
रक्षाबंधन 2025 विशेष: जानिए रक्षासूत्र (राखी) के मंत्र का महत्व और अर्थ
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Manjushree
- August 4, 2025
रक्षाबंधन 2025: रक्षाबंधन भाई-बहन का त्योहार जो उनके रिश्ते को और मजबूत करता है। बहन अपने भाई की सलामती के लिए रक्षासूत्र यानी राखी बांधती है। भाई-बहन में काफी उत्साह रहता है इस दिन के लिए। बहन अपने भाई के लिए बाजार से अच्छी से अच्छी राखी खरीदती हैं। वहीं भाई अपनी बहन के लिए उपहार खरीदता है। राखी के दिन राखी (रक्षासूत्र) की एक सुन्दर सी थाली जिसमें राखी, रोली, चावल, मिठाई, दीपक रखकर तैयार करती हैं। बहन अपने भाई के लिए अपनों हाथों से भी घर पर राखी (रक्षासूत्र) बनाती हैं।
रक्षाबंधन 2025, राखी (रक्षासूत्र) बांधने का शुभ मुहूर्त और मंत्रों उच्चारण होता है। पुराणों के मुताबिक, रक्षाबंधन के पर्व को धार्मिक संकल्प के रूप में भी देखा जाता है। कुछ लोग राखी के शुभ मुहूर्त पर ही राखी बांधते हैं। लेकिन क्या आपको पता है राखी के त्योहार पर राखी बांधते समय का एक पौराणिक मंत्र भी है ? जिसे कलाई पर राखी बांधते समय बहन बोलती हैं और यही मंत्र पुरोहित भी रक्षासूत्र यानी कलावा बांधते समय बोलते हैं।
राखी बांधते समय बोला जाने वाला मंत्र
यह मंत्र है- ‘येन बद्धो बलि राजा,दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:। राखी मंत्र का अर्थ यह है कि जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधता हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा। हे रक्षासूत्र तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।
राखी मंत्र का अर्थ
पुराणों के अनुसार इसका अर्थ यह है कि रक्षासूत्र बांधते समय ब्राह्मण या पुरोहित अपने यजमान को कहते हैं कि जिस रक्षासूत्र से दानवों के महापराक्रमी राजा बलि धर्म के बंधन में बांधे गए थे, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधता हूं, यानी धर्म के लिए प्रतिबद्ध करता हूं। इसके बाद पुरोहित रक्षासूत्र से कहता है कि हे रक्षे! तुम स्थिर रहना, स्थिर रहना। इस प्रकार रक्षासूत्र का उद्देश्य ब्राह्मणों द्वारा अपने यजमानों को धर्म के लिए प्रेरित करना होता है।
रक्षाबंधन 2025: रक्षासूत्र का पौराणिक इतिहास
राखी से जुड़ी कथा प्रसिद्ध है जो वामन पुराण, भविष्य पुराण, विष्णु पुराण में मिलती है। कहते हैं कि राजा बली बहुत दानी राजा हुआ करते थे और भगवान विष्णु के अनन्य भक्त भी थे। एक बार उन्होंने यज्ञ अनुष्ठान का आयोजन किया। इसी दौरान उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु वामनावतार लेकर धरती पर अवतरित हुए और दान में राजा बलि से तीन पग भूमि देने के लिए कहा। लेकिन उन्होंने दो पग में ही पूरी पृथ्वी और आकाश को नाप लिया। इस पर राजा बलि समझ गए कि भगवान उनकी परीक्षा ले रहे हैं।
राजा बलि ने जैसे ही तीसरा पग उठाया, भगवान् ने तुरंत उनके तीसरे पग को अपने सिर पर रखवा लिया। फिर उन्होंने भगवान से याचना की कि अब तो मेरा सबकुछ चला ही गया है, प्रभु आप मेरी विनती स्वीकारें और मेरे साथ पाताल में चलकर रहें। भगवान ने भक्त की बात मान ली और बैकुंठ छोड़कर पाताललोक चले गए।
राजा बलि के तीसरे पग के बाद देवी लक्ष्मी माँ चिंतित हो गईं। उन्होंने एक लीला रची और गरीब महिला बनकर राजा बलि के पास पहुंचीं। राजा बलि नें महिला की गरीबी देखकर उन्हें अपने महल में अपनी बहन की तरह उनकी देखभाल करने लगें। सावन पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी माँ जो एक गरीब महिला का रूप धारण कर रखा था, राजा बलि की कलाई में एक कच्चा धागा बाँध दिया।
राजा बलि ने कहा कि आपने बहन के तौर पर मेरी कलाई में यह रक्षासूत्र बांधा है तो मैं आपको कुछ देना चाहता हूं। राजा बलि ने कहा कि, आपकी जो इच्छा हो मांग लीजिए। इस पर देवी लक्ष्मी अपने वास्तविक रूप में आ गईं और बोलीं कि आपके पास तो साक्षात भगवान हैं, मुझे वही चाहिए मैं उन्हें ही लेने आई हूं। मैं अपने पति भगवाव विष्णु के बिना बैकुंठ में अकेली हूं। महिला की सच्चाई जानने के बाद भी राजा बलि धर्म के पथ पर कायम रहे और वचन के अनुसार राजा बलि ने भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ जाने दिया।
वैकुण्ठ लोक जाते समय भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह हर साल चार महीने पाताल में ही निवास करेंगे। यह चार महीना चर्तुमास के रूप में जाना जाता है जो देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठानी एकादशी तक होता है।
रक्षाबंधन 2025: राखी का मुहूर्त
इस वर्ष रक्षाबंधन 2025 पर भद्राकाल शुक्रवार, 8 अगस्त 2025 के दिन दोपहर 2:12 मिनट से शुरू होगा जो लेकर 9 अगस्त 2025 शनिवार रात 1:52 मिनट पर सामाप्त हो जाएगा। रक्षाबंधन 2025 में भाईयों को राखी बांधने के लिए बहनों के पास पूरा दिन मिलेगा। खास बात यह है कि इस बार राखी के दौरान किसी भी तरह का भद्राकाल नहीं है। शुभ मुहूर्त में राखी बांधने से भाई-बहन के रिश्ते में सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य आता है।
रक्षाबंधन 2025 का धार्मिक महत्व
रक्षाबंधन में राखी बांधने की धार्मिक महत्व महत्वपूर्ण है। रक्षाबंधन में, राखी बांधने (रक्षासूत्र) का धार्मिक अर्थ, सुरक्षा और बंधन का प्रतीक है। यह धागा भाई-बहन के रिश्ते में सुरक्षा, प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। रक्षाबंधन में, बहुत से घरों में राखी के दिन राखी बांधने से पहले भगवान विष्णु, गणेश और कुलदेवता की पूजा की जाती है। बहुत से लोग पूर्णिमा के दिन यानी राखी के सत्यनारायण (विष्णु भगवान) की कथा भी सुनते हैं या पुरोहित जी को बुलाकर सत्यनारायण कथा और हवन भी करवाते हैं। फल और चरणामृत प्रसाद के रूप में बांटते हैं।
रक्षाबंधन 2025 में राखी बांधने की विधि
- सबसे पहले थाली में राखी, रोली, चावल, दीया और मिठाई रखकर एक सुन्दर सी थाली सजाएँ।
- बहन और भाई तैयार होकर पूरब और पश्चिम की दिशा में बैठें। भाई का चेहरा पूरब की तरफ हों।
- बहन सबसे पहले भाई के सिर पर रूमाल रखकर माथे पर चावल और रोली का तिलक लगाएं।
- उसके बाद राखी पर रोली और चावल का टिका लगाकर भाई के दाहिने हाथ पर राखी मन्त्रों उच्चारण के साथ बांधें।
- बहन राखी बांधकर भाई की आरती करें और दीर्घायु की कामना करें।
- भाई को उसके पसंद की मिठाई खिलाएं।
- भाई अपनी बहन को उपहार और आशीर्वाद दें।
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Frequently Asked Questions
Q1. रक्षासूत्र बांधने का मंत्र क्या है?
Ans. 'येन बद्धो बलि राजा,दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:।'
Q2. रक्षाबंधन के मंत्र का क्या अर्थ है?
Ans. अर्थ यह है कि जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली दानवेन्द्र राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधता हूं, जो तुम्हारी रक्षा करेगा। हे रक्षासूत्र तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।
Q3 . रक्षा सूत्र का क्या महत्व है?
Ans. रक्षा सूत्र का महत्व यह है कि भाई अपने बहन की रक्षा करने के लिए हमेशा तत्पर रहें।
Q4. रक्षाबंधन में रक्षासूत्र का क्या धार्मिक अर्थ होता है?
Ans. रक्षाबंधन में, रक्षासूत्र का धार्मिक अर्थ, सुरक्षा और बंधन का प्रतीक है। यह धागा भाई-बहन के रिश्ते में सुरक्षा, प्रेम और विश्वास का प्रतीक है।
Q5. रक्षाबंधन के दिन किसकी पूजा करनी चाहिए?
Ans. रक्षाबंधन के दिन भगवान विष्णु, गणेश और कुलदेवता की पूजा की जाती है। कई जगह भगवान कृष्ण की भी पूजा होती है।
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