
Dussehra 2025: क्या आप जानते हैं? भारत की वो खास जगहें जहां रावण दहन नहीं बल्कि लंकापति रावण की पूजा होती है
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Anjali
- September 30, 2025
जानिए भारत के वो खास जगहें जहां होती है लंकापति रावण की पूजा
Dussehra 2025 यानी विजयादशमी का पर्व इस साल 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह दिन सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक है। आमतौर पर पूरे भारत में दशहरे के दिन रावण दहन किया जाता है। कहा जाता है कि भगवान राम ने इस दिन लंकापति रावण का वध किया था। लेकिन देश में कुछ जगहें ऐसी भी हैं, जहां दशहरे पर रावण दहन नहीं किया जाता बल्कि लंकापति रावण की पूजा होती है। आइए जानते हैं इन खास स्थानों के बारे में।
1. उत्तर प्रदेश: बिसरख और बड़ागांव
बिसरख (गौतमबुद्ध नगर) — इस गांव को रावण का जन्मस्थान माना जाता है। यहां दशहरे के दिन रावण दहन नहीं किया जाता। लोग लंकापति रावण की पूजा करते हैं और उसकी विद्वत्ता और शक्ति का सम्मान करते हैं। यही वजह है कि बिसरख में दशहरे पर सिर्फ पूजा होती है।
बड़ागांव (बागपत) — बड़ागांव के लोग भी दशहरे पर रावण दहन नहीं करते। यहां के निवासी रावण को अपना पूर्वज मानते हैं। कहा जाता है कि रावण ने यहां मां मनसा देवी की मूर्ति स्थापित की थी, इसलिए गांव वाले खुद को भाग्यशाली मानते हैं और दशहरे पर रावण की पूजा करते हैं।

2. उत्तर प्रदेश: कानपुर
दशानन मंदिर, कानपुर - यह मंदिर दशहरे पर ही खुलता है। यहां दशहरे पर रावण दहन नहीं, बल्कि रावण की पूजा होती है। लोग मानते हैं कि रावण विद्वान और महाशिव भक्त थे। दशहरे पर यहां विशेष आरती और पूजा की जाती है।

3. मध्य प्रदेश: मंदसौर और उज्जैन
मंदसौर - मंदसौर को रावण की ससुराल माना जाता है। यहां दशहरे के दिन रावण दहन नहीं किया जाता, बल्कि उसका सम्मान करते हुए लंकापति रावण की पूजा की जाती है। इसे रावण के दामाद होने की परंपरा से जोड़ा जाता है।
उज्जैन (चिखली गांव) - उज्जैन में लोग दशहरे पर रावण दहन नहीं करते। यहां के लोग मानते हैं कि यदि रावण की पूजा न की जाए तो गांव जलकर राख हो जाएगा। इसलिए दशहरे पर रावण पूजा की जाती है और विशालकाय रावण की मूर्ति स्थापित की जाती है।

4. हिमाचल प्रदेश: कांगड़ा और बैजनाथ
कांगड़ा और बैजनाथ - हिमाचल के इन हिस्सों में लोग दशहरे पर रावण दहन नहीं करते। यहां रावण को विद्वान और महाशिव भक्त मानकर पूजा जाता है। लोग मानते हैं कि रावण दहन करने पर मृत्यु का खतरा हो सकता है। इसलिए दशहरे पर यहां Ravan Puja का आयोजन होता है।

5. महाराष्ट्र: अमरावती और गढ़चिरौली
महाराष्ट्र के आदिवासी समुदाय भी रावण दहन नहीं करते। गढ़चिरौली और अमरावती में लोग रावण और उनके पुत्र को अपना देवता मानते हैं। दशहरे पर यहां लंकापति रावण की पूजा की जाती है।

6. राजस्थान, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश
- जोधपुर, राजस्थान - कुछ समाज के लोग रावण को अपना वंशज मानते हैं। यहां दशहरे पर रावण दहन नहीं, बल्कि रावण पूजा होती है।
- कर्नाटक (कोलार और मंडया) - यहां दशहरे पर लोग रावण को महान शिवभक्त मानकर उसकी पूजा करते हैं।
- काकिनाड, आंध्र प्रदेश - यहां दशहरे पर लोग रावण दहन नहीं करते, बल्कि उसे शक्ति सम्राट मानकर Ravan Puja करते हैं।

क्यों होती है कुछ जगहों पर रावण की पूजा?
इन जगहों पर रावण दहन नहीं होने के पीछे धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं। कहीं लोग रावण को विद्वान मानते हैं, कहीं शिवभक्त और कहीं अपने पूर्वज। यही वजह है कि दशहरे के दिन इन जगहों पर लंकापति रावण की पूजा की जाती है, न कि रावण दहन।
दशहरे का पर्व सत्य की असत्य पर जीत का प्रतीक है। जहां अधिकांश भारत में रावण दहन किया जाता है, वहीं कुछ स्थानों पर लोग लंकापति रावण की पूजा करते हैं। Dussehra 2025 पर बिसरख, बड़ागांव, कानपुर, उज्जैन, मंदसौर, बैजनाथ, अमरावती, जोधपुर, काकिनाड और कर्नाटक में दशहरे पर रावण दहन नहीं होता बल्कि रावण की पूजा की जाती है। यह परंपरा दर्शाती है कि भारत में एक ही त्योहार कितने विविध रूपों में मनाया जाता है।
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