
पत्रकारिता के क्षेत्र में आमजन के हितों से जुड़े मुद्दे उठाने के लिए The India Moves एक नई पहल करने जा रहा है। खास बात यह है कि इस मुहिम का मकसद सिर्फ सुर्खियां बटोरना, या किसी तरह की हलचल पैदा करना नहीं है, बल्कि हमारी कोशिश है कि हालात सुधरने चाहिए। जैसा कि ख्यातनाम कवि और शायर दुष्यंत कुमार भी कहते हैं...
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।
हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
इसी मकसद को लेकर The India Moves बदलाव की एक छोटी सी मुहिम शुरू कर रहा है। इस कड़ी में पहला कदम एक ऐसे मुद्दे को लेकर है, जिसका असर हम सभी पर पड़ता है। दरअसल सरकार चाहे केंद्र की हो, या किसी राज्य की, देश या प्रदेश को चलाने के लिए, आमजन को सुविधाएं, योजनाओं का लाभ देने के लिए पैसे की जरूरत होती है और ये पैसे सरकार के पास आम जनता से लिए गए टैक्स के रूप में पहुंचते हैं। ये टैक्स कभी GST के रूप में लिया जाता है, कभी इनकम टैक्स के रूप में। कभी सेस के रूप में, कभी वैट के रूप में, कभी इम्पोर्ट ड्यूटी के रूप में, कभी एक्साइज ड्यूटी के रूप में। इसके अलावा ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर ट्रैफिक पुलिस जो आपका चालान काटती है, उस राशि का इस्तेमाल भी प्रदेश के विकास में ही किया जाता है। कुल मिलाकर कहें तो सरकारें आपसे ही टैक्स या जुर्माने के जरिए लिए हुए पैसे को उन लोगों तक पहुंचाती है, जिनके पास मूलभूत सुविधाएं भी अलग-अलग परिस्थितियों या अवसरों की कमी की वजह से मयस्सर नहीं हो पाती हैं। ऐसा ही एक माध्यम है ओवरलोडेड वाहनों पर लगने वाला जुर्माना।
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अफसर मालामाल, भजनलाल बेहाल, GST में हर महीने 150 करोड़ का घोटाला
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