
दरगाह पर फातिहा को लेकर उमर अब्दुल्ला का हंगामा, दीवार फांदकर पहुंचे नक्शबंद साहब
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Shweta
- July 14, 2025
जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई शहीद दिवस को लेकर सियासी और प्रशासनिक टकराव फिर से उभर आया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने इस बार सीधे-सीधे पुलिस और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें शहीदों की कब्रों पर फातिहा पढ़ने से रोकने की कोशिश की गई, लेकिन वे दीवार फांदकर नक्शबंद साहब दरगाह (Naqshband Sahib Dargah) पहुंचे और श्रद्धांजलि दी।
प्रशासन पर लगाया हाथापाई का आरोप
उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए बताया कि उन्हें नौहट्टा चौक से आगे जाने से रोका गया और नक्शबंद साहब दरगाह का गेट बंद कर दिया गया। उन्होंने कहा, “अनिर्वाचित सरकार ने मेरा रास्ता रोका, मुझे पैदल चलने पर मजबूर किया और दरगाह का गेट बंद कर मुझे दीवार फांदने पर मजबूर किया।” उमर का आरोप है कि मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उनके साथ हाथापाई की कोशिश की, लेकिन वह रुके नहीं।
Paid my respects & offered Fatiha at the graves of the martyrs of 13th July 1931. The unelected government tried to block my way forcing me to walk from Nawhatta chowk. They blocked the gate to Naqshband Sb shrine forcing me to scale a wall. They tried to physically grapple me… pic.twitter.com/IS6rOSwoN4
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) July 14, 2025
“हम किसी के गुलाम नहीं”
गुस्से में नजर आए उमर अब्दुल्ला ने प्रशासन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, “ये लोग समझते हैं कि हम उनके गुलाम हैं, लेकिन हम किसी के गुलाम नहीं हैं। हम सिर्फ जम्मू-कश्मीर की जनता के सेवक हैं।” उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर उन्हें फातिहा पढ़ने से किस कानून के तहत रोका गया।
“वर्दी वाले कानून भूल जाते हैं”
उमर ने आगे कहा कि जिन अधिकारियों की ड्यूटी सिर्फ सुरक्षा और कानून-व्यवस्था तक सीमित होनी चाहिए, वे कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं। “वर्दी पहनकर कुछ लोग यह भूल जाते हैं कि कानून क्या कहता है। कल रात मेरे घर के बाहर बंकर लगा दिया गया, सिर्फ इसलिए कि मैं दरगाह न जा सकूं।”
This is the physical grappling I was subjected to but I am made of sterner stuff & was not to be stopped. I was doing nothing unlawful or illegal. In fact these “protectors of the law” need to explain under what law they were trying to stop us from offering Fatiha pic.twitter.com/8Fj1BKNixQ
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) July 14, 2025
“13 जुलाई ही नहीं, जब चाहेंगे तब आएंगे”
उन्होंने दोहराया कि नक्शबंद साहब दरगाह सिर्फ 13 जुलाई के लिए नहीं, साल भर शहीदों की याद के लिए है। “हम जब चाहें, यहां आएंगे। सरकार हमें ज्यादा दिनों तक नहीं रोक सकती।” उमर ने कहा कि दरगाह और शहीदों की कब्रें केवल एक दिन के लिए नहीं हैं।
उमर अब्दुल्ला का यह आक्रामक रुख बताता है कि कश्मीर की सियासत में अब भी शहीद दिवस और नक्शबंद साहब दरगाह जैसे प्रतीकात्मक स्थलों को लेकर टकराव और असहमति बनी हुई है।
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