India Canada Relations : भारतीय छात्र जाना बंद कर दें तो कनाडा को कितना नुकसान?
- Anjali
- October 24, 2024
India Canada Relations : भारत और कनाडा के रिश्तों में एक बार फिर कड़वाहट देखने को मिल रही है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर अपने राजनयिकों और संगठित अपराध का इस्तेमाल कर उसके नागरिकों पर हमला करने का झूठा आरोप लगाया है। हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर जांच में भारतीय राजनयिकों को जोड़ने पर भारत ने सख्त रुख दिखाया है। कनाडा के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए भारत ने उसके छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। भारत पहले ही कनाडा के आरोपों को बेबुनियाद बता चुका है। निज्जर की हत्या के मामले में पिछले साल सितंबर में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध तनावपूर्ण चल रहे हैं। इस बीच चलिए नजर डालते हैं कि भारत और कनाडा के बीच संबंध बिगड़े तो किन क्षेत्रो में असर पड़ सकता है।
भारत के साथ तनावपूर्ण संबंधों की वजह से छात्रों के आव्रजन, व्यापार संबंधों और कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति पर प्रभाव पड़ेगा। सबसे पहले बात करते हैं भारतीय छात्र और आव्रजन के मुद्दे पर।
भारतीय छात्र और आव्रजन
कनाडा की आव्रजन नीतियाँ भी भारतीय छात्रों के लिए अनुकूल हैं, जिससे वे पढ़ाई के बाद स्थायी निवास के अवसर प्राप्त कर सकते हैं। यह दोनों देशों के बीच के संबंधों को और मजबूत बना रहा है। कनाडा में जितने भी अंतर्राष्ट्रीय छात्र जाते हैं उनमें भारत की बड़ी भूमिका है। 2022 में 800,000 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में से 40 फीसदी से अधिक भारत से थे। इमिग्रेशन, रिफ्यूजी एंड सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) के अनुसार, 2022 में रिकॉर्ड 226,450 भारतीय छात्र कनाडा में अध्ययन करने गए, जो 2023 में बढ़कर 2.78 लाख छात्र हो गए। ये भारतीय छात्र कनाडा की अर्थव्यवस्था, संस्कृति में बड़ा योगदान दे रहे हैं।
आर्थिक योगदान
रतीय छात्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय छात्र कनाडा की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। वे न केवल उच्च शिक्षा प्राप्त करते हैं, बल्कि कई क्षेत्रों में काम करके श्रम अंतराल को भी भरते हैं। खासकर कम वेतन वाली नौकरियों में। यह देश की आर्थिक वृद्धि और विकास में योगदान देता है।
कौशल का विविधीकरण
भारतीय छात्रों की तकनीकी दक्षता और नवाचार की भावना कनाडा की ज्ञान अर्थव्यवस्था को समृद्ध करने में मदद करती है। कई छात्र विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) जैसे क्षेत्रों में उच्च शिक्षा और शोध करते हैं, जिससे कनाडा के नवाचार परिदृश्य को लाभ होता है।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान
भारतीय छात्र कनाडाई समाज को अपनी संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों से परिचित कराते हैं, जिससे अंतर-सांस्कृतिक समझ और आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलता है। इससे कनाडाई समुदाय समृद्ध होते हैं और अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
जनसांख्यिकीय चुनौतियों का समाधान
भारतीय छात्र, अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, संभावित रूप से स्थायी निवासी या नागरिक बन सकते हैं, जो कनाडा के कार्यबल और सामाजिक ताने-बाने में योगदान देते हैं। इससे श्रम की कमी और जनसांख्यिकीय चुनौतियों का समाधान करने में मदद मिलती है।
अनुसंधान सहयोग
कई भारतीय छात्र कनाडाई शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के साथ सहयोग करते हैं, जिससे संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं और प्रकाशन होते हैं। इससे कनाडा की अनुसंधान क्षमताएं मजबूत होती हैं और विभिन्न क्षेत्रों में इसकी वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ती है।
हालांकि, अब जब भारत और कनाडा के संबंधों में तनाव लगातार बढ़ रहा है तो इसके कारण भारतीय छात्रों द्वारा दायर आवेदनों में गिरावट देखने को मिल सकती है। भारतीय प्रवासियों की कमी के चलते व्यापार संबंधों में बड़ी गिरावट कनाडा के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है।
ऐसे पड़ रहा है असर
अब कनाडा और भारत के बीच चल रहे तनाव के कारण वार्ता रोक दी गई है और इसका भारत से ज्यादा कनाडा पर असर पड़ेगा। इस मामले में दालें सबसे अच्छा उदाहरण हैं। कनाडा दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत बड़े पैमाने पर दालों का उपभोग करता है। ऐसे में दालों का आयात हुआ और आयात के लिए सबसे बड़े दावेदारों में से एक कनाडा था। भारत कनाडा व्यापार लगभग 8 बिलियन डॉलर का हुआ करता था जिसमें आयात और निर्यात बराबर यानी लगभग 4 बिलियन डॉलर था। पिछले कुछ वर्षों में दालों की खपत और आयात में एक साथ वृद्धि हुई है, जबकि उत्पादन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, लेकिन कनाडा से आयातित दालों की मात्रा कम हो गई है और इसकी जगह म्यांमार और नाइजीरिया जैसे अन्य विकल्पों ने ले ली है। 2015 के आसपास, भारत कनाडा से लगभग 2.1 बिलियन डॉलर की दालें आयात करता था। कुछ वर्षों में यह घटकर लगभग सैकड़ों मिलियन ($300-400 मिलियन) रह गया है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के अनुसार, भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था कनाडा को बेहतर व्यापार अवसर देता है। हालांकि, अब विवाद के चलते कनाडा से व्यापर पर असर देखने को मिलेगा।
यह भी जानें
कई सहयोगी देश ऐसे भी हैं जो मोदी सरकार के साथ संबंधों में तनाव से बचने के लिए कनाडा का समर्थन करने में संकोच कर सकते हैं। भारत कुछ समूहों में कनाडा के समावेश को रोक भी सकता है। इसके अलावा, नवंबर 2022 के अंत में, कनाडा ने अपनी बहुप्रतीक्षित और लंबे समय से प्रतीक्षित इंडो-पैसिफिक रणनीति जारी की, जिसे कनाडाई लोगों ने काफी पसंद किया। भारत के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंधों के बिना कनाडा की इंडो-पैसिफिक रणनीति अपने वांछित परिणाम नहीं दे सकती थी।
भारत पर कहां होगा ज्यादा असर
कनाडा से संबंध बिगड़ने पर सबसे ज्यादा असर सिर्फ एक चीज पर होगा और वह हैं हमारे छात्र। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत से विदेश पढ़ने जाने वाले कुल छात्रों में से 40 फीसदी तो सिर्फ कनाडा का रुख करते हैं। हालांकि, इसका सबसे ज्यादा फायदा भी कनाडा को मिलता है, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों के जाने से उसकी हर साल करोड़ों डॉलर में कमाई भी होती है। बावजूद इसके हमारे पास विकल्प के तौर पर रूस और अमेरिका भी मौजूद हैं।
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