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IMF Loan लोन मिलते ही शहबाज सरकार का बड़ा फैसला, नेशनल असेंबली स्पीकर और सीनेट चेयरमैन की सैलरी 5 गुना बढ़ी

IMF Loan लोन मिलते ही शहबाज सरकार का बड़ा फैसला, नेशनल असेंबली स्पीकर और सीनेट चेयरमैन की सैलरी 5 गुना बढ़ी

पाकिस्तान ने आईएमएफ से लोन (Pakistan IMF Loan) मिलने के तुरंत बाद जो फैसला पाकिस्तान की शहबाज शरीफ की सरकार (Shehbaz Sharif Government) ने लिया, उसने देशभर में हंगामा मचा दिया है। जहां एक ओर पाकिस्तान की आवाम आटे, दवाओं, बिजली और पेट्रोल जैसी बुनियादी ज़रूरतों के लिए संघर्ष कर रही है, वहीं दूसरी तरफ शहबाज शरीफ की सरकार (Shehbaz Sharif Government) ने National Assembly Speaker और Senate Chairman की सैलरी में 5 गुना बढ़ोतरी करके जनता को हैरान कर दिया है। यह फैसला तब आया है जब पाकिस्तान ने आईएमएफ से लोन (Pakistan IMF Loan) के ज़रिए आर्थिक राहत पाने की कोशिश कर रहा है।

 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, पहले National Assembly Speaker और Senate Chairman को 2,05,000 पाकिस्तानी रुपये वेतन मिलता था, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 13,00,000 कर दिया गया है। यानी करीब 500 फीसदी का इजाफा। यह सैलरी वृद्धि सिर्फ इन्हीं तक सीमित नहीं रही, बल्कि शहबाज शरीफ की सरकार (Shehbaz Sharif Government) ने अपने मंत्रियों और सांसदों (MPs, Senators) की सैलरी में भी भारी बढ़ोतरी की है। जैसे कि संघीय मंत्रियों की सैलरी 2,18,000 से बढ़कर 5,19,000 हो गई, जो 138% की बढ़ोतरी है। वहीं सांसदों की सैलरी 2,00,000 से सीधी 5,19,000 कर दी गई यानी 160% का इजाफा।

 

यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब पाकिस्तान की आर्थिक हालत बेहद खराब है। महंगाई दर 30 फीसदी से ज्यादा है, IMF और अन्य देशों से लोन के रूप में राहत की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन यह राहत आम लोगों तक पहुंचने की बजाय अफसरों और नेताओं की जेब भरने में लग गई। इस पर आम जनता और विपक्ष का गुस्सा सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक देखने को मिल रहा है। ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर लोग सरकार की आलोचना करते हुए कह रहे हैं कि “IMF ने लोन दिया, और हुक्मरानों ने जश्न मना लिया।”

 

इस वेतन वृद्धि को 1 जनवरी 2025 से लागू किया जाएगा और इसके तहत पिछले छह महीनों का एरियर भी इन नेताओं को मिलेगा। यानी जनता की जेब से पैसा निकालकर नेताओं को दिया जाएगा। यह सब कुछ "वेतन, भत्ते और विशेषाधिकार अधिनियम 1975" में संशोधन कर राष्ट्रपति के अध्यादेश के ज़रिए किया गया है।

 

सबसे दिलचस्प बात ये है कि यह वेतन वृद्धि पाकिस्तान ने आईएमएफ से लोन (Pakistan IMF Loan) मिलने के बाद की गई, और सूत्रों की मानें तो Finance Committee के पास Speaker और Senate Chairman की सैलरी बढ़ाने का संवैधानिक अधिकार नहीं था। यह एक राजनीतिक फैसला था जिसे सीधे तौर पर शहबाज शरीफ की सरकार के निर्देश पर लागू किया गया।

 

विपक्षी दलों ने इसे "जनविरोधी", "बेशर्मी भरा" और "सत्ता का दुरुपयोग" करार दिया है। साथ ही सवाल खड़ा किया गया कि जब देश में स्कूल, अस्पताल और सामाजिक योजनाओं का बजट घटाया जा रहा है, तो VIP नेताओं की सैलरी क्यों बढ़ाई जा रही है?

 

गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में भी पंजाब और अन्य प्रांतों में MPA और प्रांतीय मंत्रियों की सैलरी में इजाफा किया गया था, जो पहले ही विवादों में रहा था। अब शहबाज शरीफ की सरकार (Shehbaz Sharif Government) द्वारा IMF Loan के ठीक बाद की गई इस नई वेतन वृद्धि ने जनता के ज़ख्मों पर नमक छिड़कने जैसा काम किया है।

 

इस पूरे घटनाक्रम ने एक सवाल फिर खड़ा कर दिया है, क्या पाकिस्तान में लोन का मतलब सिर्फ सत्ता में बैठे लोगों की ऐश करना है?

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें- The India Moves

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