
Navratri 2025: नवरात्रि खत्म होने के बाद कलश और अखंड ज्योत का सही विसर्जन कैसे करें? जानें शुभ मुहूर्त और विधि
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Anjali
- October 1, 2025
नवरात्रि समापन: कलश और अखंड ज्योत का सही विसर्जन
Navratri 2025 का महापर्व पूरे भक्तिमय वातावरण में मनाया जा रहा है। यह पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित है। नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना यानी कलश स्थापना की जाती है और अखंड ज्योत प्रज्वलित किया जाता है। नौ दिनों तक मां दुर्गा की विधिवत पूजा और भजन-कीर्तन के साथ अखंड ज्योत जलता रहता है। लेकिन Navratri 2025 के समापन पर कलश और अखंड ज्योत का सही विसर्जन करना बहुत जरूरी होता है।
नवरात्र के बाद कलश का क्या करें?
नवरात्र की महानवमी के दिन कलश स्थापना का समापन होता है। शास्त्रों के अनुसार, यदि आपने मिट्टी का कलश स्थापित किया है तो उसे किसी पवित्र नदी, तालाब या झरने में विसर्जित कर दें। वहीं, पीतल, ताम्बे या अन्य धातु के कलश को सुरक्षित रखा जा सकता है ताकि अगले Navratri 2025 में उसका पुन: प्रयोग किया जा सके।
कलश विसर्जन के दौरान कलश के अंदर रखे गए सिक्के को निकालकर तिजोरी या धन स्थान में रखना शुभ माना जाता है। व्यापारी लोग इसे अपने गल्ले में रख सकते हैं।
कलश के नारियल और जल का क्या करें?
नवरात्र की महानवमी पर कलश के ऊपर रखे नारियल को फोड़कर प्रसाद के रूप में बांट दें। कुछ नारियल का टुकड़ा कन्याओं की थाली में भी रखा जा सकता है। कलश में रखा जल घर के अलग-अलग हिस्सों में छिड़क दें। इसे तुलसी या पीपल के पेड़ के नीचे भी अर्पित किया जा सकता है। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
अखंड ज्योत विसर्जन का सही तरीका
नवरात्र के समापन पर अखंड ज्योत विसर्जन को खुद से न बुझाएं। तेल या घी समाप्त होने पर यह अपने आप बुझ जाती है। इसके बाद आप इसकी बाती को मिट्टी के कलश और अन्य पूजन सामग्री के साथ नदी में प्रवाहित कर सकते हैं। मंदिर में नए दीयों को जलाकर पुनः आराधना कर सकते हैं। Navratri 2025 में अखंड ज्योत का विसर्जन और कलश विसर्जन एक ही दिन किया जाता है। यह प्रक्रिया पूरे घर और परिवार के लिए सुख, समृद्धि और शांति का संदेश लेकर आती है।
नवरात्र में बोई गई जौ का विसर्जन
नवरात्र में कलश के चारों ओर बोई गई जौ को भी विसर्जित करना आवश्यक है। इसे किसी पवित्र नदी या तालाब में प्रवाहित करें। जौ को यूँ ही कहीं फेंकना नहीं चाहिए।
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Navratri Kalash Visarjan 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त
- इस साल Navratri 2025 का कलश विसर्जन और दुर्गा विसर्जन 2 अक्टूबर 2025 को दशमी तिथि के दिन किया जाएगा।
- शुभ मुहूर्त: 1 अक्टूबर की शाम 7:01 बजे से 2 अक्टूबर की शाम 7:10 बजे तक
- इस समय का पालन करके आप कलश विसर्जन विधि पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ कर सकते हैं।
कलश विसर्जन मंत्र
कलश विसर्जन के दौरान नीचे दिए मंत्र का उच्चारण करें:
- आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
- पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
- मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
कलश विसर्जन विधि
- कलश को प्रणाम करें और हल्का सा हिलाएं।
- ऊपर रखा नारियल प्रसाद के रूप में बांट दें।
- कलश में रखा जल आम के पत्ते से पूरे घर में छिड़कें।
- बचे हुए जल को पेड़-पौधों या तुलसी के पास नहीं डालें।
- कलश में रखी जौ और अन्य सामग्री को पवित्र नदी या तालाब में प्रवाहित करें।
Navratri 2025 के इन नौ दिनों में मां दुर्गा की भक्ति और पूजा का महत्व अत्यंत होता है। कलश और अखंड ज्योत का सही विसर्जन करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इस वर्ष नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर को समापन हुआ और कलश विसर्जन 2 अक्टूबर को दशमी तिथि पर किया जाएगा।
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