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Sikh Marriage Act India: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को सिख शादी रजिस्ट्रेशन नियम बनाने का दिया निर्देश

Sikh Marriage Act India: सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को सिख शादी रजिस्ट्रेशन नियम बनाने का दिया निर्देश

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 17 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि वे चार महीने के भीतर आनंद कारज एक्ट के तहत विवाह पंजीकरण के लिए नियम तैयार करें। अदालत ने कहा कि धार्मिक पहचान का सम्मान और नागरिक समानता सुनिश्चित करने के लिए एक तटस्थ और व्यावहारिक व्यवस्था बनाई जानी चाहिए, ताकि Sikh Marriage Registration अन्य विवाहों की तरह ही मान्यता और पंजीकरण पा सके।

 

याचिका के आधार पर सुनवाई

यह आदेश एक याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया, जिसमें मांग की गई थी कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को Sikh Marriage Act India की धारा 6 के तहत आवश्यक नियम अधिसूचित करने के लिए बाध्य किया जाए। याचिका में कहा गया था कि कई राज्यों ने तो सिख शादी रजिस्ट्रेशन नियम बना लिए हैं, लेकिन कई अन्य राज्यों ने अभी तक इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है।

 

संवैधानिक वादे और न्यायालय का दृष्टिकोण

जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि किसी संवैधानिक वादे की सच्चाई केवल अधिकारों की घोषणा से नहीं, बल्कि उन संस्थाओं से भी मापी जाती है जो उन अधिकारों को प्रभावी बनाती हैं। बेंच ने स्पष्ट किया कि यदि कानून ने आनंद कारज एक्ट के जरिए विवाह को मान्यता दी है, तो उसका Sikh Marriage Registration भी सुनिश्चित होना चाहिए।

 

कोर्ट ने कहा कि अधिनियम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि रस्म से लेकर रिकॉर्ड तक का रास्ता खुला, निष्पक्ष और व्यवस्थित हो। इसलिए हर राज्य को सकारात्मक कर्तव्य निभाते हुए सिख शादी रजिस्ट्रेशन नियम बनाने चाहिए।

 

आनंद कारज एक्ट का महत्व

1909 का अधिनियम विशेष रूप से सिख समुदाय की परंपरा आनंद कारज एक्ट के तहत विवाहों की वैधता को मान्यता देने के लिए लाया गया था। बाद में 2012 में इसमें संशोधन कर धारा 6 जोड़ी गई, जिसके तहत राज्यों को विवाह रजिस्टर बनाने, पंजीकरण के नियम तय करने और प्रमाणित उद्धरण उपलब्ध कराने का दायित्व सौंपा गया। अदालत ने कहा कि यह केवल कानूनी औपचारिकता नहीं, बल्कि नागरिकों के अधिकारों और समानता का हिस्सा है।

 

नियम बनाने में देरी पर नाराज़गी

सुप्रीम कोर्ट ने नाराज़गी जताई कि कई राज्यों ने अब तक Sikh Marriage Act India के प्रावधानों के अनुरूप नियम अधिसूचित नहीं किए हैं। अदालत ने कहा कि पंजीकरण की व्यवस्था से इनकार करना नागरिकों के साथ असमान व्यवहार है और यह संविधान में दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

 

बेंच ने स्पष्ट किया कि पंजीकरण की सुविधा हर नागरिक के लिए उपलब्ध होनी चाहिए और यह सुविधा लाभार्थी समूह के आकार पर निर्भर नहीं कर सकती। अदालत ने यह भी कहा कि अन्य विवाह कानूनों के समानांतर मौजूदगी इस दायित्व को टालने का आधार नहीं हो सकती।

 

समान व्यवहार की आवश्यकता

कोर्ट ने कहा कि जब सामान्य सिविल विवाह पंजीकरण का ढांचा मौजूद है, तो उसी ढांचे में Sikh Marriage Registration भी होना चाहिए। अगर कोई जोड़ा चाहता है, तो उनके विवाह के प्रमाण पत्र में यह उल्लेख होना चाहिए कि शादी आनंद कारज एक्ट के तहत हुई है।

 

यह व्यवस्था न केवल समान नागरिक अधिकारों की गारंटी देगी बल्कि प्रशासनिक स्तर पर भी व्यवस्था को मजबूत करेगी। कोर्ट ने कहा कि हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को तत्काल प्रभाव से यह सुनिश्चित करना होगा कि सिख शादी रजिस्ट्रेशन नियम लागू होने तक मौजूदा पंजीकरण ढांचे में इन विवाहों को शामिल किया जाए।

 

सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश, जिसने अब तक धारा 6 के तहत नियम अधिसूचित नहीं किए हैं, उन्हें चार महीने के भीतर ऐसा करना अनिवार्य होगा। अदालत ने कहा कि यह केवल विधिक प्रक्रिया नहीं बल्कि संविधान में दी गई समानता और धार्मिक स्वतंत्रता के वादे को पूरा करने का कदम है।

 

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Frequently Asked Questions

 

Q1. सुप्रीम कोर्ट ने आनंद कारज एक्ट को लेकर क्या आदेश दिया?
Ans. सुप्रीम कोर्ट ने 17 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों को चार महीने के भीतर सिख शादी रजिस्ट्रेशन नियम बनाने का निर्देश दिया।

 

Q2. Sikh Marriage Registration क्यों जरूरी है?
Ans. अदालत का मानना है कि Sikh Marriage Registration से नागरिक समानता और धार्मिक पहचान दोनों को सम्मान मिलेगा।

 

Q3. आनंद कारज एक्ट कब लागू हुआ था?
Ans. आनंद कारज एक्ट पहली बार 1909 में लागू किया गया था और 2012 में इसमें संशोधन कर पंजीकरण संबंधी प्रावधान जोड़े गए।

 

Q4. Sikh Marriage Act India के तहत राज्यों की क्या जिम्मेदारी है?
Ans. Sikh Marriage Act India की धारा 6 के तहत राज्यों को विवाह रजिस्टर बनाए रखने और पंजीकरण नियम अधिसूचित करने की जिम्मेदारी दी गई है।

 

Q5. सिख शादी रजिस्ट्रेशन नियम लागू न होने से क्या समस्या है?
Ans. बिना सिख शादी रजिस्ट्रेशन नियम के, आनंद कारज से हुई शादियां दर्ज नहीं हो पातीं, जिससे नागरिक अधिकार और समानता प्रभावित होती है।

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