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Banke Bihariji 08 March 2025 Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी-दशमी तिथि

Banke Bihariji 08 March 2025 Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी-दशमी तिथि

Banke Bihariji 08 March 2025 Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन। हिन्दू पंचांग के अनुसार आज 8 मार्च 2025 को शनिवार का दिन है। आज फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि सुबह 08 बजकर 24 मिनट तक रहेगी, इसके बाद दशमी तिथि आरंभ हो जाएगी। ऐसे में आज नवमी तिथि का क्षय हो रहा है। शनिवार का दिन पूर्ण रूप से भगवान शनि को समर्पित है। ऐसा कहा जाता कि जो साधक इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें बुद्धि, ज्ञान, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है।

 

आज का पंचांग- 08 मार्च 2025

ऋतु - वसंत
चन्द्र राशि - मिथुन

 

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 40 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 26 मिनट पर
चन्द्रोदय - दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर
चन्द्रास्त - सुबह 03 बजकर 39 मिनट पर

 

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शुभ मुहूर्त

रवि योग - पूरे दिन
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 20 मिनट से 03 बजकर 17 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 23 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक

 

अशुभ समय

राहु काल - सुबह 09 बजकर 37 मिनट से 11 बजकर 01 मिनट तक
गुलिक काल - सुबह 06 बजकर 41 मिनट से 08 बजकर 11 मिनट तक।
दिशा शूल - पूर्व

 

ताराबल

अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद।

 

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चन्द्रबल

मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर।

 

शनिवार को करें इन मंत्रों का जाप

  1. ॐ शनैश्चराय विदमहे छायापुत्राय धीमहि
    तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्!
  2. सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: ।
  3. दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।। तन्नो मंद: प्रचोदयात ॥

 

निधिवन में प्रकट हुए बांके बिहारी जी

संत हरिदास जी निधिवन में अपनी बांसुरी और स्वर माधुर्य से राधा-कृष्ण की लीलाओं का गान करते थे। कहा जाता है कि एक दिन जब वे भक्ति और प्रेम में डूबकर भजन गा रहे थे, तो राधा-कृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं उनके सामने प्रकट हुए। संत हरिदास जी ने जब भगवान का यह दिव्य रूप देखा, तो उनसे प्रार्थना की कि वे एक रूप में प्रकट होकर हमेशा भक्तों के बीच रहें। उनकी प्रार्थना पर भगवान राधा-कृष्ण ने एक दिव्य मूर्ति का रूप धारण किया। यह मूर्ति बांके बिहारी जी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

 

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