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बृहस्पति वार की व्रत कथा और नियम  और  पूजा विधि

बृहस्पति वार की व्रत कथा और नियम और पूजा विधि


गुरुवार व्रत के नियम

गुरुवार देव गुरु ब्रहस्पति का दिन भी होता है इसलिए अगर कोई व्यक्ति बृहस्पति का व्रत करता है तो इस स्तिथि में उसे बृहस्पति की पीड़ा से मुक्ति मिलती है|देव गुरु ब्रहस्पति प्रार्थना और धर्म के देवता हैं इसलिए इन्हे देवताओं के गुरु का स्थान प्राप्त है| देव गुरु बृहस्पति की पूजा से कुंडली में गुरु ग्रह की पीड़ा खत्म होती है| अगर कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर हो तो विवाह में देरी होती है,आर्थिक स्तिथि कमजोर रहती है ,पारिवारिक संबंध भी कमजोर होते हैं इसलिए बृहस्पति की पीड़ा से मुक्ति के लिए गुरु वार की कथा करें और गुरुवार का उपवास करें गुरुवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें घर की साफ़ सफाई के बाद पुरे घर को गंगाजल से शुद्ध करें इस दिन पीले वस्त्र धारण करें केले के पेड़ में और सूर्य भगवान को जल अर्पित करें इसके बाद चंदन ,गुड़ ,चने की दाल, पीले फूल अर्पित करें पूजा के समय घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें और कथा के बाद हल्दी की माला से 21 बार विष्णु भगवान के 108 नामों का भी श्रवण करें इस दिन नहाते समय किसी तरह के साबुन का प्रयोग ना करें| इस तरह गुरु वार के दिन कुछ नियमों का पालन करने से घर में अपार धन सम्पत्ति का आगमन होता है|

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बृहस्पतिवार की व्रत कथा आरती सहित


प्राचीन काल की बात है एक बहुत बड़ा व्यापारी था जो दूर देशों में जाकर जहाजों के जरिए व्यापार करता था| व्यापारी बहुत धनवान था इसलिए दान पुण्य भी दिल खोलकर करता था| गरीबों को भोजन कराना,पीने के पानी के लिए प्याऊ लगवाना पर उसकी पत्नी बहुत कंजूस थी व्यापारी की पत्नी दान-दक्षिणा दें में विश्वास नहीं करती थी इसके विपरीत वो अपने पति को भी दान पुण्य करने से रोकती थी| एक बार व्यापारी अपने व्यापार के लिए किसी दूसरे देश गया हुआ था तब ब्रहस्पति देव ने साधू का रूप लेकर व्यापारी की पत्नी की परीक्षा लेने का विचार किया बृहस्पति देवता व्यापारी के घर गए उस समय घर में कोई न था|

साधू महाराज ने भिक्षा के लिए दरवाजे से ही आवाज लगाई आवाज सुनकर व्यापारी की पत्नी दरवाजे पर आयी साधु महाराज ने जब भिक्षा मांगी तब व्यापारी की पत्नी ने कहा साधु महाराज आप कुछ ऐसा उपाय बताओ जिससे की मुझे घर का कोई काम न करना पड़े मेरे घर में इतनी धन सम्पदा है जिसे संभाल कर रखना मेरे वश में नहीं है कोई ऐसा उपाय बताइये जिससे की मेरे घर का धन खत्म हो जाए और मुझे या मेरे पति को किसी तरह का कोई दान नहीं करना पड़े साधू महाराज ने कहा तुम विचित्र स्त्री हो धन सम्पदा की कामना तो पापी भी करता है|

अगर तुम्हे ईश्वर ने अकूत धन सम्पदा दी है तो इसका उपयोग दान दक्षिणा में करो भूखों को भोजन कराओ ,पानी की व्यवस्था कराओ पर व्यापारी की पत्नी ये सब नहीं करना चाहती थी तब बृहस्पति देवता ने कहा की अगर तुम्हारी यही इच्छा है तो मैं तुम्हे एक उपाय बताता हूँ जिससे तुम्हे कोई काम करने की आवश्यकता भी नहीं रहेगी और तुम्हारा पति भी दान और धर्म के कार्य नहीं करेगा|

ब्रहस्पतिवार के दिन सूर्योदय के बाद उठना ,घर के पुरुषों से कहना की बृहस्पति वार को बाल और नाखून जरूर कटवाएं ऐसा करनेसे तुम्हारे घर की धन सम्पदा कुछ ही दिनों में नष्ट हो जाएगी और तुम्हे किसी प्रकार का दान नहीं करना होगा व्यापारी की पत्नी ने ठीक वैसा ही किया कुछ समय बाद घर की धन सम्पत्ति नष्ट हो गयी तब ब्रहस्पति देवता फिर आये और फिर भिक्षा मांगी तब स्त्री नै कहा की मेरे पास आपको देने लिए कुछ भी नहीं मेरा सार धन नष्ट हो हो गया  है

तब बृहस्पति देवता ने कहा की जब तुम्हारे पास धन नहीं था तब भी तुम दान नहीं करती थी आज जब धन नष्ट हो गया है आज भी तुम दान नहीं कर रही हो तुम चाहती क्या हो ? तब व्यापारी की स्त्री ने कहा की मुझे क्षमा करें महाराज मुझे कोई ऐसा उपाय बताइये जिससे मेरे घर में धन धन्य की वर्ष हो और मैं भी दान ,धर्म -कर्म के कार्य करूँ| साधू महाराज ने कहा अगर तुम धन सम्पदा चाहती हो तो बृहस्पति वार के व्रत करो|

व्यापारी की पत्नी ने कहा महाराज बृहस्पति वार के उपवास कैसे रखते हैं कृप्या कर के बताइये साधु महाराज ने कहा बृहस्पति वार के व्रत में केले के पेड़ की पूजा का विधान है| इसलिए बृहस्पति वार के दिन केले के पेड़ की पूजा करें और इस दिन केले का दान भी करें इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की साफ़ सफाई करो, नहाने के पानी में हल्दी डालकर नहाये स्नान के बाद पीले वस्त्र पहनें ,गुड़ और चने की दाल लेकर ,ताम्बे के लौटे में जल भरकर उस लौटे में चुटकी भर हल्दी डालकर और विष्णु भगवान की मूर्ति के सामने घी का दीपक और धूप जलाकर बृहस्पति वार की कथा का श्रवण करें कथा के बाद ताम्बे के लौटे के जल को केले के पेड़ में दाल दें ,इस दिन नामक का सेवन करना वर्जित माना गया है उपवास खोलते समय बिना नमक का भोजन करें|

ऐसा करने से धन धान्य और उत्तम संतान की प्राप्ति होती है| व्यापारी की पत्नी ने ठीक वैसा ही किया और कुछ समय के बाद उसके घर धन धन्य पहले जैसा हो गया जब वयापारी आया तब उसकी पत्नी ने सारा हाल सुनाया और उसके बाद दोनों पति पत्नी गुरुवार को व्रत करने लगे अब हर समय व्यापारी के पास चने की दाल रहती और वो दिन में तीन बार कहानी कहता एक दिन वो अपनी बहन केघर गया रास्ते में उसने देखा चार आदमी मुर्दे को लिए जा रहें हैं उन्हें रोक कर सेठ कहने लगा की मेरे ब्रहस्पतिवार की कथा सुन लो वो बोले लो हमारा आदमी मर गया है इसे कथा की पड़ी है| परन्तु कुछ आदमी बोले हम तुम्हारी कथा सुनेंगे सेठ ने दाल निकाली और कथा प्रारम्भ की जब कथा आधी हुई तो मुर्दा हिलने लगा जब कथा आधी हुई तो मुर्दा राम -राम करता हुआ  खड़ा हो गया|

थोड़े समय के बाद सेठ अपनी बहन के घर पहुँच गया बहन ने खूब मेहमानी की दूसरे दिन जब सेठ उठा तो उसने अपनी बहन से पूछा यहाँ कोई ऐसा मनुष्य है जिसने भोजन न किया हो वो मेरे ब्रहस्पति वार की कथा सुन ले बहन बोली यहाँ पहले सभी भोजन करते हैं बाद में कोई अन्य कार्य करते हैं| अगर कोई पड़ोस में होगा तो देख आऊं ऐसा कहे कर वो देखने चली गयी पर उसे ऐसा एक भी मनुष्य नहीं मिला जिसने भोजन न किया हो अंत में वो एक कुम्हार के घर गयी जिसके यहाँ तीन दिन से किसी ने भी भोजन नहीं किया था उसे मालूम हुआ उस कुम्हार का लड़का बहुत बीमार था|

सेठ ने जाकर कथा की जिससे उसका लड़का ठीक होगया अब तो सेठ को प्रसन्नता होने लगी एक दिन सेठ ने अपनी बहन से साथ घर चलने को कहा बहन ने सास से पुछा तो सास बोली तुम चली जाओ पर किसी बच्चे को नहीं ले जाना क्यूंकि तेरे भाई की कोई औलाद नहीं है| जब ये बात सेठ ने सुनी तो उसने बहन से कहा की जब कोई बालक ही नहीं जाएगा तो तुम वहाँ क्या करोगी बड़े दुखी मन से सेठ घर आ गया | सेठ ने अपनी पत्नी से कहा क्या हम हमेशा निरवंशी रहेंगे?क्या ब्रहस्पति देव हमे संतान नहीं देंगे तब उसकी पत्नी ने कहा की बृहस्पति देवता नै हमे सब कुछ दिया है हमे संतान का सुख भी जरूर मिलेगा ब्रह्स्पतिदेव की कृपा से सेठ की पत्नी गर्भवती हुई और उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई तब सेठ ने कहा स्त्री बिना भोजन के तो रह सकती है पर बिना सुनाये नहीं रह सकती जब मेरी बहन आये तो उसे कुछ नहीं कहना सेठ की पत्नी ने सुनकर हाँ कर दिया जब सेठ की बहन आयी तब उसकी पत्नी ने कहा घोड़ा चढ़कर नहीं आयी गधा चढ़ी आयी सेठ की बहन ने कहा भाभी मैं इस तरह से नहीं करती तो आपको संतान कैसे होती बृहस्पति देवता ऐसे ही हैं| जैसी जिसके मन में मनोकामना होती है ब्रहस्पति देव उसे पूरा करते हैं जो सच्ची भावना से ब्रहस्पति देवता की कथा का गुणगान करता है दूसरों को सुनाता है बृहस्पति देव हमेशा उसकी रक्षा करते हैं| इसलिए सबको कथा सुनने के बाद प्रसाद लेकर जाना चाहिए और हृदय से उनका मनन करते हुए जयकारा करना चाहिए बोलो बृहस्पति देव की जय बोलो विष्णु भगवान की जय|

 

 

बृहस्पति वार की व्रत कथा और नियम  और  पूजा विधि

बृहस्पति वार की आरती

जय बृहस्पति देवा ॐ जय बृहस्पति देवा
छीन छीन भोग लगाऊं कदली फल मेवा || ॐ
जय बृहस्पति देवा ,जय बृहस्पति देवा ||
तुम पूरण परमात्मा तुम अन्तर्यामी
जगतपिता जगदीश्वर ,तुम सबके स्वामी || ॐ
जय बृहस्पति देवा ,जय बृहस्पति देवा ||

चरणामृत निज निर्मल, सब पाठक हर्ता
सकल मनोरथ दायक ,कृपा करो भर्ता ||
ॐ जय बृहस्पति देवा,जय बृहस्पति देवा ||

तन ,मन,धन अर्पण कर जो जन शरण पड़े
प्रभु प्रकट तब होकर आकर द्वार खड़े || ॐ
जय बृहस्पति देवा,जय बृहस्पति देवा ||

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी || ॐ जय
बृहस्पति देवा , जय बृहस्पति देवा ||

सकल मनोरथ दायक ,सब संशय हारी
विषय विकार मिटाओ ,संतन सुखकारी || ॐ जय
बृहस्पति देवा ,जय बृहस्पति देवा ||

सब बोलो विष्णु भगवान की जय।बोलो
बृहस्पति देव की जय ||

 

ऐसी ही और रोचक जानकारियों के लिए The India Moves 

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