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Predator Drone Deal : US से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदेगा भारत, 32 हजार करोड़ की डील

Predator Drone Deal : US से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदेगा भारत, 32 हजार करोड़ की डील

New Delhi: भारत और अमेरिका के बीच रक्षा क्षेत्र (Defance) में एक बड़ी डील हुई है, भारत ने 31 ‘प्रीडेटर’ ड्रोन (31 Predator Drones) खरीदने संबंधी समझौते को अंतिम रूप दिया है। भारत प्रमुख अमेरिकी रक्षा और प्रौद्योगिकी कंपनी ‘जनरल एटॉमिक्स’ (General Atomics) से ये अत्याधुनिक ड्रोन खरीदेगा। भारतीय नौसेना को 31 में से 15 ड्रोन, जबकि सेना और वायु सेना (Indian Air force) को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे, जिनके शांतिकालीन निगरानी में गेम चेंजर साबित होने की उम्मीद है।

लम्बे समय से थी ड्रोन की जरूरत

चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति मजबूत करने और निगरानी को बढ़ावा देने के लिए सेना, नौसेना और वायु सेना ने एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की जरूरत जताई थी। खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहती है। इस ड्रोन के आने के बाद हिंद महासागर पर चीन के खिलाफ घेराबंदी और मजबूत हो सकेगी। इसी क्रम में प्रीडेटर ड्रोन के सौदे को 15 जून, 2023 को रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) से मंजूरी मिली थी। इसके बाद पिछले सप्ताह 10 अक्टूबर को सीसीएस ने भी मंजूरी दे दी।

 

हेलफायर मिसाइल (Hellfire Missile) से लैस, अमेरिकी ने इसी से मारा गया था अलजवाहिरी

MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन MQ-9 रीपर ड्रोन का ही एक वैरिएंट है। रीपर ड्रोन (Reaper Drone) से हेलफायर मिसाइल को लॉन्च किया जा सकता है। अमेरिकी ने इसी हेलफायर मिसाइल से जुलाई 2022 में काबुल में अलकायदा के लीडर अल-जवाहिरी को मारा था।
यह ड्रोन करीब 35 घंटे हवा में रह सकता है। यह फुली रिमोट कंट्रोल्ड (Remote Controlled) है। इसके लिए दो लोगों की जरूरत पड़ती है। यह एक बार उड़ान भरने के बाद 1900 किलोमीटर क्षेत्र की निगरानी कर सकता है। यह एक घंटे में 482 किलोमीटर उड़ सकता है।

 

‘प्रीडेटर’ ड्रोन ('Predator' drone) की तकनीक विश्वभर में उन्नत मानी जाती है और ये ड्रोन निगरानी, टोही और लक्षित हमले में सक्षम हैं। इन ड्रोन के शामिल होने से भारतीय सैन्य बलों की निगरानी और प्रतिक्रिया क्षमता में भारी इजाफा होगा, जिससे भारत की सुरक्षा स्थिति और मजबूत होगी।

 

इस डील के पीछे भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों का संकेत मिलता है, जो आने वाले समय में भारत की रक्षा प्रौद्योगिकी (Defense Technology) में आत्मनिर्भरता को और मजबूत करेगा। भारतीय सैन्य अधिकारियों का मानना है कि इन ड्रोन से न केवल भारत की समुद्री और वायु सीमाओं की निगरानी में सुधार होगा, बल्कि आतंकवाद और घुसपैठ जैसी चुनौतियों से निपटने में भी मदद मिलेगी। भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग को इस समझौते से एक नई दिशा मिली है, जो दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करेगा।

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