
ईरान में मोसाद एजेंट्स की फांसी और 700 की गिरफ्तारी
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Priyanka
- June 25, 2025
ईरान में मोसाद के 'अंडर कवर एजेंट्स' पर बड़ा एक्शन
ईरान ने मोसाद के साथ कथित तौर पर सहयोग कर रहे तीन 'अंडर कवर एजेंट्स' को बुधवार, 25 जून 2025 को उरमिया जेल में फांसी दी। फांसी देने वालों की पहचान इदरीस अली, आज़ाद शोजाई और रसूल अहमद रसूल के रूप में हुई है, जिन पर इजरायल के लिए जासूसी और हत्या की साजिश रचने का आरोप था ।
पूरा घटनाक्रम
ईरानी न्यायपालिका के अनुसार तीनों आरोपियों पर हत्या के उपकरणों को इजरायल भेजने और मोसाद के लिए काम करने का आरोप था। आरोपियों को उरमिया की नील वर्दी में दिखाया गया था, जहाँ उन्हें सार्वजनिक रूप से फांसी दी गई
गिरफ्तारियों की विस्तृत संख्या
राजकीय 'नूर न्यूज' की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में ईरान-इजरायल के बीच 12 दिन चले युद्ध के दौरान लगभग 700 लोगों को इजरायल से कथित संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इनमें कई ऐसे मामलों का भी पता चला है जहाँ लोगों पर मोसाद को गुप्त जानकारी लीक करने का आरोप है ।
राज्य की कार्रवाई
ईरानी पारामीलिटरी बल 'बसिज' को सुरक्षा एजेंसियों के साथ लगाया गया है ताकि सीमाओं और सड़क मार्गों पर जाँच तेज की जा सके। हालिया रिपोर्टों में बताया गया कि पूरे देश में चेकपोस्ट लगाए गए हैं, जहाँ खासकर ट्रकों, एसयूवी और वैन की सख्त तलाशी ली जा रही है
राजनीतिक और सामाजिक असर
राज्य द्वारा यह संकेत देने की कोशिश की जा रही है कि मोसाद का कोई भी नेटवर्क बख्शा नहीं जाएगा। 700 से भी अधिक गिरफ्तारी यह रेखांकित करती हैं कि किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर कड़ी कार्रवाई होगी।
मनोबल और आंतरिक सुरक्षा
बसिज की भूमिका को युद्धकालीन सुरक्षा में एक बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि जनता में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं भी हैं—कुछ इसे आत्मरक्षा का कदम मानते हैं, तो अन्य इसे राज्य की राजनीतिक दृढ़ता में अति-सैन्यीकरण मानते हैं
अंतरराष्ट्रीय सन्देश
सीज़फ़ायर की स्थिति में भी यह कार्रवाई यह बताती है कि ईरान मोसाद और इजरायल की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह शांति की कोशिशों के बावजूद किसी भी सुरक्षा जोखिम को नजरअंदाज न करने की नीति का हिस्सा है।
मानवाधिकार दृष्टिकोण
मानवाधिकार समूहों ने फांसी और बड़े पैमाने पर गिरफ्तारी पर चिंता जताई है। ब्रिटिश AP और अन्य स्वतंत्र शोध संस्थान इन निष्पादनों को 'स्पाइक' मानते हैं, जो युद्धकालीन दबाव में न्याय प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है ।
परिस्थिति का व्यापक परिप्रेक्ष्य
ईरान में कुल निर्दोष या तथ्यात्मक पुष्टि की कमी है. ईरान अक्सर इजरायल और अन्य विदेशी खुफिया एजेंसियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही करता रहा है। कई वक़्त संदिग्धों के खिलाफ ठोस सबूत नहीं मिलते, फिर भी उन्हें 'घाटी की गहराई' बताया जाता है।
राज्य और जनता का दृष्टिकोण
जबकि सरकार इसका प्रचार 'राष्ट्र सुरक्षा' की जीत मानकर करती है, आम जनता में भय और असुरक्षा की लहर भी फैली हुई है। तेज गिरफ्तारी और सार्वजनिक फांसी दर्शाती हैं कि ईरान अपनी संप्रभुता को आतंकवाद और जासूसी के खिलाफ किसी भी कीमत पर मजबूती से बचा रहा है।
बदली हुई रणनीति
युद्ध के सीज़फ़ायर बाद भी जारी यह अभियान बताता है कि शांति की कोई भी व्यवस्था ईरान को मोसाद-संबंधित गतिविधियों को रोकने से नहीं रोक सकती ईरान की यह कार्रवाई, जिसमें तीन आरोपियों की फांसी और सात सौ से अधिक गिरफ्तारियाँ शामिल हैं, एक व्यापक और कठोर सुरक्षा रणनीति को दर्शाती है। यह स्पष्ट संदेश है कि युद्ध की आड़ में भी जासूसी और आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। साथ ही, यह कदम मानवाधिकार और न्यायिक पारदर्शिता के दृष्टिकोण से नए सवालों को जन्म देता है।
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