसकी उत्पत्ति एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में हुई। हालांकि, भारत के लोगों का दावा है कि इसके गुणों को हमारे पुरखों ने पहचाना है। भारतीय संस्कृति में जीवित रहने के लिए जरूरी प्रकृति की सभी गुणवान चीजों को देवता का दर्जा दिया जाता था। तुलसी के पौधे को भी देवी का दर्जा प्राप्त है।

 

भारत में तुलसी के कई प्रकार
तुलसी का वैज्ञानिक नाम ओसीमम बासिलिकम (Ocimum basilicum) है। यह एक हर्ब है, जो आमतौर पर इटैलियन और साउथ ईस्ट एशियन फूड्स में खास फ्लेवर के लिए इस्तेमाल की जाती है। आमतौर से तुलसी के पौधे की ऊंचाई 1 मीटर यानी लगभग 3-4 फीट तक होती है। तुलसी की पत्तियों के बनावट इनकी अलग-अलग प्रजातियों पर निर्भर होती है। तुलसी के पौधे की कई किस्में भारत में पाई जाती हैं जिन्हें आम भाषा में राम तुलसी, कृष्ण तुलसी, मंजरी तुलसी जैसे नामों से जाना कहा जाता है।

 

तुलसी की न्यूट्रिशनल वैल्यू

तुलसी की पत्तियों को आमतौर पर एक साथ बहुत अधिक मात्रा में इस्तेमाल नहीं किया जाता है। अगर एक चम्मच हरी पत्तियां लेते हैं तो इसमें पूरी एक कैलोरी भी नहीं मिलती है। इसमें विटामिन K भरपूर मात्रा में होता है। इसके अलावा विटामिन A भी होता है। इसके अलावा इसमें हमारे शरीर के लिए महत्वपूर्ण मिनरल्स भी होते हैं।

तुलसी की पत्तियां है सेहत के लिए वरदान, अथर्ववेद में भी है ज़िक्र, पढ़ें इस पौधे से जुड़ी खास बातें

तुलसी की पत्तियां बेहद गुणकारी

तुलसी की पत्तियां बेहद गुणकारी होती हैं। इनके विशेष गुणों के कारण ही इसे महाऔषधि कहा जाता है। अगर इनका प्रतिदिन सेवन किया जाए तो एंग्जायटी और डिप्रेशन कम होता है। ब्रेन फंक्शनिंग बेहतर होती है। इसके सेवन से मेमोरी पावर भी बढ़ती है। सर्दी-जुकाम होने पर दादी और नानी तुलसी की पत्तियों की बनी चाय या काढ़ा देती थीं। इससे राहत भी मिल जाती थी। ऐसा इसलिए होता था क्योंकि तुलसी की पत्तियां इम्यूनिटी बूस्टर होती हैं और किसी भी तरह के इन्फेक्शन में भी कारगर होती हैं।

 

 

तुलसी की पत्तियां है सेहत के लिए वरदान, अथर्ववेद में भी है ज़िक्र, पढ़ें इस पौधे से जुड़ी खास बातें

कैंसर से बचाती है
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में अगस्त, 2016 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, तुलसी हमें कई तरह के कैंसर से बचा सकती है। इस स्टडी में देखा गया कि तुलसी ने टेस्ट ट्यूब में मानव कोलन कैंसर सेल्स ग्रोथ को रोक दिया। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में जनवरी, 2015 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, तुलसी की पत्तियों के अर्क में कैंसररोधी गुण होते हैं। तुलसी कैंसर सेल्स को बढ़ने और डिवाइड होने से रोकती है। इसके बाद उन्हें नष्ट भी कर देती है।

 

पाचन सुधरता है
तुलसी की पत्तियों के सेवन से पाचन एंजाइम अधिक स्रावित होते हैं। इनकी मदद से पाचन आसान हो जाता है। इससे एसिडिटी और गैस की समस्या भी दूर होती है। जिन लोगों को अक्सर पाचन की समस्या रहती है, उनके लिए तुलसी रामबाण साबित हो सकती है।

 

एंटी इंफ्लेमेटरी होती है
तुलसी की पत्तियों में नेचुरल एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। इससे शरीर के किसी भी अंग की सूजन कम कम की जा सकती है। लंबे समय तक इंफ्लेमेशन रहने से कई क्रॉनिक डिजीज का जोखिम बढ़ जाता है। अगर प्रतिदिन तुलसी की पत्तियों का सेवन किया जाए तो यह सूजन दूर हो सकती है।

 

अस्थमा और श्वास संबंधी बीमारियों में फायदेमंद
इसके कफ और वात संतुलन प्रभाव के कारण, यह अस्थमा और पुरानी सांस की बीमारियों, सर्दी और खांसी के उपचार में भी उपयोगी है। साथ ही यह बार-बार हिचकी आने की समस्या से भी निजात दिला सकती है।

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