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Banke Bihariji 19 November Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, मार्घशीष माह की चतुर्थी-पंचमी तिथि

Banke Bihariji 19 November Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, मार्घशीष माह की चतुर्थी-पंचमी तिथि

Banke Bihariji 19 November Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि आज शाम 05 बजकर 29 मिनट से शुरू हो रही है। इससे पूर्व चतुर्थी तिथि है। मार्गशीर्ष महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस दिन गंगा आरती की जाती है।

 

शुभ योग

ज्योतिषियों की मानें तो मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर साध्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का समापन दोपहर 02 बजकर 56 मिनट तक है। इसके साथ ही शुभ योग का भी संयोग बन रहा है। इन योग में हनुमान जी की पूजा करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्ति होगी। आज यानी 19 नवंबर को आर्द्रा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस योग में राम परिवार की उपासना करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। ज्योतिष आर्द्रा नक्षत्र को शुभ मानते हैं। इन योग में शुभ कार्य करने से साधक पर हनुमान जी की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक के सकल मनोरथ पूर्ण होंगे। साथ ही करियर और कारोबार में विशेष सफलता मिलेगी।

 

आज 19 नवंबर का पंचांग

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 26 मिनट पर
चन्द्रोदय- रात 08 बजकर 38 मिनट से
चन्द्रास्त- सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजे से 05 बजकर 54 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से 02 बजकर 35 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 26 मिनट से 05 बजकर 52 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 34 मिनट तक
अशुभ समय
राहु काल - दोपहर 02 बजकर 46 मिनट से 04 बजकर 06 मिनट तक
गुलिक काल - दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 26 मिनट तक
दिशा शूल - उत्तर

 

ताराबल

अश्विनी, भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, रेवती

 

चन्द्रबल

मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर

 

क्यों खास है बांके बिहारी मंदिर?

बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो भगवान श्री कृष्ण के एक विशेष स्वरूप को समर्पित है। 1864 में स्थापित, यह मंदिर अपनी अद्वितीय मूर्ति और भक्ति के वातावरण के लिए जाना जाता है। भक्तों के लिए यहां आने का अनुभव दिव्य होता है, जहां कीर्तन, भजन और विशेष पूजा विधियां उन्हें आध्यात्मिक शांति और ऊर्जा प्रदान करती हैं। इस मंदिर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है, जो कृष्ण भक्ति की गहराई को दर्शाता है, और यह स्थान हर साल हजारों भक्तों को आकर्षित करता है।

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