
Banke Bihariji 03 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन, पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि
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Neha
- January 3, 2025
Banke Bihariji 03 January Darshan : बांके बिहारी जी के आज के दर्शन। हिन्दू पंचांग के अनुसार आज 03 जनवरी 2025 को पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस तिथि पर विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी। साथ ही आज के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं।
आज का पंचांग (Panchang 03 January 2025)
पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि समाप्त - रात 11 बजकर 40 मिनट तक
नक्षत्र - धनिष्ठा
वार - शुक्रवार
ऋतु - शिशिर
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 37 मिनट पर
चंद्रोदय - सुबह रात 09 बजकर 56 मिनट से
चन्द्रास्त - रात 09 बजकर 06 मिनट पर
चन्द्र राशि - मकर
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शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 05 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 20 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 34 मिनट से 06 बजकर 02 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 59 मिनट से 04 जनवरी रात 12 बजकर 53 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक
रवि योग - सुबह 07 बजकर 14 मिनट से रात 10 बजकर 22 मिनट तक
अशुभ समय
राहुकाल - सुबह 11 बजकर 16 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक
गुलिक काल - सुबह 08 बजकर 28 मिनट से सुबह 09 बजकर 49 मिनट तक
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दिशा शूल - पश्चिम
विडाल योग - रात 10 बजकर 22 मिनट से 04 जनवरी सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक
भद्रा - दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से रात 11 बजकर 39 मिनट तक
पंचक - सुबह 10 बजकर 47 मिनट से 04 जनवरी सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक
नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबल
भरणी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती
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राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम
मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक, मकर, मीन
निधिवन में प्रकट हुए बांके बिहारी जी
संत हरिदास जी निधिवन में अपनी बांसुरी और स्वर माधुर्य से राधा-कृष्ण की लीलाओं का गान करते थे। कहा जाता है कि एक दिन जब वे भक्ति और प्रेम में डूबकर भजन गा रहे थे, तो राधा-कृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं उनके सामने प्रकट हुए। संत हरिदास जी ने जब भगवान का यह दिव्य रूप देखा, तो उनसे प्रार्थना की कि वे एक रूप में प्रकट होकर हमेशा भक्तों के बीच रहें। उनकी प्रार्थना पर भगवान राधा-कृष्ण ने एक दिव्य मूर्ति का रूप धारण किया। यह मूर्ति बांके बिहारी जी के नाम से प्रसिद्ध हुई।
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