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NATO समिट में ट्रंप की चली चाल, सभी देश बढ़ाएंगे रक्षा खर्च

NATO समिट में ट्रंप की चली चाल, सभी देश बढ़ाएंगे रक्षा खर्च

दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य ताकतों वाला संगठन NATO अब नए मोड़ पर है। द हेग में बुधवार को हुए NATO समिट में सदस्य देशों ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया—अब सभी देश अपनी GDP का 5% रक्षा खर्च पर करेंगे। ये फैसला अमेरिका के  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के बाद लिया गया है, जो बार-बार यूरोपीय देशों पर यह आरोप लगाते रहे हैं कि वे सुरक्षा के नाम पर अमेरिका पर निर्भर रहते हैं, लेकिन खर्च नहीं करते। ट्रंप ने समिट में पहुंचने से पहले ही माहौल गर्मा दिया था। उन्होंने NATO की सुरक्षा गारंटी यानी Article 5 पर सवाल उठाया और कहा कि इसके "कई मतलब हो सकते हैं।" उन्होंने यह भी जोड़ा, "मैं जान बचाने के लिए प्रतिबद्ध हूं, और वहां पहुंचकर इसका सही मतलब बताऊंगा।" इस बयान ने सभी सदस्य देशों में हलचल मचा दी थी।

 

इस सबके बीच, NATO महासचिव मार्क रुटे ने ट्रंप को खुश करने के लिए कई कूटनीतिक कदम उठाए। समिट का एजेंडा छोटा रखा गया, और फोकस सिर्फ रक्षा खर्च बढ़ाने पर रहा। रुटे ने ट्रंप को एक निजी संदेश में उनकी ईरान पर "निर्णायक कार्रवाई" की भी जमकर तारीफ की और लिखा—"आपने वो कर दिखाया जो दशकों से कोई अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं कर सका। यूरोप अब बड़ा खर्च करेगा और इसका श्रेय आपको मिलेगा। "अब नए लक्ष्य के मुताबिक, 3.5% खर्च सैनिकों और हथियारों पर होगा और 1.5% साइबर सुरक्षा, पाइपलाइन सुरक्षा, और सैन्य वाहनों के लिए सड़कों के सुधार पर होगा। हालांकि स्पेन ने साफ कर दिया है कि वह इतना खर्च नहीं करेगा, लेकिन बाकी देश इस समझौते के साथ खड़े हैं।

 

इस समिट में यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की को मुख्य बैठक में नहीं, बल्कि प्री-डिनर तक सीमित रखा गया। ट्रंप की रूस पर नरम नीति को देखते हुए समिट के अंतिम दस्तावेज़ में रूस को खतरा तो बताया गया, लेकिन बहुत विस्तार नहीं किया गया। अब सवाल ये है—क्या NATO का ये नया रूप ट्रंप की जीत है या यूरोप की मजबूरी? और क्या इससे रूस को रोकने की रणनीति और मजबूत होगी?

 

 

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