हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा की मुश्किलें बढ़ीं, मानेसर जमीन घोटाले में हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका
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Shweta
- November 7, 2025
हरियाणा की राजनीति में एक बार फिर बड़ा झटका लगा है, क्योंकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को मानेसर जमीन घोटाले मामले में अदालत से राहत नहीं मिल सकी। पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने सोमवार को भूपेंद्र हुड्डा की याचिका को खारिज कर दिया, जिससे उनके खिलाफ अब मुकदमा चलेगा। यह फैसला हरियाणा की राजनीति में हलचल पैदा करने वाला माना जा रहा है, क्योंकि इस मामले में सीबीआई पहले ही चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।
अदालत ने खारिज की हुड्डा की याचिका
भूपेंद्र हुड्डा ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि मानेसर लैंड स्कैम मामले के अन्य आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिल चुका है, ऐसे में केवल उनके खिलाफ ट्रायल चलाया जाना अनुचित है। हालांकि, पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने उनकी यह दलील खारिज करते हुए साफ कहा कि मुकदमे की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। कोर्ट के इस आदेश के बाद पंचकूला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में अब हुड्डा के खिलाफ आरोप तय किए जाएंगे।
सीबीआई पहले ही दाखिल कर चुकी है चार्जशीट
मानेसर लैंड स्कैम केस में सीबीआई पहले ही 80 पन्नों की चार्जशीट दाखिल कर चुकी है, जिसमें भूपेंद्र हुड्डा समेत 34 आरोपियों के नाम शामिल हैं। सीबीआई की जांच में यह सामने आया कि तत्कालीन हरियाणा सरकार ने किसानों की जमीन को अधिग्रहित करने की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं कीं। आरोप है कि हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते हुए 2005 से 2007 के बीच मानेसर, लखनौला और शिकोहपुर गांवों में लगभग 400 एकड़ जमीन को अनुचित तरीके से अधिग्रहण से मुक्त किया गया।
किसानों से औने-पौने दाम पर जमीन खरीदने के आरोप
जांच एजेंसी का कहना है कि अधिग्रहण का डर दिखाकर किसानों से जमीन औने-पौने दामों पर खरीदी गई। चार्जशीट में दावा किया गया कि जब बिल्डर्स ने जमीन खरीद ली, तो भूपेंद्र हुड्डा सरकार ने अधिग्रहण प्रक्रिया को रद्द कर दिया। इससे किसानों को करीब 1500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि बिल्डर्स ने भारी मुनाफा कमाया। इस पूरे प्रकरण को सुप्रीम कोर्ट ने “दुर्भावनापूर्ण और धोखाधड़ीपूर्ण” बताया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दी थी सीबीआई जांच की मंजूरी
साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने मानेसर जमीन घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। अदालत ने पाया कि हरियाणा सरकार द्वारा 2007 में अधिग्रहण प्रक्रिया रद्द करने का निर्णय मनमाना था और इससे राज्य को भारी आर्थिक नुकसान हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि सीबीआई उन सभी बिचौलियों की जांच करे जिन्होंने इस प्रक्रिया से अनुचित लाभ कमाया और राज्य सरकार को “एक-एक पाई की वसूली” सुनिश्चित करनी चाहिए।
राजनीतिक असर और आगे की राह
इस फैसले से कांग्रेस पार्टी के लिए भी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं, क्योंकि भूपेंद्र हुड्डा फिलहाल राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं और पार्टी के प्रमुख चेहरों में गिने जाते हैं। विपक्ष पहले से ही इस मामले को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है और इसे भ्रष्टाचार का उदाहरण बता रहा है।
अब देखना होगा कि सीबीआई की विशेष अदालत में जब आरोप तय होंगे, तो भूपेंद्र हुड्डा इस कानूनी जाल से खुद को कैसे निकालते हैं। फिलहाल यह साफ है कि मानेसर जमीन घोटाला एक बार फिर हरियाणा की राजनीति के केंद्र में आ गया है और आने वाले समय में इसके राजनीतिक और कानूनी असर दूर तक देखने को मिल सकते हैं।
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