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भारत के शहरों पर ओजोन प्रदूषण का साया: सेहत और फसलों के लिए बढ़ा खतरा

भारत के शहरों पर ओजोन प्रदूषण का साया: सेहत और फसलों के लिए बढ़ा खतरा

भारत के बड़े शहरों में बढ़ता ग्राउंड-लेवल ओजोन प्रदूषण : सेहत और खेती पर खतरा

अब दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई जैसे भारत के बड़े शहर सिर्फ धूल और धुएं से ही नहीं, बल्कि ओजोन प्रदूषण (Ozone Pollution) के नए खतरे से भी जूझ रहे हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक, इन शहरों में इस साल (2025) गर्मियों में ग्राउंड-लेवल ओजोन का स्तर कई दिनों तक मानक से ज़्यादा रहा। यह सिर्फ एक मौसमी समस्या नहीं, बल्कि पूरे साल चलने वाली गंभीर चिंता बन चुकी है।

 

क्या है ग्राउंड-लेवल ओजोन?

ओजोन एक गैस है, जो ऊपरी वातावरण में हमें सूरज की हानिकारक किरणों से बचाती है। लेकिन जब यही ओजोन धरातल के करीब बनती है, तो यह एक खतरनाक प्रदूषक बन जाती है। यह वाहनों, उद्योगों और बिजलीघरों से निकलने वाली नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) से सूरज की रोशनी में रासायनिक प्रतिक्रिया से बनती है।

 

किन शहरों में बढ़ा है खतरा?

 

  • बेंगलुरु: 45 दिन ओजोन स्तर मानक से ऊपर, सबसे ज्यादा असर होमबेगोड़ा नगर में।

  • मुंबई: 32 दिन ओजोन बढ़ा, चकाला सबसे प्रभावित रहा।

  • कोलकाता: 22 दिन खतरनाक स्तर, रवींद्र सरोवर और जादवपुर हॉटस्पॉट बने।

  • हैदराबाद: 20 दिन बढ़ा स्तर, बोल्लारम में सबसे ज्यादा प्रभाव।

  • चेन्नई: 15 दिन ओजोन स्तर बढ़ा, आलंदुर सबसे अधिक प्रभावित।

 

क्या है असर?

ओजोन सांस की नली में जलन, अस्थमा और दमा जैसी बीमारियां बढ़ाता है। बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। यह फसलों को भी नुकसान पहुंचाता है, जिससे खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

 

समाधान क्या है?

 

  • वाहनों और उद्योगों से निकलने वाले गैसों पर नियंत्रण

  • शून्य उत्सर्जन वाहनों को बढ़ावा देना।

  • ज्यादा निगरानी स्टेशन लगाना ताकि हॉटस्पॉट्स की पहचान हो।

  • लोगों को जागरूक करना कि स्वच्छ हवा सिर्फ सरकार की नहीं, हम सभी की ज़िम्मेदारी है।

 

ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करें: The India Moves

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