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क्या ट्रंप के खिलाफ साज़िश रच रहा है चीन?

क्या ट्रंप के खिलाफ साज़िश रच रहा है चीन?

दक्षिण-पूर्व एशिया में ट्रंप के खिलाफ चीन की चाल?

China vs Trump: क्या दक्षिण-पूर्व एशिया की ज़मीन पर एक नई ट्रेड वॉर की स्क्रिप्ट तैयार हो रही है? क्या चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jingping) अमेरिका को घेरने की रणनीति पर निकले हैं? और अगर ऐसा है, तो क्या वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया जैसे देश इस गेम का हिस्सा बन चुके हैं? ये सवाल यूं ही नहीं उठ रहे, क्योंकि शी जिनपिंग का पांच दिन का दक्षिण-पूर्व एशिया दौरा ठीक उसी समय शुरू हुआ है, जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 145% और वियतनाम पर 46% तक के भारी टैक्स दोबारा लगा दिए। इस फैसले ने पूरे एशिया में हलचल मचा दी है। वियतनाम को इस कदम से सीधा झटका लगा है, क्योंकि वह एक तरफ अमेरिका को सामान बेचता है और दूसरी तरफ चीन से बड़े पैमाने पर व्यापार करता है। ऐसे में शी जिनपिंग का अचानक वियतनाम दौरा और वहां के टॉप नेताओं से मिलना, कई संकेत दे रहा है। ये दौरा पिछले 18 महीनों में शी की दूसरी वियतनाम यात्रा है, जिसमें 45 बड़े समझौते हुए हैं। रेल, व्यापार और सप्लाई चेन से जुड़े ये समझौते ऐसे वक्त में हुए हैं, जब दुनिया भर में चीन और अमेरिका के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। US-China Tensions

क्या ट्रंप के खिलाफ साज़िश रच रहा है चीन?

आर्थिक रिश्तों की आड़ में छुपा कोई और इरादा?

इस दौरे में वियतनाम (Vietnam) ने चीन के साथ अरबों डॉलर की डील की है। ये डील ऐसे समय पर हुई है जब अमेरिकी टैरिफ (America Tariff)  से परेशान कई चीनी कंपनियाँ पहले ही अपना प्रोडक्शन वियतनाम शिफ्ट कर चुकी हैं। अब चीन इन रिश्तों को और मजबूत करना चाहता है। लेकिन सवाल यह है कि ये समझौते क्या सिर्फ व्यापार बढ़ाने के लिए हुए हैं या अमेरिका को चुपचाप जवाब देने के लिए? ट्रंप को पूरा शक है कि चीन इस मौके का इस्तेमाल अमेरिका को कमजोर करने के लिए कर रहा है। उन्होंने कहा, “मैं चीन को दोष नहीं देता, न ही वियतनाम को, पर जो हो रहा है वो हमारे खिलाफ ही है।” उधर शी जिनपिंग कहते हैं कि “ट्रेड वॉर में कोई नहीं जीतता”, लेकिन उनकी सरकार हर मोर्चे पर अमेरिका की नीति का जवाब दे रही है। अमेरिका को लगता है कि चीन अब उसके पुराने साथियों को धीरे-धीरे अपने पक्ष में कर रहा है। वियतनाम जैसे देश फंसे हुए हैं – न तो वे अमेरिका को नाराज़ कर सकते हैं, और न ही चीन से रिश्ते खराब कर सकते हैं। Geopolitical Strategy

 

अमेरिका की टैरिफ रणनीति बनाम चीन की कूटनीति

अमेरिका ने कुछ सेक्टरों में छूट जरूर दी है, जैसे (Electronics items) स्मार्टफोन, लैपटॉप और चिप्स जैसे सामान पर फिलहाल टैक्स कम किया गया है। लेकिन ट्रंप ने साफ कर दिया है कि ये छूट सिर्फ अस्थायी है और चीन को इसका कोई फायदा नहीं मिलेगा। “कोई भी इससे बच नहीं सकता – खासकर चीन नहीं,” ट्रंप ने साफ कहा। ऐसे में ये सवाल उठता है कि क्या अमेरिका और चीन अब सच में अलग-अलग रास्तों पर जा रहे हैं? क्या ग्लोबल इकॉनमी (Global Economy) दो हिस्सों में बंटने की ओर बढ़ रही है? शी जिनपिंग ने वियतनाम के प्रधानमंत्री से मुलाकात में कहा कि “हमें एकतरफा दबाव और धमकियों का विरोध करना चाहिए।” ये लाइन सीधे-सीधे अमेरिका की नीति पर निशाना मानी जा रही है। वियतनाम ने हाल में चीन के साथ कुछ व्यापार पर कंट्रोल बढ़ाया है – जो अमेरिकी दबाव का ही नतीजा माना जा रहा है। इस सबके बीच ट्रंप और वियतनाम के राष्ट्रपति के बीच टैरिफ कम करने पर सहमति की खबर भी सामने आई है, लेकिन क्या वियतनाम दोनों तरफ संतुलन बना पाएगा?

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अब अगला कदम क्या होगा?

अब जब शी जिनपिंग मलेशिया (Malasiya) और कंबोडिया (Combodia) की ओर बढ़ रहे हैं, तो सवाल उठता है – क्या ये दौरा सिर्फ व्यापारिक समझौतों का हिस्सा है या एक बड़ी रणनीति का हिस्सा? क्या चीन अब दक्षिण-पूर्व एशिया के हर कोने में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है? क्या ट्रंप की टैरिफ नीति का जवाब चीन इन मुलाकातों के ज़रिए दे रहा है? और सबसे बड़ा सवाल – क्या ये दौरा अमेरिका को पीछे धकेलने की शुरुआत है? जवाब अभी साफ नहीं है, लेकिन संकेत बहुत कुछ कह रहे हैं। अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर भले ही नई बात न हो, लेकिन इस बार गेम प्लान ज़्यादा जटिल और तेज़ है। दोनों देश अपने-अपने तरीके से तैयारियाँ कर रहे हैं – कोई टैरिफ बढ़ा रहा है तो कोई रणनीतिक दौरे कर रहा है। अब सबकी नज़र इस पर है कि ये तनाव किस दिशा में जाएगा। फिलहाल इतना तो तय है – ग्लोबल ट्रेड की ज़मीन पर कुछ बड़ा और नया होने जा रहा है, और शायद ये सिर्फ शुरुआत है।

 

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