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क्यों लाखों लोग करते हैं बाबा खाटू श्याम जी के दरबार में हाजिरी?
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Manjushree
- April 16, 2025
खाटू श्याम जी: जहाँ विश्वास बनता है चमत्कार
मान्यता है कि खाटू श्याम जी से जो भी सच्चे मन से मांगता है, जरूर पूरी होती है। इसी कारण उनके मानने वाले बाबा श्याम के भक्तों की संख्या लाखों में है, जो रोज बाबा श्याम के दर्शन करने के लिए खाटू श्याम मंदिर में अपनी हाजिरी लगाते हैं। बाबा श्याम राजस्थान के सीकर जिले में खाटू श्याम जी का प्रसिद्ध मंदिर प्रतिष्ठित है। बाबा श्याम, हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा, खाटू श्याम जी का मंदिर श्रीकृष्ण के विभिन्न मंदिरों में से एक माना जाता है।
खाटू श्याम जी मंदिर का महत्व
भगवान श्री कृष्ण ने युद्ध की समाप्ति पर बर्बरीक के सिर को रूपवती नदी को समर्पित कर दिया था। खाटू श्याम मंदिर के रहस्य के बारे में एक बार कलयुग में खाटू गांव के राजा के स्वप्न में खाटू बाबा आए और श्याम कुंड के समीप हुए चमत्कारों के बाद फाल्गुन माह में खाटू श्याम मंदिर की स्थापना की गई। शुक्ल मास के 11वें दिन उस मंदिर में खाटू बाबा को विराजमान किया गया। 1720 ईस्वी में दीवान अभयसिंह ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण कराया और तब से आज तक उस मंदिर की चमक यथावत बनी हुई है। श्याम कुंड की मान्यता देश-विदेश में है। ऐसा माना जाता है कि जो श्रद्धालु इस कुंड में स्नान करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। इस मंदिर की मान्यता बाबा के अनेक मंदिरों में सर्वाधिक रही है। खाटू श्याम का फाल्गुन लक्खी मेला हर साल फाल्गुन महीने में आयोजित किया जाता है। इस दिन मंदिर में विशेष दर्शन और पूजा का आयोजन होता है, जिससे भक्तों को विशेष फल मिलता है।
खाटू श्याम जी की कहानी
खाटू श्याम जी का इतिहास महाभारत काल से बताया जाता है। खाटू श्याम जी को भगवान कृष्ण का एक अवतार माना गया है। महाभारत काल में पांडव के दूसरे भाई भीम के पौत्र एवं घटोत्कच के पुत्र 'बर्बरीक' के रूप में खाटू श्याम बाबा ने अवतार लिया। पुराणों के अनुसार बर्बरीक बचपन से ही वीरवान एवं ताकतवर योद्धा थे। बर्बरीक के कौशल को देखकर अग्नि देवता ने उन्हें एक अद्भुत धनुष दिया एवं भगवान शिव की कृपा से उन्हें वरदान स्वरूप तीन बाण मिले। इसी वरदान के कारण बर्बरीक 'तीन बाण धारी' के नाम से जाने जाते हैं, जिसे युद्ध में एक बार में ही जीता जा सकता था। बर्बरीक का बाण अपना लक्ष्य भेदकर वापस आ जाता था, इसलिए उससे कोई युद्ध में जीत नहीं सकता था।
बर्बरीक को उसकी मां ने सिखाया था कि हमेशा लड़ाई में उसे कमजोर पक्ष का साथ देना है। इसलिए वह युद्ध में हमेशा उस पक्ष की ओर से लड़ते थे जो हार रहा होता था। बर्बरीक को उसकी मां ने ही युद्ध कौशल सिखाया था। उसे शिव का अवतार भी माना जाता था और कुछ कथाओं में उसे यक्ष का इंसानी पुनर्जन्म भी कहा गया है। महाभारत के कौरव और पांडव के भीषण युद्ध को अंत तक देखने की बर्बरीक ने इच्छा प्रकट की। वह अपनी मां अहिलवती से युद्ध में जाने की अनुमति ली और शिव जी की कृपा से प्राप्त तीनों बाण लेकर महाभारत के युद्ध की ओर निकल पड़े।

क्यों प्रसिद्ध हैं खाटू श्याम जी
खाटू श्याम की महिमा की बात करें तो पुराणों के अनुसार जब बर्बरीक महाभारत युद्ध में जा रहे थे, तभी भगवान श्री कृष्ण ने उनकी परीक्षा लेने के लिए सोचा क्योंकि भगवान जानते थे कि बर्बरीक जिस तरफ से युद्ध लड़ेगा, वही जीतेगा। बर्बरीक कौरव की तरफ से लड़ने को तैयार थे। भगवान बर्बरीक से बोले कि केवल तीन बाण से कोई कभी युद्ध जीत नहीं सकता। तब बर्बरीक ने तीनों बाणों की विशेषता बताते हुए कहा कि पहला तीर निश्चित स्थानों पर निशान बनाएगा एवं दूसरा और तीसरा तीर उन स्थानों को क्रमशः सुरक्षित एवं तबाह कर सकते हैं। तब श्री कृष्ण ने ब्राह्मण स्वरूप धारण कर दान स्वरूप बर्बरीक से उनका सिर मांगा। उनकी इस विचित्र मांग के कारण बर्बरीक ने उनसे उन्हें अपने असली रूप में आने को कहा, तब श्री कृष्ण प्रकट हुए एवं उन्होंने बर्बरीक को उस युद्ध का सबसे वीर क्षत्रिय व योद्धा बताते हुए उनसे कहा कि युद्ध में सबसे वीर व क्षत्रिय योद्धा को सर्वप्रथम बलि देना अति आवश्यक है। फिर उनके ऐसे वचन सुनकर बर्बरीक ने अपना सिर काटकर श्री कृष्ण को दानस्वरूप दे दिया। तब भगवान श्री कृष्ण ने उनके इस अद्भुत दान को देखकर वरदान दिया कि उन्हें सम्पूर्ण संसार में श्री कृष्ण के नाम 'श्याम' रूप में जाना जाएगा। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने उनकी शक्तियों से प्रसन्न होकर कलयुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। यही वजह है कि आज भी खाटू श्याम की पूजा होती है।
दूसरी कथा यह है कि श्री कृष्ण ने बर्बरीक से पीपल के पेड़ के सभी पत्तों को बाण से मारने को कहा। बर्बरीक ने एक बाण चलाया और पीपल के पत्तों पर छेद हो गया, लेकिन कृष्ण जी एक पत्ते को अपने पैर के नीचे दबा लिया। तब बर्बरीक ने भगवान से अपना पैर हटाने के लिए कहा, जिससे वह उस पत्ते में भी छेद कर सकें। हालांकि भगवान श्री कृष्ण पैर नहीं हटाए, लेकिन बर्बरीक ने ऐसा बाण चलाया कि आखिरी पत्ते में भी छेद हो गया और कृष्ण जी के पैर पर चोट लग गई।
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बाबा खाटू श्याम मंदिर कहां और मंदिर की विशेषता

खाटू श्याम जी दरबार राजस्थान के खाटू कस्बा, जिला सीकर में स्थित है। यह मंदिर हर साल लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। खाटू श्याम जी का दरबार खासतौर पर फाल्गुन मेले के दौरान मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है।
मंदिर में श्याम बाबा का शीश चांदी की छतरी के नीचे स्थित है। मंदिर परिसर अत्यंत सुंदर और शांतिपूर्ण है, जिसमें श्री श्याम कुंड भी स्थित है, जहाँ बाबा का शीश स्नान कराया गया था। बहुत से भक्तजन यहाँ 'श्याम नाम की निशान यात्रा' करते हैं और पैदल मंदिर पहुँचते हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। इनको भक्त बाबा श्याम, हारे का सहारा, लखदातार, खाटू श्याम जी, मोर्विनंदन, खाटू का नरेश और शीश का दानी नामों से भी पुकारते हैं।
खाटू श्याम मंदिर जाने का सही समय
बाबा खाटू श्याम मंदिर दर्शन के लिए जाने का सबसे अच्छा समय खाटू श्याम जी का फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी है, जिसे खाटू श्याम ग्यारस भी कहा जाता है। इसके अलावा, मंदिर के दर्शन किसी भी समय किए जा सकते हैं, लेकिन एकादशी को विशेष महत्व दिया जाता है। इस मेले में खाटू श्याम जी के दर्शन के लिए देश और विदेश से हजारों की तादाद में लोग आते हैं। फाल्गुन मेला (फाल्गुन शुक्ल एकादशी), गोपाष्टमी, रथ यात्रा, एकादशी, और रविवार के दिन खासतौर पर भीड़ रहती है। मंदिर में दिन-रात भजन-कीर्तन, आरती, और प्रसादी वितरण चलता रहता है। मेले में देश-विदेश से कई भक्तजन बाबा खाटू श्याम जी के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए आते हैं। मान्यता है कि मेले में मानव सेवा करने से बाबा श्याम की भक्ति प्राप्त होती है।
कैसे पहुँचें बाबा श्याम के दरबार
बाबा खाटू श्याम मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर शहर से 80 किमी दूर खाटू गांव में है। यहाँ पहुंचने के लिए सबसे पहले जयपुर के पास रेलवे स्टेशन रिंगस है, जहाँ से महज मंदिर 18.5 किलोमीटर दूर खाटू श्याम जी का मंदिर है। देश के किसी अन्य हिस्से से अगर आप आ रहे हैं तो हवाई मार्ग से भी पहुंच सकते हैं। मंदिर से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यहाँ से मंदिर की दूरी 95 किमी है। दिल्ली से सड़क मार्ग द्वारा मंदिर पहुंचने में 4 से 5 घंटे का समय लग जाता है। आप जयपुर पहुंचकर सिंधी कैंप बस स्टैंड से सरकारी और प्राइवेट बस से भी मंदिर पहुंचकर बाबा श्याम का दर्शन कर सकते हैं। वहाँ आपको रुकने और खाने के लिए कई तरह के होटल, लॉज मिल जाएंगे।

कैसे हुआ खाटू श्याम जी मंदिर का निर्माण
माना जाता है महाभारत युद्ध के बाद बर्बरीक का शीश नदी में बहकर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू शहर में पहुंच गया। फिर 1027 ईस्वी में राजा रूप सिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कंवर ने जिस तालाब में बर्बरीक का सिर मिला, उससे कुछ दूरी पर मंदिर का निर्माण करवा दिया।
लेकिन मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने शासनकाल में बाबा खाटू श्याम के पुराने मंदिर को तुड़वा दिया और अपनी मस्जिद खड़ा कर दिया। हालांकि मृत्यु के बाद 1720 ईस्वी में अभय सिंह ने एक नया खाटू श्याम मंदिर बनवाया, जहाँ आज भी लोग दर्शन करने जाते हैं।
बाबा श्याम के चमत्कार
खाटू श्याम बाबा के मंदिर में कई चमत्कार देखने को मिलने की मान्यता है। मान्यता है कि यहाँ आने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन की परेशानियाँ दूर होती हैं।
बाबा श्याम के दर्शन लाभ
बाबा श्याम, जिन्हें खाटू श्याम जी के नाम से भी जाना जाता है, के दर्शन करने से कई तरह के लाभ होते हैं। मान्यता है कि उनके दर्शन से जीवन में सुख-शांति आती है, मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और दुख दूर होते हैं।
खाटू श्याम यात्रा अनुभव
खाटू श्याम की यात्रा एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव है। यह यात्रा न केवल धार्मिक है, बल्कि यह भक्तों को एक अलग ही शांति और आनंद प्रदान करती है। यात्रा के दौरान, आप मंदिर के सुंदर वातावरण, भक्तों की भक्ति, और बाबा श्याम के आशीर्वाद का अनुभव कर सकते हैं।
बाबा श्याम के भजन के अनेकों भजन आप यूट्यूब पर सुन सकते हैं।
यही कारण है कि लाखों लोग करते हैं बाबा श्याम के दरबार में हाजिरी। इस तरह बरसों से खाटू श्याम जी के रूप में भगवान श्री कृष्ण अपने भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करके उन्हें अनुग्रहित करते आ रहे हैं।
क्या आपने भी खाटू श्याम जी के दर्शन किए हैं?
नीचे कमेंट में जरूर बताएं — जय श्री श्याम!
ऐसी ही जानकारी के लिए विजिट करे- The India Moves
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