
Hanuman jayanti 2025 : जानिए प्रभु हनुमान जी को प्रसन्न करने के उपाय
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Shweta
- April 11, 2025
शिव के रुद्र रूप: हनुमान जी का दिव्य जन्म
हनुमान जी, जो भगवान शिव के रुद्र रूप हैं। उनका जन्म त्रेता युग में माता अंजनी और केसरी के घर हुआ था। पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म एक वरदान था। उनकी माता अंजनी और पिता केसरी ने वायु देव की घोर तपस्या की ताकि वह उन्हें पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दें। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर वायु देव ने उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया, जिससे माता अंजनी और केसरी को हनुमान जी पुत्र स्वरूप मिले। उनका जन्म सुमेरु पर्वत पर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन हुआ था, जो कि हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। साथ ही, हनुमान जी 8 चिरंजीवियों में से एक हैं। रामायण काल के बाद माता सीता और प्रभु श्री राम ने उन्हें लंबी आयु का वरदान दिया, जिससे उनकी आयु की कोई सीमा नहीं है। माना जाता है, वह आज भी धरती पर ही वास करते हैं।
कैसे कर सकते हैं हनुमान जी को प्रसन्न (Hanuman jayanti 2025)
- हनुमान जयंती (Hanuman jayanti 2025) के दिन सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक और बजरंग बाण का पाठ करें, क्योंकि यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से वह प्रसन्न होते हैं, साथ ही सभी पापों से मुक्ति और घर में सुख-शांति आती है।
- हनुमान जयंती के दिन रामायण और राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करने से आपको मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है।
- हनुमान जी के सामने रात को चैमुखी दीपक जलाएं। ऐसा करने से आपके घर-परिवार में आने वाली बाधाएं समाप्त हो जाएंगी।
- पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- हनुमान जयंती के दिन मंदिर में ‘श्री रामचरित मानस’ की चौपाइयों का पाठ करने से हनुमान शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।
- प्रात:काल पीपल के कुछ पत्ते तोड़ लें और उन पत्तों पर लाल चंदन व कुमकुम से श्रीराम नाम लिखें। इसके बाद इन पत्तों की माला बनाकर हनुमान जी को अर्पित कर दें।ये उपाय करने से शत्रुओं का शमन होता है और करियर व व्यापार में प्रगति होती है।
हनुमान जी को प्रिय है क्यों सिंदूर

पौराणिक कथाओं के अनुसार सिंदूर को पवित्रता का प्रतीक माना गया है। सिंदूर विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए अपनी मांग में धारण करती हैं। श्रीरामचरित मानस में उल्लेखित एक प्रसंग है कि एक समय माता सीता अपनी मांग में सिंदूर लगा रही थीं। उनको ऐसा करता देख हनुमान जी को उसके पीछे की वजह जानने की इच्छा मन में उत्पन्न हुई। उन्होंने माता सीता से पूछा कि वह ऐसा क्यों कर रही हैं, ऐसा करने से क्या फल मिलता है, या इसे करने से क्या लाभ है। हनुमान जी के पूछे गए इस प्रश्न पर सीता माता ने उन्हें मुस्कुराते हुए बताया कि मैं यह सिंदूर मेरे स्वामी श्रीराम की लंबी आयु और उनका स्वास्थ्य सदैव अच्छा रखने के लिए लगाती हूं। और साथ ही बताया कि ऐसा करना शास्त्रों में वर्णित है कि सिंदूर लगाने से पति की दीर्घायु होती है और वह हमेशा खुश रहते हैं। ये सुनकर हनुमान जी खुश तो बहुत हुए, लेकिन सोच में पड़ गए कि माता सीता के चुटकी भर सिंदूर का इतना लाभ हो सकता है, तो अगर वह अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लें, तो उनके प्रभु श्रीराम अमर हो जाएंगे। यही सोचकर उन्होंने अपना पूरा शरीर सिंदूर से रंग लिया। और हनुमान जी का यह रूप उनके भोलेपन और अपने प्रभु श्रीराम के प्रति आदर, प्रेम और भक्ति को दर्शाता है। और साथ ही हनुमानाष्टक में भी हनुमान जी के इस रूप का कुछ इस प्रकार वर्णन किया गया है।
हनुमान जी को किस दिन चढ़ाएं सिंदूर और क्या है इसके लाभ
हनुमान जी की पूजा करने का उत्तम दिन मंगलवार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन मंदिर जाकर हनुमान जी के दाहिने कंधे के सिंदूर का तिलक लगाना बहुत लाभकारी होता है। साथ ही इस बात का खासतौर पर ध्यान रखें कि हनुमान जी को केवल नारंगी रंग का सिंदूर ही अर्पित करें। इसलिए हनुमान जी के ज्यादातर मंदिरों में उनकी मूर्ति नारंगी रंग की ही देखने को मिलती है। और नारंगी सिंदूर के साथ चमेली का तेल हनुमान को अर्पित करने से भक्तों पर उनकी असीम कृपा बनी रहती है। हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करने से वह प्रसन्न होते हैं और साथ ही अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करने के साथ-साथ उनकी बिगड़ी भी बना देते हैं। और आशीर्वाद स्वरूप उस व्यक्ति को बल और बुद्धि भी प्रदान करते हैं।
लाल देह लाली लसे अरुधर लाल लंगूर।
बज्र देव दांव दलन जय जय जय कपिसूर।।
अर्थ: लाल रंग का सिंदूर लगाते हैं, देह जिनकी लाल है और लंबी सी पूंछ है। वज्र के समान बलवान शरीर हैं, जो राक्षसों का संहार करते हैं। ऐसे श्री कपि को बार-बार प्रणाम।
हनुमान जन्मोत्सव कब है? (Hanuman Janmotsav 2025 Kab Hai?)

हनुमान जन्मोत्सव हर साल भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त हनुमान जी की पूजा करते हैं जो साधक इस मौके पर राम भक्त की पूजा करते हैं उन्हें सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र पूर्णिमा (Chaitra Purnima 2025) के दिन हनुमान जन्मोत्सव (Hanuman Janmotsav 2025 Date) मनाया जाता है। भगवान हनुमान के जन्मोत्सव का पर्व हिंदू धर्म में भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। बजरंगबली को शक्ति, भक्ति और सेवा का प्रतीक माना जाता है। हनुमान जन्मोत्सव के दिन उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। हालांकि, कई बार तिथियों के कारण हनुमान जन्मोत्सव (Hanuman Janmotsav 2025) की तारीख को लेकर भक्तों में कन्फ्यूजन बनी रहती है,हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल हनुमान जन्मोत्सव यानी चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 12 अप्रैल को सुबह 3 बजकर 21 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन अगले दिन 13 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि का महत्व है। ऐसे में हनुमान जन्मोत्सव का पर्व 12 अप्रैल को मनाया जाएगा।
हनुमान जन्मोत्सव पूजा विधि (Hanuman Janmotsav 2025 Puja Vidhi)
- इस दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
- एक वेदी पर भगवान हनुमान की प्रतिमा स्थापित करें।
- उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं।
- सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें।
- फूल, फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और हनुमान अष्टक का पाठ करें।
- भाव के साथ आरती करें।
- इस दिन अखंड रामायण का पाठ भी शुभ माना जाता है।
- अंत में पूजा में हुई गलतियों के लिए माफी मांगे।
अधिक जानकारी के लिए विजिट करें - The India Moves
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