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जानिए क्यों मनाया जाता है फुलेरा दूज का पर्व ? पढ़ें कथा और पूजन विधि

जानिए क्यों मनाया जाता है फुलेरा दूज का पर्व ? पढ़ें कथा और पूजन विधि

फुलेरा दूज का त्यौहार वासुदेव भगवान कृष्णा और राधारानी को समर्पित है। फुलेरा दूज फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष के द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन से होली का फागोत्सव प्रारम्भ हो जाता है। फुलेरा दूज से भगवान कृष्ण पानी और रंगो की बजाय फूलों की होली खेलते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। फुलेरा दूज का ये पावन पर्व इस बार 01 मार्च 2025 शनिवार को मनाया जा रहा है।

 

फुलेरा दूज मनाने का महत्व

1] फुलेरा दूज राधा और कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है

2] ये त्यौहार वसंत ऋतु के स्वागत के रूप में भी मनाया जाता है

3] कहा जाता है फुलेरा दूज मनाने से पति-पत्नी के वैवाहिक सम्बन्ध भी मजबूत होते हैं

4] बहुत सी जगहों पर फुलेरा दूज के दिन व्रत-उपवास रखने का भी प्रावधान है

 

फुलेरा दूज की पूजा विधि

इस दिन घी का दीपक जलाकर पति-पत्नी राधा कृष्णा की आरती और मन्त्रों का जाप करें। कोशिश करें कि आप मधुराष्टक का पाठ भी करें। इसके अलावा भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री अति प्रिय है। इसलिए आज के दिन माखन-मिश्री, फलों और खीर का भोग भगवान कृष्ण को लगाएं। पूजा के दौरान इस बात का खास ख्याल रखें कि भोग में तुलसी दल भी हो।

 

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साल 2025 में कब है फुलेरा दूज ? क्या है इसका शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 01 मार्च 2025 को रात्रि में 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होगी और समापन 02 मार्च रात 12 बजकर 09 मिनट पर होगा। इस तरह 1 मार्च के दिन ये पर्व आस्था और उल्लास के साथ मनाया जाएगा।

 

क्या है फुलेरा दूज की कथा ?

पौराणिक मान्यता के अनुसार बहुत समय से भगवान कृष्ण राधा रानी से मिल नहीं पा रहे थे, जिससे राधा रानी मधुसूदन भगवान कृष्ण से नाराज और उदास हो गईं। उनकी उदासी का प्रभाव मथुरा की हरियाली पर भी दिखाई देने लगा। कहा जाता है कि उस समय मथुरा के तमाम बाग-बगीचे, फूल, मुरझा गए थे। लेकिन जब ये बात भगवान कृष्ण को पता चली, तब भगवान कृष्ण राधा रानी से मिलने पहुंचे। तब मथुरा में फिर से हरियाली छा गई। वहीं इस दौरान भगवान कृष्ण और राधा रानी ने क्रीड़ा करते हुए एक-दूसरे पर फूलों को फेंका, तबसे इस पावन पर्व फुलेरा दूज की शुरुआत हुई।

 

उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में रहती है फागोत्सव की धूम

फुलेरा दूज का त्यौहार सिर्फ उत्तरप्रदेश के वृन्दावन, बरसाना, नंदगांव, मथुरा में ही नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में मनाने की प्रथा है। कहा जाता है कि आज के दिन से होली का त्यौहार प्रारम्भ हो जाता है, जिसे फाग उत्सव कहा जाता है, जिसमे तरह-तरह के फूलों की होली खेली जाती है। मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण और राधा फुलेरा दूज से लेकर लगातार 40 दिन तक होली खेलते हैं। इसलिए ब्रज हो या मथुरा, उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में फुलेरा दूज को लेकर विभिन्न प्रकार की मान्यताएं हैं। फुलेरा दूज के दिन से भगवान कृष्ण के मंदिर में न सिर्फ कृष्ण भजन, बल्कि गोपी गीत और फाग गीतों की शुरुआत हो जाती है। फुलेरा दूज के दिन से सिर्फ वृन्दावन ही नहीं, बरसाना, मथुरा के साथ संपूर्ण उत्तर प्रदेश और भारत के बहुत से राज्यों में फाग उत्सव मनाना शुरू हो जाता है।

 

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