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Jaipur : रावण दहन के बाद तीये की बैठक का आयोजन, जानें कहा की है ये घटना

Jaipur : रावण दहन के बाद तीये की बैठक का आयोजन, जानें कहा की है ये घटना

रावण दहन के बाद तीये की बैठक का आयोजन

जयपुर (Jaipur) के प्रताप नगर (Pratap Nagar) में दशहरे के अवसर (occasion of Dussehra) पर 51 फीट रावण का दहन (Ravan Dahan) किया गया। वहीं दहन के तीसरे दिन यानि सोमवार को तीये की बैठक का आयोजन किया गया है। जहां पूरे रीति-रिवाजों के साथ पांडाल लगाकर रावण की फोटो लगाई गई और शोक जताया गया।


रावण दहन के बाद तीये की बैठक

जयपुर के प्रताप नगर (Pratap Nagar) सेक्टर-8 में व्यापार मंडल की ओर से दशहरे के दिन 51 फीट के रावण के पुतले का दहन किया गया। रावण दहन (Ravan Dahan) के तीसरे दिन सोमवार (Monday) को शोक सभा (Condolence meet) का आयोजन किया गया। इस सभा में रावण की तस्वीर लगाकर उस पर पुष्प अर्पित किए गई है। इसके बाद रावण की अस्थियों को विसर्जन के लिए विधि-विधान से हरिद्वार (Haridwar) के लिए रवाना किया गया। जिनको गंगा नदी में पिंडदान (Pinddaan) सहित अन्य क्रियाकर्म किए जाएंगे।

Jaipur : रावण दहन के बाद तीये की बैठक का आयोजन, जानें कहा की है ये घटना

समिति के अध्यक्ष ने दी जानकारी

जयपुर के प्रताप नगर सेक्टर-8 में व्यापार मंडल मेला समिति के अध्यक्ष राजेंद्र (Rajendra) ने बताया कि- अस्थियों के विसर्जन के बाद 23 अक्टूबर को ब्रह्म भोज और पगड़ी का दस्तूर भी किया जाएगा। जिसमें प्रताप नगर के सभी निवासी शामिल होंगे। और यह परंपरा पिछले 14 साल से जयपुर में निभाई जा रही है।


जोधपुर से आएगी पगड़ी

वहीं लोगों की मान्यता है कि रावण का ससुराल जोधपुर (Jodhpur) में था। रावण के बारहवें के दिन यानि 23 अक्टूबर को पगड़ी दस्तूर किया जाएगा । पगड़ी दस्तूर (turban custom) के लिए पगड़ी जोधपुर (Jodhpur) से आएगी । जानकारी के मुताबिक मेला समिति के सदस्य राजेश जैन को पगड़ी बंधवाई जाएगी। उसके बाद रीति-रिवाज से ब्रह्मभोज का आयोजन भी किया जाएगा और कन्याओं व पंडितों को भोजन करवाया जाएगा।

Jaipur : रावण दहन के बाद तीये की बैठक का आयोजन, जानें कहा की है ये घटना

इस परंपरा का उद्देश्य

आखिर ये कैसी परंपरा (tradition) है जिसके बारें में नहीं सुना। जिसको लेकर मेला समिति के लोगों का कहना है कि - हम सभी रावण दहन के बाद ऐसे ही छोड़ देते है। जिसके चलते रावण को मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो पाती और प्रतिदिन नए रावणों के पैदा होने की संभावना रहती है। इसी लिए रावण की तीये की बैठक का आयोजन कर उसका मृत्यु भोज किया जाता है।


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