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Sawan Putrada Ekadashi 2025: क्यों रखा जाता है यह व्रत? जानें पूजा विधि और महत्व

Sawan Putrada Ekadashi 2025: क्यों रखा जाता है यह व्रत? जानें पूजा विधि और महत्व

Sawan Putrada Ekadashi 2025 आज यानी 5 अगस्त 2025 को पूरे देश में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाई जा रही है। यह व्रत उन लोगों के लिए बेहद खास होता है जो संतान की इच्छा रखते हैं। इस दिन व्रत और पूजा के साथ भगवान विष्णु से संतान सुख की कामना की जाती है। हिंदू धर्म में Ekadashi व्रत का महत्व अत्यंत बड़ा बताया गया है। यह व्रत पुण्य फल देने वाला होता है और इसे रखने से जीवन में सुख-शांति आती है। यही कारण है कि आज देशभर में लोग व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना कर रहे हैं।

 

हर साल सावन मास में आने वाली Sawan Putrada Ekadashi 2025 विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए फलदायक मानी जाती है जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। धर्मशास्त्रों में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि Ekadashi व्रत क्यों रखा जाता है, इसका उद्देश्य न सिर्फ संतान सुख की प्राप्ति है, बल्कि पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति भी है। इस दिन जो श्रद्धा और नियमपूर्वक व्रत करता है, उसे संतान के साथ-साथ मानसिक शांति और आध्यात्मिक सुख भी मिलता है।

 

Sawan Putrada Ekadashi 2025 की महत्ता केवल इसलिए नहीं है कि यह संतान सुख दिलाती है, बल्कि यह दिन विशेष योग और संयोग लेकर आता है। इस बार एकादशी पर रवि योग और गजलक्ष्मी राजयोग बन रहा है, जो इसे और भी शुभ बना देता है। साथ ही, आज भद्रा काल भी है जो दोपहर 1 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगा। जब ऐसे शुभ योग बनते हैं, तब Ekadashi व्रत का महत्व और भी अधिक हो जाता है। इसलिए इस बार की एकादशी को बेहद विशेष माना जा रहा है।

 

जो लोग जानना चाहते हैं कि Ekadashi व्रत क्यों रखा जाता है, उन्हें यह समझना जरूरी है कि यह केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुशासन है जो व्यक्ति के जीवन को संतुलित और सकारात्मक बनाता है। Sawan Putrada Ekadashi 2025 के दिन भगवान विष्णु की पूजा कर मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की जाती है। यह व्रत न केवल संतान सुख देता है, बल्कि पापों से भी छुटकारा दिलाता है और जीवन को शुभ दिशा में ले जाता है।

 

इस व्रत की पूजा विधि सरल है और हर कोई इसे घर पर कर सकता है। Sawan Putrada Ekadashi 2025 की पूजा सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद शुरू की जाती है। इसके बाद पीले वस्त्र पहनकर लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाया जाता है और उस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है। फिर गंगाजल से अभिषेक कर चंदन का तिलक लगाया जाता है। पूजा में पीले फूल, फल, मिठाई, तुलसी दल, पंचामृत और दीपक का प्रयोग किया जाता है। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें, व्रत कथा पढ़ें और आरती के बाद भगवान विष्णु से संतान सुख की कामना करें।

 

Sawan Putrada Ekadashi 2025 के दिन पूजा करते समय सामग्री का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। सही पूजा विधि तभी पूर्ण मानी जाती है जब सभी आवश्यक चीजें तैयार हों। इसमें भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र, लकड़ी की चौकी, पीला वस्त्र, शुद्ध जल, गंगाजल, तुलसी दल, पंचामृत, दीपक, घी, चंदन, मिठाई और व्रत कथा की पुस्तक शामिल होती हैं। इन सबका प्रयोग करके जो पूजा करता है, उसे Ekadashi व्रत का महत्व अच्छे से समझ में आता है और इसका फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है।

 

इस बार Sawan Putrada Ekadashi 2025 की शुरुआत 4 अगस्त को सुबह 11:41 बजे हुई थी और इसका समापन 5 अगस्त को दोपहर 1:12 बजे होगा। व्रत का पारण 6 अगस्त की सुबह 5:45 बजे से 8:26 बजे के बीच करना श्रेष्ठ रहेगा। पारण के समय का पालन भी उतना ही जरूरी है जितना कि व्रत और पूजा विधि। अगर पारण सही समय पर नहीं किया गया, तो व्रत अधूरा माना जाता है और उसका पुण्य फल भी कम हो जाता है। इसी कारण, हर वर्ष पारण के समय की जानकारी विशेष रूप से दी जाती है।

 

Ekadashi व्रत क्यों रखा जाता है, इसका एक और उत्तर यह भी है कि यह व्रत ग्रह दोषों से मुक्ति दिलाने में भी सहायक होता है। यह व्रत जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और मानसिक शांति भी देता है। Sawan Putrada Ekadashi 2025 रक्षाबंधन से ठीक चार दिन पहले आती है, और इसी कारण यह पारिवारिक सुख-संपत्ति की दृष्टि से भी बहुत अहम मानी जाती है। संतान के अच्छे भविष्य, स्वास्थ्य और सफलता के लिए माता-पिता इस दिन विशेष पूजा करते हैं।

 

इस व्रत का पालन करने से न केवल संतान की प्राप्ति होती है, बल्कि मोक्ष की ओर भी कदम बढ़ते हैं। शास्त्रों में लिखा है कि Ekadashi व्रत का महत्व इतना अधिक है कि इससे भगवान विष्णु स्वयं प्रसन्न होकर भक्त की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। Sawan Putrada Ekadashi 2025 का व्रत करने वाले जातकों को आस्था, श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करनी चाहिए, ताकि उन्हें पूर्ण फल की प्राप्ति हो।

 

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Frequently Asked Questions

 

Q1. पुत्रदा एकादशी के व्रत के क्या नियम हैं?
Ans. पुत्रदा एकादशी के व्रत में व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए व्रत रखना चाहिए। इस दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा, अन्न और तामसिक भोजन से पूरी तरह परहेज करना चाहिए। दिनभर व्रत रखने के बाद रात को भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन कर जागरण करना श्रेष्ठ माना गया है।

 

Q2. सावन पुत्रदा एकादशी 2025 कब है?
Ans. सावन पुत्रदा एकादशी 2025 को 5 अगस्त 2025 (मंगलवार) को मनाई जा रही है। इसका पारण 6 अगस्त 2025 को सुबह 5:45 बजे से 8:26 बजे के बीच करना शुभ रहेगा।

 

Q3. पुत्रदा एकादशी का क्या महत्व है?
Ans. इस व्रत का मुख्य उद्देश्य संतान प्राप्ति की कामना करना है। साथ ही यह व्रत पापों से मुक्ति, मानसिक शांति, मोक्ष प्राप्ति और गृह दोषों के निवारण में भी लाभकारी माना जाता है।

 

Q4. पुत्रदा एकादशी का व्रत क्यों रखा जाता है?
Ans. पुत्रदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से उन लोगों द्वारा रखा जाता है जो संतान सुख की इच्छा रखते हैं। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इससे जीवन में आध्यात्मिक शुद्धता और मानसिक स्थिरता आती है।

 

Q5. पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि क्या है?
Ans. इस दिन प्रातः स्नान कर पीले वस्त्र पहनें, भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को लकड़ी की चौकी पर स्थापित करें। फिर गंगाजल, चंदन, पुष्प, दीपक, तुलसी, पंचामृत और मिठाई अर्पित करें। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें, व्रत कथा पढ़ें और अंत में आरती करें।

 

Q6. पुत्रदा एकादशी व्रत कब और कैसे खोलना चाहिए?
Ans. व्रत का पारण 6 अगस्त को सुबह 5:45 बजे से 8:26 बजे तक करना चाहिए। पारण के समय जल पीकर, भगवान विष्णु को भोग लगाकर व्रत खोलना चाहिए। इस समय का पालन ज़रूरी है क्योंकि गलत समय पर पारण करने से व्रत का फल कम हो जाता है।

 

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