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Akharas : क्‍या है अखाड़ों का इतिहास, जानिए कैसे हुई शुरुआत, कितने प्रकार के होते है ?

Akharas : क्‍या है अखाड़ों का इतिहास, जानिए कैसे हुई शुरुआत, कितने प्रकार के होते है ?

Maha Kumbh 2025 : महाकुंभ बहुसंख्यक हिन्दुओं की आस्था का प्रतीक और भारत का सबसे बड़ा धार्मिक संगम । हालांकि महाकुंभ की एक और पहचान भी है और वो पहचान है अखाड़े। ये वो अखाड़ा नहीं, जहां कुश्ती या पहलवानी हो, ये वो अखाड़े हैं जहां शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा दी जाती है, जहां शाही सवारी, रथ, हाथी-घोड़े की सजावट, बाजे और करतब का प्रदर्शन होता है।


आखिर किसने की अखाड़े की शुरूआत
बता दें कि अखाड़ों का इतिहास भी दिलचस्प है। माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने सदियों पहले बौद्ध धर्म के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए अखाड़ों की स्थापना की थी। कहा जाता है कि जो शास्त्र से नहीं माने, उन्हें शस्त्र से मनाया गया। ऐसा माना जाता है कि अखाड़ों का मकसद हिंदू धर्म और संस्कृति को बचाना था। सदियों पहले जब समाज में धर्म विरोधी शक्तियां सिर उठा रही थीं, तो सिर्फ आध्यात्मिक शक्ति के जरिए ही इन चुनौतियों का मुकाबला करना काफी नहीं थी। आदि शंकाराचार्य ने जोर दिया कि युवा साधु कसरत करके खुद को ताकतवर बनाएं। हथियार चलाने में कुशलता हासिल करें ताकि विरोधी शक्तियों से लोहा लिया जा सके।

 

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कितने प्रकार के होते है अखाड़ा
बता दें कि शुरू में केवल चार प्रमुख अखाड़े थे, लेकिन बाद में वैचारिक मतभेद हुए, बंटवारा होता गया और वर्तमान में 13 प्रमुख अखाड़े हैं। इनमें सात अखाड़े संन्यासी संप्रदाय यानी शैव परंपरा या शिव के आराधक हैं और यह सात अखाड़े हैं। संन्यासी संप्रदाय के अखाड़े है- जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, आनंद अखाड़ा पंचायती, अटल अखाड़ा । वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोग विष्णु को ईश्वर मानते हैं. वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं- निर्मोही अखाड़ा, दिगंबर अखाड़ा, निर्वाणी अणि अखाड़ा । इसी के साथ तीन अखाड़े ऐसे हैं जो गुरु नानक देव की आराधना करते हैं- जिसमें बड़ा उदासीन अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा, निर्मल अखाड़ा शामिल है।

 

Akharas : क्‍या है अखाड़ों का इतिहास, जानिए कैसे हुई शुरुआत, कितने प्रकार के होते है ?

कौन करता है इनका प्रबंधन
वहीं सभी अखाड़ों का प्रबंधन और उनके बीच सामंजस्य बनाने और विवादों को हल करने का काम अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद करता है। जिसकी स्थापना साल 1954 में की गई। अखाड़ों के अध्यक्ष को सभी 13 अखाड़ों के बीच मतदान से चुना जाता है। किसी भी अखाड़े में महामंडलेश्वर का पद सबसे ऊंचा होता है।


अखाड़ों का संघर्षो और विवादों से क्या है नाता
ऐसा माना जाता है कि ये अखाड़े और यहां रहने वाले साधु संत आध्यात्मिक कार्यों में लीन रहते हैं, लेकिन दूसरी तरफ इन अखाड़ों का संघर्षों और विवादों से भी पुराना नाता रहा है। वो चाहे महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत हो या फिर अखाड़ों के भीतर कोई आपसी विवाद। अखाड़ों के पास हजारों एकड़ जमीनें हैं, जिन्हें वो मुनाफा कमाने के लिए इस्तेमाल करते हैं और इसे लेकर अखाड़ों में कई भीतरी विवाद हैं। अखाड़े के कई महंत हैं, जिनके खिलाफ रेप और हत्या तक के मुकदमे दर्ज हैं। कई महंत सिर्फ अखाड़े तक सीमित नहीं हैं, अब उनकी दिलचस्पी राजनीति में बढ़ रही है जो आपसी प्रतिद्वंद्विता को भी बढ़ा रहा है।

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