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अब बूंद-बूंद को तरसेगा पड़ोसी, सिंधु जल संधि पर बड़ा फैसला

अब बूंद-बूंद को तरसेगा पड़ोसी, सिंधु जल संधि पर बड़ा फैसला

 

सिंधु जल संधि पर रोक की योजना 3 फेज में लागू होगी, अब पाकिस्तान एक बूंद के लिए भी तरसेगा

 

पहलगाम आतंकी हमले के बाद सर्वदलीय बैठक में केंद्र सरकार द्वारा सिंधु जल संधि को निरस्त करने के बाद सिंधु जल समझौते पर कार्यवाही शुरू हो चुकी है। कल गृह मंत्री की अध्यक्षता में यह बैठक हुई और उच्च स्तरीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और जल संसाधन मंत्री सी.आर. पाटिल ने बैठक में हिस्सा लिया, जो करीब 45 मिनट लंबी चली।

 

सिंधु जल समझौते को ठंडे बस्ते में डालकर भारत ने पाकिस्तान की रातों की नींद उड़ा दी है। सिंधु के पानी को रोके जाने के डर से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और एटम बम के इस्तेमाल तक की धमकी देने पर उतर आया है। यह विपक्ष की तरफ से भी मुद्दा उठाया गया था और आम लोग भी सोच रहे थे कि यह कैसे होगा? लेकिन सरकार ने सिंधु के पानी को रोकने के लिए तीन चरण में लागू करने पर कार्यवाही का क्रम शुरू कर चुकी है।

 

बैठक के बाद जल संसाधन मंत्री सी.आर. पाटिल ने कहा कि पाकिस्तान को लेकर सिंधु जल संधि को तीन फेज में लागू किया जाएगा। तत्काल प्रभाव के लिए एक शॉर्ट टर्म स्कीम लागू की जाएगी। उसके साथ मिड टर्म पॉलिसी के तहत लॉन्ग टर्म पॉलिसी बनाई जाएगी। आधुनिक तकनीक से बांधों की क्षमता बढ़ाई जाएगी ताकि ज्यादा से ज्यादा पानी को स्टोर किया जा सके, जिससे एक बूंद भी पानी पाकिस्तान न जाए। इसके लिए बांधों की गाद हटाई जाएगी। आने वाले दिनों में इसे सुनिश्चित किया जाएगा। कल जलशक्ति सचिव ने बताया कि इंडस वाटर ट्रीटी अब रद्द हो गई है। कारण है उसमें कई रूल्स का वायलेशन जो पाकिस्तान की तरफ से किया गया है। आतंकवाद की मदद पाकिस्तान अपनी धरती से भारत के खिलाफ कर रहा है।  

 

इससे पहले, सरकार ने संधि को निलंबित करने के अपने फैसले को लागू करने के लिए एक औपचारिक अधिसूचना 24 अप्रैल को इसे पाकिस्तान को सौंप दिया गया। अधिसूचना में कहा गया है कि सिंधु जल संधि को स्थगित रखा जा रहा है। संधि के अब निलंबित होने के बाद, भारत पाकिस्तान की अनुमति या परामर्श के बिना नदी पर बांध बनाने के लिए अब स्वतंत्र है।

 

इधर सिंधु जल संधि को निलंबित करने के केंद्र सरकार के फैसले पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, "भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। जहां तक जम्मू-कश्मीर का सवाल है, हम कभी भी सिंधु जल संधि के पक्ष में नहीं रहे हैं। हमारा हमेशा से मानना रहा है कि सिंधु जल संधि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे अनुचित दस्तावेज है।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें- The India Moves

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